उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, देवभूमि उत्तराखंड में निकाय चुनाव पर मचे सियासी घमासान के बीच राज्य में अब छात्र संघ चुनाव पर भी सियासी बवाल शुरू हो गया है। दअरसल उत्तराखंड के डिग्री कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव के रद होने से छात्रों में रोष है। वहीं अब छात्रों का आंदोलन उग्र होता जा रहा है। इस बीच अल्मोड़ा के छात्रसंघ अध्यक्ष राहुल धामी ने अपने ऊपर पेट्रोल छिड़क लिया। जब तक पुलिस राहुल को संभालती तब तक टाइगर ग्रुप से अध्यक्ष पद के दावेदार दीपक लोहनी ने भी पेट्रोल छिड़ककर खुद को आग लगा ली। आनन-फानन में दीपक को जिला अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टरों के मुताबिक दोनों हाथों और पेट पर आग लगने से दीपक 15 फीसदी झुलस गया है। वहीं इस घटना के बाद से प्रदेशभर में छात्रों में आक्रोश है। और अब ये आंदोलन उग्र होता जा रहा है। इस बीच कांग्रेस का कहना है कि एक ओर तो पीएम नरेंद्र मोदी एक लाख युवाओं को राजनीति से जोड़ने का दावा कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर छात्र संघ चुनाव ना कराकर सरकार छात्रों को राजनीति से दूर कर रही हैं। कांग्रेस का कहना है कि सरकार निकाय चुनाव के बाद अब छात्र संघ चुनाव भी नहीं कराना चाह रही है। बता दें कि उत्तराखंड में नगर निकायों का कार्यकाल पिछले वर्ष दो दिसंबर को समाप्त होने के बाद अबतक राज्य में निकाय चुनाव नहीं हो पाए हैं। सरकार ने सभी निकायों को प्रशासकों के हवाले किया है। वहीं विपक्ष का आरोप है कि हार के डर से सरकार चुनाव से भाग रही है। सवाल ये है कि आखिर क्यों सरकार निकाय और छात्र संघ चुनाव नहीं करा पा रही है।
उत्तराखंड में छात्र संघ चुनाव पर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। राज्य में जल्द छात्र संघ चुनाव बहाल कराने की मांग को लेकर छात्र संगठन आंदोलन कर रहे हैं। अभी तक तो छात्रों का आंदोलन घेराव और टंकी पर चढ़ने तक का था लेकिन अब छात्रों का ये आंदोलन उग्र होता जा रहा है। इस बीच अल्मोड़ा में छात्रों का आंदोलन उग्र हो गया बताया जा रहा है कि वहीं अब छात्रों का आंदोलन उग्र होता जा रहा है। इस बीच अल्मोड़ा के छात्रसंघ अध्यक्ष राहुल धामी ने अपने ऊपर पेट्रोल छिड़क लिया। जब तक पुलिस राहुल को संभालती तब तक टाइगर ग्रुप से अध्यक्ष पद के दावेदार दीपक लोहनी ने भी पेट्रोल छिड़ककर खुद को आग लगा ली। आनन-फानन में दीपक को जिला अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टरों के मुताबिक दोनों हाथों और पेट पर आग लगने से दीपक 15 फीसदी झुलस गया है वहीं अब इस पर सियासत भी गरमा गई है।
आपको बता दे कि 23 अप्रैल 2024 को उच्च शिक्षा विभाग ने सभी विश्वविद्यालयों के लिए शैक्षणिक कैलेंडर जारी किया था। इसके अनुसार, 30 सितंबर तक छात्रसंघ चुनाव कराए जाने थे, लेकिन विश्वविद्यालयों के स्तर पर चुनाव नहीं कराए जा सके। विश्व विद्यालय के अधिकारी चुनाव की तारीख के लिए सरकार की ओर देखते रहे। वहीं उत्तराखंड में नगर निकायों का कार्यकाल भी पिछले वर्ष दो दिसंबर को समाप्त होने के बाद अबतक राज्य में निकाय चुनाव नहीं हो पाए हैं। सरकार ने सभी निकायों को प्रशासकों के हवाले किया है। वहीं विपक्ष इसको लेकर हमलावर हो गया है।
कुल मिलाकर राज्य में निकाय चुनाव के बाद अब छात्र संघ चुनाव पर सियासी घमासान छिड़ गया है। वहीं छात्रों का ये आंदोलन अब उग्र होता जा रहा है। वहीं राज्य में अब इस मुद्दे पर सियासत भी गरमा गई है। विपक्ष का तर्क है कि सरकार हार के डर से चुनाव से भाग रही है। सवाल ये है कि आखिर क्यों सरकार निकाय और छात्र संघ चुनाव नहीं करा पा रही है। आखिर राज्य में मचा ये बवाल कब शांत होगा