गंगा से माफी, क्या इतना काफी !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड विधानसभा के सत्र के दौरान समय-समय पक्ष-विपक्ष के नेताओं के बीच टकराव और हंगामे की तस्वीरें अक्सर चर्चाओं में रहती हैं। 18 फरवरी से 22 फरवरी तक पांच दिन तक चले इस बार के विधानसभा बजट सत्र के दौरान भी पक्ष और विपक्ष के नेताओं के बीच हंगामे की तस्वीरें भी सभी ने देखी। एक ओर जहां विधानसभा के बजट सत्र के दौरान एक लाख करोड़ से अधिक का बजट पास किया गया वहीं 13 विधेयक भी पास किए गए वहीं सदन में संसदीय कार्यमंत्री के एक बयान से पूरे प्रदेश में पहाड़-मैदान को लेकर बवाल मचा हुआ है। जगह-जगह संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का विरोध किया जा रहा है। मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कांग्रेस विधायक मदन सिंह बिष्ट पर आरोप लगाया था कि वह सदन में मदिरापान करके आए हैं। वहीं, कांग्रेस नेताओं ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया और विधायक की जांच की बात की। इसके बाद हुई बहस में संसदीय कार्यमंत्री एक शब्द ‘साले पहाड़ी’ कहने से सदन में और हंगामा मचा रहा। कांग्रेस विधायक इस बयान की निंदा कर रहे थे और पहाड़-मैदान वाले बयान पर माफी मांगने की बात कर रहे थे, लेकिन बात विधानसभा से निकलने के बाद दूर तक पहुंच चुकी थी। पहाड़ से लेकर मैदान तक संसदीय कार्यमंत्री के जगह-जगह पुतले फूंके गए। हालांकि मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने पहले सदन में ही माफी मांगी इसके बाद वह भाजपा अध्यक्ष से मिले और फिर ऋषिकेश में गंगा किनारे जाकर भी माफी मांगी, लेकिन विरोध है कि थमने का नाम नहीं ले रहा है। कांग्रेस और सभी विपक्षी पार्टियां इस अमर्यादित भाषा के प्रयोग का विरोध कर रही है।

9 नवंबर 2000 को बने उत्तराखंड राज्य में अभी तक क्षेत्र या जातिवाद को लेकर विधानसभा सदन में कोई अमर्यादित टिप्पणी नहीं की गई थी। कहीं न कहीं शांत वातावरण वाले पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड की विधानसभा में प्रयोग होने वाली ऐसी भाषा को लेकर सभी बुद्धिजीवी चिंतित हैं। संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के एक शब्द से भाजपा के तमाम कामों पर पानी फेर दिया और पूरा प्रदेश मंत्री के ऐसे शब्दों को लेकर विरोध कर रहा है। इस बयान के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी प्रेमचंद अग्रवाल को माफी मांगने के लिए कहा था। मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के अनुसार उन्होंने राज्य आंदोलन के दौरान लाठी-डंडे खाए हैं, लेकिन उनका इस तरह विरोध किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तीन चार दिन से उनके खिलाफ दुष्प्रचार किया जा रहा जो कि ठीक नहीं है। वहीं, कांग्रेस विधायक मदन सिंह बिष्ट के अनुसार उन्हें बिना सबूत के यह कहा गया कि मदिरापान करके वह सदन में पहुंचे हैं, अगर ऐसा है तो मेरी जांच क्यों नहीं करवाई गई।

विधानसभा सत्र के दौरान हुए इस घटनाक्रम से कहीं न कहीं पहाड़ से लेकर मैदान तक के लोगों में उबाल है। सभी प्रदेशवासी आने वाले चुनावों में भाजपा को सबक सिखाने की बात कह रहे हैं और सीधे-सीधे मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का इस्तीफा मांग रहे हैं। हालांकि भाजपा ने अपने मंत्री को इसके लिए माफी मांगने के लिए कहा। संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने इस बयान को लेकर माफी भी मांगी। वहीं, कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों का कहना है कि इस तरह की अमर्यादित भाषा का प्रयोग कतिपय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सदन की गरिमा बनाए रखनी होगी। साथ ही कांग्रेस के अनुसार भाजपा को पहाड़-मैदान, हिंदू-मुसलमान और किसी भी समुदाय को बांटने में महारथ हासिल है। राज्य में महंगाई, बेरोजगारी, स्मार्ट मीटर, आशा वर्कर से लेकर तमाम मुद्दे हैं, जिन पर बात होनी चाहिए, लेकिन क्षेत्रवाद, जातिवाद पर बात करने की बजाय प्रदेश के विकास पर बात की जानी चाहिए। उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी के अनुसार हम पहले उत्तर प्रदेश के निवासी थे और अब उत्तराखंड के निवासी हैं, किसी भी तरह के क्षेत्रवाद की बात नहीं होनी चाहिए।

पहाड़-मैदान के बयान से मचे बवाल के अब क्या परिणाम भविष्य में सामने आएंगे, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन फिलहाल विधानसभा से निकली इस क्षेत्रवाद की चिंगारी से पूरे प्रदेश में आग लग चुकी है। हालांकि विपक्ष इसे मौजूदा मुद्दों से भटकाने वाली हरकत करार दे रहा है। कहीं न कहीं मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के इस ‘पहाड़ प्रेम’ से महंगाई, बेरोजगारी, यूसीसी, स्मार्ट मीटर समेत कई मुद्दों को गौण कर दिया है। अब देखना होगा कि पहाड़-मैदान की इस खाई को कैसे कम किया जाएगा। क्या भाजपा प्रेमचंद अग्रवाल पर कोई एक्शन लेगी या सिर्फ माफी मांगकर उन्हें मंत्री पद पर बनाए रखेगी, यह देखना होगा।

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