KNEWS DESK- देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के सहस्त्रधारा क्षेत्र में कुदरत ने बीती रात ऐसा कहर बरपाया कि लोग अब भी दहशत में हैं। मंगलवार की रात करीब 1 बजे और फिर सुबह 4:30 बजे इलाके में बादल फटने की दो घटनाएं हुईं, जिससे सहस्त्रधारा नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया और उसमें मलबे व भारी पत्थर बहकर आ गए। इस आपदा ने न केवल जनजीवन को अस्त-व्यस्त किया, बल्कि सैकड़ों लोगों की वर्षों की मेहनत से बनाए गए मकानों और दुकानों को भी खतरे में डाल दिया।
नदी के दूसरे किनारे से अपने घरों को एकटक निहारते लोग बार-बार भगवान से यही पूछते नजर आए — “हे विधाता, कन रुठि तू, त्वै तें दया भि नि आई…” (हे भगवान, तुम किससे नाराज हो गए, क्या तुम्हें हम पर दया नहीं आई)। यह सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि उन लोगों की वेदना है जिनका सब कुछ एक झटके में उजड़ने की कगार पर है।
पुष्पा, अंशिका, मोतीलाल वर्मा और नीरज कुमार जैसे कई परिवार पिछले 25 वर्षों से सहस्त्रधारा नदी के किनारे अपना जीवन बिता रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन उन्हें अपना ही घर छोड़कर रातभर खुले आसमान के नीचे बैठना पड़ेगा। रात के समय प्रशासन ने उन्हें तुरंत घर खाली करने को कहा, जिसके बाद से वे अपने जरूरी दस्तावेज, कुछ गहने और बच्चों की किताबें लेकर बाहर निकल आए।
आपदा के बाद से अधिकांश लोग भूखे-प्यासे हैं। स्थानीय दुकानों में भी पानी भर गया है या वो खतरे की जद में हैं, जिससे खाने-पीने का कोई इंतजाम नहीं हो सका है। आंखों में आंसू और दिल में डर समेटे ये लोग अपने आशियानों की सलामती के लिए भगवान से लगातार प्रार्थना कर रहे हैं।
स्थानीय लोगों के अनुसार, बादल फटने के बाद नदी में आया तेज बहाव इतनी ताकतवर था कि अपने साथ भारी मात्रा में मलबा और पत्थर ले आया, जो सीधे किनारे बसे मकानों से टकराने लगे। कई घरों की नींव तक प्रभावित हुई है। अगर पानी का बहाव और बढ़ा, तो ये मकान पूरी तरह बह सकते हैं।
हालांकि प्रशासन ने समय रहते चेतावनी देकर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा, लेकिन स्थानीय निवासियों का कहना है कि अब तक उनके रहने, खाने और राहत का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किया गया है।
इलाके में कई दुकानें ऐसी हैं जो सीधे नदी किनारे बनी हुई हैं। इनमें से कुछ की दीवारें दरकने लगी हैं और दुकानदार अपने माल और संपत्ति को सुरक्षित करने के प्रयास में जुटे हैं।