रिपोर्ट- मो0 रज़ी सिद्दीकी
KNEWS DESK- जहाजों को जो डुबा दे, वो तूफान कहलाते हैं| तूफानों से जो टक्कर लेकर, आगे बढ़ जाए उसे ही नौजवान कहते हैं| कुछ ऐसा ही जज्बा बाराबंकी के निवासी देवांश मिश्रा का| देवांश मिश्रा ने मात्र 20 साल की उम्र में लेफ्टिनेंट बनकर बाराबंकी जिले का नाम रोशन किया है| देवांश मिश्रा के पिता अनिल मिश्रा पेशे से डॉक्टर हैं और मां गीता मिश्रा गृहणी हैं| जबकि ऐश्वर्या मिश्रा और सौम्या मिश्रा दो बहनें हैं| अशोक चक्र विजेता मेजर मोहित शर्मा और लांस नायक मोहन नाथ गोस्वामी उनके आदर्श हैं, जिनको देकखर उनके अंदर भी आर्मी में जाने का जज्बा आया|
देवांश मिश्रा ने बताया कि वह एनडीए भी क्वालीफाई कर चुके थे| उसमें उनकी ऑल इंडिया 411 रैंक आई थी लेकिन उस समय कुछ मेडिकल इश्यू के चलते वह एनडीए ज्वाइन नहीं कर पाये, जिसकी वहज से उन्हें एक साल इंतजार करना पड़ा| उसके बाद उन्होंने सम्मिलित रक्षा सेवा परीक्षा (सीडीएसई) दी और उसे पास करके यह कामयाबी हासिल की| उन्होंने पहली ही बार में 109वीं रैंक लाकर लेफ्टिनेंट का पद हासिल किया है|
देवांश मिश्रा ने बताया कि उन्होंने इंटरमीडियट तक की शिक्षा शहर के बड़ेल स्थित श्री साई इंटर कॉलेज में ग्रहण की| जीवन की चुनौतियों ने ही उन्हें मजबूत बना दिया। उन्होंने बताया कि कड़ी मेहनत और आगे बढ़ने का जज्बा हो तो जीवन में कोई भी काम मुश्किल नहीं है| इंटरमीडिएट के बाद से ही उन्होंने मन बना लिया था कि उन्हें आर्मी में ही जाना है| इसलिए वह पूरी तरह से इसी क्षेत्र में मेहनत कर रहे थे| उन्होंने कहा कि वह एक मिडिल क्लास फैमिली से हैं| इसलिए उनके पास ज्यादा ऑपशन नहीं थे| सफल होकर अपना लक्ष्य पाना ही उनके पास मात्र एक विकल्प था|