हर तरफ शोर ,सरकार करेगी आपदा कंट्रोल !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड में गर्मी की दस्तक के साथ ही जंगलों व शहरों में वनाग्नि का खतरा एक बार फिर से मंडराने लगा है। बीते कुछ वर्षों में उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र गर्मी में धधकते नजर आते रहे है. जिससे ना सिर्फ वन संपदा का भारी नुकसान होता है बल्कि स्थानीय आबादी पर्यावरण और जीव-जंतुओं के अस्तित्व पर भी संकट गहराने लगा है। इसी बढ़ते खतरे को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी जिलाधिकारियों और विभागीय सचिवों के साथ वर्चुअल बैठक कर वनाग्नि प्रबंधन और चारधाम यात्रा की तैयारियों की गहन समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने साफ निर्देश दिए कि वनाग्नि की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में उपकरणों और संसाधनों की समुचित व्यवस्था की जाए. साथ ही स्थानीय नागरिकों जनप्रतिनिधियों और मोबाइल गश्ती टीमों के सहयोग से त्वरित प्रतिक्रिया प्रणाली विकसित की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि वन विभाग और जिला प्रशासन को समन्वय बनाकर वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए प्रभावी रणनीति अपनानी होगी। संवेदनशील क्षेत्रों में टीमें तैनात कर मॉनिटरिंग की जाए। मोबाइल गश्ती दल सक्रिय किए जाएं और सूचना तंत्र को मजबूत बनाकर हर छोटी-बड़ी सूचना पर तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। साथ ही आज पूरे प्रदेश में आपदाओं से निपटने के लिए संयुक्त टीमों की चार धाम यात्रा को लेकर आज यू एसडीएमए बिल्डिंग स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र में मॉक ड्रिल भी जारी की गई है.जो आने वाले समय पर किसी भी आपदा से निपटने में कामयाब साबित होगी। वही विपक्ष ने सरकार के दावों को हवा-हवाई बताते हुए कहा सरकार की धरातल पर कोई तैयारी नही दिख रही।

गौरतलब है कि उत्तराखंड में हर साल सैकड़ों हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आ जाते हैं। 2024 में अकेले गर्मियों के मौसम में 1,000 से अधिक वनाग्नि की घटनाएं दर्ज की गई थी. जिनसे करीब 1,800 हेक्टेयर जंगल जलकर राख हो गए थे। इससे न केवल वन्यजीवों का प्राकृतिक घर नष्ट हुआ बल्कि कार्बन उत्सर्जन और ग्लोबल वॉर्मिंग पर भी गंभीर असर पड़ा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट किया कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए जनसहयोग अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि लोगों को जागरूक करने सूचनाओं को तुरंत साझा करने और वन संपदा को बचाने के लिए स्थानीय समाज की सक्रिय भागीदारी ज़रूर होनी चाहिए है।उत्तराखंड के जंगल आग से धधकने शुरू हो चुके है. कई क्षेत्रों में आग पर काबू पाने के बावजूद फिर जंगलों में आग लग रही है. वहीं विपक्ष ने सरकार के आपदा प्रबंधन तंत्र को फेल बताते हुए सरकार पर जमकर हमला बोला है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल बिष्ट ने कहा कि राज्य के जंगलों में वनाग्नि का फैलना चिंता का विषय बन गया है कुमाऊं और गढ़वाल मंडलों के पांच जिले ऐसे हैं जो व्यापक रूप से आग लगने की वजह से प्रभावित हुए हैं. उन्होंने कहा आपदा प्रबंधन तंत्र का सिस्टम गड़बड़ाया हुआ है। शासन प्रशासन की ओर से वनाग्नि को रोकने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन जंगलों में लगी आग को अब तक नियंत्रित नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि जो तैयारी सितंबर अक्टूबर से शुरू हो जानी चाहिए थी उसमें विलंब किया गया. उन्होंने सवाल उठाया कि हर साल होने वाली वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार पहले से ही जरूरी कदम क्यों नहीं उठाती। मई और जून भीषण गर्मी के महीने मानें जाते हैं, उन्होंने राजधानी देहरादून के बल्लू पुर के एक टावर में हुए भीषण अग्निकांड पर भी सरकार को घेरा। उन्होंने आश्चर्य जताया कि आग लगने के काफी देर बाद तक कोई जिम्मेदार आला अधिकारी, स्थानीय विधायक मौके पर नहीं पहुंचे. उन्होंने कहा कि राजधानी देहरादून के कई इलाकों में पानी का संकट गहरा गया है. लेकिन प्रदेश सरकार को जनता के दुखों से कोई लेना-देना नहीं है. ऐसे में विपक्ष को सड़कों पर उतर कर आंदोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

आपको बता दे फायर सीजन शुरू होते ही वन विभाग में आग बुझाने का काम करने वाले कर्मचारियों के लिए आधुनिक उपकरण भी उपलब्ध कराए हैं जिनमें आग न लगने वाले जूते, चश्मा और आग बुझाने के इक्विपमेंट दिए गए हैं। साथ ही वन विभाग की गस्ती गाड़ियों में भी पानी के गैलन रखे गए हैं.जिससे आग पर काबू पाया जा सके। वही सरकार की योजना हर घर जल हर घर नल के तहत नहीं मिल पा रहा पानी। हर साल बढ़ते तापमान को देखते हुए धामी सरकार ने आने वाले 10 सालो में 30 साल तक जल संकट से निपटने के लिए अधिकारियो को ठोस प्लान बनाने के लिए निदेशित किया है साथ ही वनाग्नि जैसे गंभीर मुद्दे को भी प्रमुखता से जटिल रहने के आदेश किए है तापमान लगातार बढ़ रहा है वनाग्नि की कुछ घटनाएं भी प्रदेश में मिली जिस पर वक्त रहते काबू भी पाया गया लेकिन आने वाला समय प्रदेश में बढ़ती गर्मी के साथ वनाग्नि और जल संकट पैदा करता दिखाई दे रहा है।जिससे निपट पाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती पैदा कर सकता है।