उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, नियमितीकरण व समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग को लेकर उपनल कर्मचारियों का धरना आज 10वें दिन भी जारी है. उपनल के कर्मचारी परेड ग्राउंड के निकट सड़क के किनारे धरने पर बैठे हुए हैं. मंगलवार को उनकी मांगों के समर्थन में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल आंदोलनरत कर्मचारियों के धरना स्थल पर पहुंचे.अन्य विपक्षी दलों के साथ अब उपनल कर्मियों के आंदोलन को कांग्रेस ने भी समर्थन दिया है.कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने धरने पर बैठे कर्मियों से मुलाकात करते हुए उनका हालचाल जाना. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा वर्षों से इन कर्मचारियों की आवाज को अनसुना करना न्याय का खुलेआम अपमान है. यह कर्मचारी राज्य की रीढ़ हैं. बीते 9 दिन से सड़क पर धरने पर बैठे हुए ये कर्मचारी सरकार की कठोरता और तानाशाही का जीता जागता उदाहरण है. गोदियाल ने कहा कि कांग्रेस इनके समर्थन में कांग्रेस खड़ी है. जब तक इन्हें न्याय नहीं मिल जाता, कांग्रेस पार्टी पीछे हटने वाली नहीं है.आपको बता दे राज्य के सभी विभागों को मिलाकर करीब 22 हजार उपनल कर्मियों ने सोमवार दस नवंबर से कार्य बहिष्कार का फैसला लिया. उन्होंने इसे सरकार और ब्यूरोक्रेट्स की नाकामी बताते हुए कहा कि वर्ष 2018 में नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को चरणबद्ध तरीके से सभी उपनल कर्मियों को नियमित किए जाने को कहा था. उसके बावजूद सरकार ने इस आदेश पर अमल करने के बजाय सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. साल 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार की अपील खारिज कर दी.मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा तीन बार बड़े मंचों से कहा जा चुका है कि उपनल कर्मियों के लिए ठोस नियमावली बनाई जा रही है. और उन्हें नियमित सेवा में शामिल किए जाने के लिए योजना पर कार्य किया जा रहा है, लेकिन 8 महीने बीतने के बावजूद अभी तक कर्मियों के लिए कोई भी शासनादेश लागू नहीं किया गया है.जिसको लेकर स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा, वन विभाग, सिंचाई विभाग, प्रशासनिक और तकनीकी विभागों और कई सरकारी संस्थानों में तैनात उपनल के कर्मचारी दसवें दिन भी लगातार हड़ताल पर हैं.जिसको लेकर विपक्ष ने भी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।
हाल ही में हुई धामी कैबिनेट में इस बार उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण मामले को लेकर एक और कैबिनेट सब कमेटी का गठन किया गया है. इससे उपनल कर्मचारी बेहद नाखुश नजर आए.आपको बता दे बीते वर्षो में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से उत्तराखंड के उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर स्पष्ट आदेश के बाद भी लंबे समय से लटकाया जा रहा है. इस मामले पर उपनल कर्मचारियों ने राज्य स्थापना दिवस यानी 9 नवंबर तक राज्य सरकार को मौका दिया. उपनल कर्मचारियों को उम्मीद थी कि राज्य गठन के 25 साल पूरे होने और रजत जयंती वर्ष की वर्षगांठ 9 नवंबर 2025 को उत्तराखंड की धामी सरकार उपनल कर्मचारी के लिए नियमितीकरण से संबंधित कोई बड़ा फैसला लेगी. मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ. राज्य स्थापना के अगले ही दिन 10 नवंबर 2025 को प्रदेश के 22000 ओपन कर्मचारी प्रदेशभर में आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर सभी हड़ताल पर चले गए.जिसको लेकर अब कांग्रेस सहित अन्य दल भी उपनल कर्मियों के साथ सरकार के खिलाफ विरोध में उतर चुके है.
उपनल कर्मचारियों के लिए अब तक गठित की गई समितियां
15 मार्च 2016 मुख्य सचिव की अध्यक्षता में छह सदस्यीय कमेटी गठित
21 मार्च 2021 मुख्य सचिव की अध्यक्षता में छह सदस्यीय कमेटी गठित
19 फरवरी 2024 मुख्य सचिव की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी गठित
21 जुलाई 2025 प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में छह सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित
प्रदेश भर में स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा, वन विभाग, सिंचाई विभाग, प्रशासनिक और तकनीकी विभागों और कई सरकारी संस्थानों में तैनात उपनल के कर्मचारी लगातार हड़ताल पर हैं.वही अब राजधानी के सबसे बड़े सरकारी दून अस्पताल में उपनल कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से बिलिंग काउंटर से लेकर पर्चे बनाने के लिए मरीजों की लंबी कतारें लगी. दून अस्पताल से भी बड़ी संख्या में उपनल से तैनात वॉर्ड बॉय, नर्स ,फार्मासिस्ट, डाटा एंट्री ऑपरेटर और सफाई कर्मी हड़ताल पर रहे, जिससे मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. करीब डेढ़ सौ से अधिक कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से अस्पताल की व्यवस्थाएं भी चरमराई है.जिसको लेकर विपक्ष ने भी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। वही सत्ता पक्ष का कहना है कि उपनल कर्मचारीयों के हित में संकल्पबद्ध है वही समर्थन देते हुए विपक्ष को यह भी जानने की जरूरत है कि उनके कार्यकाल में उनके द्वारा उपनल कर्मचारीयों के लिए कोई रणनीतियाँ नही बनाई गयी और अब विपक्ष में रहकर सरकार पर सवाल खड़े करना उचित नही है. सरकार उपनल कर्मियों का लगातार संज्ञान ले रही है और निश्चित ही जल्द इसका समाधान भी निकालेगी
उपनल कर्मचारियों की सरकार को सीधे चेतावनी है की अभी तक केवल पूरे प्रदेश में देहरादून के दून अस्पताल के उपनल के माध्यम से लगे स्वास्थ्य कर्मचारियों को हड़ताल पर बुलाया गया है. जिनकी संख्या तकरीबन 300 के करीब है. अभी प्रदेश भर में अलग-अलग जगह पर उपनल के माध्यम से तैनात स्वास्थ्य कर्मियों और इमरजेंसी में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों को हड़ताल पर नहीं बुलाया गया है. अब जिस तरह से सरकार अपनी हठधर्मिता पर अड़ी है तो उसके बाद प्रदेश भर के इमरजेंसी और स्वास्थ्य कर्मियों को भी इस हड़ताल में बुलाया जाएगा.ऐसे में 22000 उपनल कर्मचारी प्रदेश भर में एक साथ सरकार के खिलाफ आंदोलन पर उतरते है. तो सरकार सहित आम जनता के लिए आगे समस्याएं खड़ी हो सकती है.अब देखना होगा सरकार अब कौन सा रास्ता प्रदेश हित और उपनल कर्मियों को खुश करने में ले पायेगी।