फतेहपुर, प्रयागराज के आईजी प्रेम गौतम ने भले ही चोरी की सरिया की खरीद फरोख्त के मामले एसओ समेत आधा दर्जन से अधिक पुलिस कर्मियों पर कार्यवाई करके ईमानदारी का बड़ा सन्देश दिया हो लेकिन स्थानीय कर्ताधर्ताओं ने आईजी की मंशा को भी पलीता लगा दिया। आईजी के हाथ लगे एक रजिस्टर में रोजाना की बिक्री व खरीददारी दर्ज थी, साथ ही यह भी था कि सरिया कांड से जुड़े किन किन रसूखदारों को कितनी रकम दी जाती थी. मतलब गुनाह की मंडी के उन संरक्षणदाताओ के नामों से पर्दाफाश हुआ था, जो हफ्ते में मोटी रकम व घर बनवाने के लिए सरिया लेते थे। ऐसे लोगों को सूत्र बताते हैं कि विवेचना से दूर कर दिया गया है। सरिया चोरी जिले में आम बात है। हाइवे के कांटो में ऐसे जुर्म जरायम के कार्य होना लाजमी है. यही वजह है कि खाकी ऐसे कृत्यों से खुद को दूर नही रख पा रही है।
मौजूदा समय में शहर तो कबाड़ियों का हब बन गया है. एक दर्जन से अधिक बड़े गोदाम बाईपास इलाके में बना रखे गए हैं जब कि पीरनपुर अरबपुर इन कबाड़ियों के प्रमुख अड्डे है। शहर में रोजाना गली-गली निकलने वाले ठेलों के माध्यम से कबाड़ की होने वाली खरीद भी इतनी नहीं है कि शहर में बड़े गोदामो में कबाड़ को डंप किया जाए और न ही कोई ऐसी फैक्ट्री है जिसमें से हर रोज ट्रकों से कबाड़ खरीदा जा सके. ऐसे में इतनी बड़ी मात्रा में बने कबाड़ के गोदाम बड़ा सवाल खड़े करते हैं। बताया तो यहाँ तक जाता है कि फतेहपुर ही नही गैर जिलों का चोरी का कबाड़ यहाँ डम्प होता है और रेलवे के कबाड़ की चोरी भी जो पूरी तरह से जांच का विषय है। इन कबाड़ियों के भी अलग अलग संरक्षण दाता हैं . कोई वकील तो कोई सफेद पोश नेता है जो इन कबाड़ियों को फाइनेंस का काम करते हैं और रकम बढ़ाकर लेते हैं . खाकी भी इन कार्यो में मददगार है। चोरी की बाइकों को एक घण्टे में ही हजम कर जाना इन कबाड़ियों के बाएँ हाथ का खेल है। अब देखना है कि नवागन्तुक एसपी ऐसे कार्यों को रोकने में क्या पारदर्शिता अपनाते हैं, इस पर तमाम सवाल खड़े है और सबकी निगाहें टिकी हैं।