Knews Desk, देवभूमि उत्तराखंड में स्मार्ट सिटी पर मचे सियासी घमासान के बाद अब स्मार्ट मीटर पर सियासत गरमा गई है। दअरसल कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल इस स्मार्ट मीटर का विरोध कर रहे हैं। इसी के तहत कांग्रेसियों ने एक ओर जहां कुमाऊं कमिश्नरी का घेराव किया तो वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने भी प्रीपेड स्मार्ट मीटर के विरोध में मौन उपवास रखा.. इस दौरान उन्होने भाजपा सरकार पर अपनी चहैती कंपनी को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया है. साथ ही बिजली उपभोक्ताओं के बिजली बिलों में ढाई गुणा तक बढ़ोतरी की भी चिंता जताई है। आपको बता दें कि उत्तराखंड में स्मार्ट मीटर लगाने का कार्य शुरू हो गया है। उर्जा निगम का कहना है कि स्मार्ट मीटर लगाने के लिए उपभोक्ताओं से कोई भी शुल्क नहीं लिया जाएगा। स्मार्ट मीटर एक आधुनिक मीटर है। इसका पूरा कंट्रोल उपभोक्ताओं के हाथों में रहेगा। वहीं स्मार्ट मीटर पर मचे सियासी घमासान के बीच सरकार का दावा है कि उत्तराखंड पांच साल में बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बनेगा। इसके लिए सरकार ने पांच सालों में बिजली का उत्पादन राज्य की तय मांग से दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। बता दें कि उत्तराखंड पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड यानि की (पिटकुल) की ओर से सीएम आवास में आयोजित कार्यक्रम में खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह ऐलान किया। इस दौरान पिटकुल के एमडी पीसी ध्यानी की ओर से सीएम धामी को लाभांश के रूप में 11 करोड़ की धनराशि का चेक प्रदान किया गया। सवाल ये है कि क्या स्मार्ट प्रीपेड मीटर बिजली उपभोक्ताओं के पक्ष में है या फिर इसके बहाने स्मार्ट सियासत की जा रही है।
उत्तराखंड में अब जल्द ही पोस्टपैड मीटर की जगह अब प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगने जा रहा हैं। इसके लगने के बाद अब घर-घर आने वाले बिजली के बिलों से छुटकारा मिलेगा। इसके लगने के बाद सारा सिस्टम डिजिटल रहेगा. वहीं राज्य में अब स्मार्ट मीटर के विरोध में सियासत गरमा गई है। कांग्रेस ने सरकार पर एक निजी कंपनी को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया है। साथ ही कांग्रेस ने आशंका जताई है कि आने वाले दिनों में बिजली उपभोक्ताओं को महंगी बिजली मिलेगी जिससे फायदा निजी कंपनी को होगा जबकि आम लोगों पर महंगाई का एक ओर बोझ बढ़ेगा…इस योजना के विरोध में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मौन उपवास भी रखा। वहीं हरीश रावत के इस उपवास को बीजेपी ने पॉलिटिकल स्टंट बताया है।
आपको बता दें कि यूपी, बिहार के साथ ही उत्तराखंड राज्य में भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगने शुरू हो गए हैं। उर्जा निगम का कहना है कि स्मार्ट मीटर लगाने के लिए उपभोक्ताओं से कोई भी शुल्क नहीं लिया जाएगा। स्मार्ट मीटर एक आधुनिक मीटर है। इसका पूरा कंट्रोल उपभोक्ताओं के हाथों में रहेगा। वहीं स्मार्ट मीटर पर मचे सियासी घमासान के बीच सरकार का दावा है कि उत्तराखंड पांच साल में बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बनेगा। इसके लिए सरकार ने पांच सालों में बिजली का उत्पादन राज्य की तय मांग से दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। बता दें कि उत्तराखंड पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड यानि की (पिटकुल) की ओर से सीएम आवास में आयोजित कार्यक्रम में खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह ऐलान किया। इस दौरान पिटकुल के एमडी पीसी ध्यानी की ओर से सीएम धामी को लाभांश के रूप में 11 करोड़ की धनराशि का चेक प्रदान किया गया।
कुल मिलाकर उत्तराखंड में स्मार्ट सिटी पर मचे सियासी घमासान के बीच अब स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर सियासत शुरू हो गई है। एक ओर जहां कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल और बिजली उपभोक्ता बिजली महंगी होने की आशंका जता रहे हैं। जबकि सरकार और ऊर्जा निगम इसके लाभ गिनाते गिनाते नहीं थक रहे हैं। सवाल ये है कि क्या स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना सिर्फ आम जनता के फायदे के लिए हैं। क्या इस मीटर के बहाने सरकार किसी एक विशेष कंपनी को लाभ पहुंचा रही है। क्या स्मार्ट मीटर लगने के बाद प्राईवेट कंपनी मोबाईल रिचार्ज की तरह बिजली के दामों में बढ़ोतरी नहीं करेगी।