Knews India, लोकसभा चुनाव के बाद उत्तराखंड की दो विधानसभा सीटों में हुए उपचुनाव में राज्य की जनता ने एक बार फिर सभी को चौंका दिया है। दअरसल लोकसभा की पांचों सीटें भाजपा के नाम करने के बाद राज्य की जनता ने मंगलौर और बद्रीनाथ विधानसभा सीट में भाजपा का हार से सामना कराया है। दोनों सीटों में कांग्रेस प्रत्याशियों की जीत हुई है। इस जीत के बाद कांग्रेस में जश्न का माहौल है. लोकसभा की हार से मायूस कार्यकर्ताओं को निकाय और पंचायत के चुनाव से पहले जीत के रूप में बड़ी संजीवनी मिली है। आपको बता दें कि बदरीनाथ से कांग्रेस प्रत्याशी लखपत बुटोला तो मंगलौर से कांग्रेस प्रत्याशी काजी निजामुद्दीन ने जीत दर्ज की हैं। हालांकि भाजपा मंगलौर के कुछ बूथों पर रिकाउंटिंग की मांग कर रही है। आपको बता दें कि बीती 10 जुलाई को मंगलौर और चमोली जिले की बदरीनाथ विधानसभा सीट समेत कुल दो सीटों पर उपचुनाव हुआ था। सवाल ये है कि आखिर इन नतीजों के पीछे क्या वजह रही है।
उत्तराखंड की दो विधानसभा सीटों हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने दोनों सीटों पर जीत दर्ज की है. कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उल्लास का माहौल है. कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे का रंग लगाकर खुशी मनाई है. आपको बता दें कि मंगलौर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी काजी निजामुद्दीन ने 449 वोटों के अंतर से जीत हासिल की है. तो वहीं बद्रीनाथ सीट पर कांग्रेस को बड़ी जीत हुई है. यहां कांग्रेस प्रत्याशी लखपत सिंह बुटोला ने 5224 वोटों से जीत दर्ज की हैं. कांग्रेस प्रत्याशी की जीत के बाद कांग्रेसी कार्यकर्ता जश्न मना रहे हैं.
आपको बता दें कि मंगलौर और बद्रीनाथ में 10 जुलाई को उपचुनाव हुए थे. इसमें मंगलौर सीट पर बसपा विधायक के निधन के बाद से यह सीट खाली चल रही थी, तो वहीं बद्रीनाथ सीट पर लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के विधायक राजेंद्र भंडारी भाजपा में शामिल हो गए थे.वहीं मंगलौर विधानसभा सीट पर 69.74 फ़ीसदी और बद्रीनाथ सीट पर 51.43 फीसदी मतदान हुआ था। जो 2022 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले काफी कम था..
कुल मिलाकर राज्य में हुए उपचुनाव ने कांग्रेस को तो खुश होने का मौका दिया है लेकिन भाजपा को इन नतीजों ने काफी निराश किया है। सवाल ये है कि आखिर क्या वजह रही कि दोनों विधानसभाओं की जनता ने भाजपा के प्रत्याशियों को नकारा है। आखिर क्या वजह रही कि डबल इंजन की रफ्तार से विकास का दावा करने वाली भाजपा का इंजन मंगलौर और बद्रीनाथ की चढ़ाई को पार नहीं कर पाया। सवाल ये भी है कि क्या बद्रीनाथ के बाद केदारनाथ में होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस कमाल दिखा पाएगी या नहीं
उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट