उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में यातायात दबाव को कम करने और राजधानी की बुनियादी संरचना को बेहतर बनाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के संकल्प के तहत रिस्पना और बिंदाल नदी पर चार लेन एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण किया जाना है। देहरादून में पिछले कुछ सालों में तेजी से शहरीकरण बढ़ा है। शहर के बाहरी इलाकों में भी अब नई कॉलोनियां बस रहीं हैं। इसी के साथ ही देहरादून में वाहनों की संख्या भी बढ़ रही है। सड़कों पर वाहनों का दबाव बढ़ने के चलते सड़कों पर यातायात प्रभावित हो रहा है और सरकारी मशीनरी पर नए और चौड़े मार्गों के निर्माण का दबाव बढ़ रहा है। सड़कों पर बढ़ते इसी दबाव को कम करने के लिए एक बड़ी पहल होने जा रही है। राज्य सरकार ने देहरादून शहर से होकर गुजरने वाली दो नदियों के ऊपर एलिवेटेड रोड बनाने का फैसला लिया है। इन मार्गों को इस तरह डिजाइन किया जाएगा कि अन्य राज्यों से आने वाले पर्यटकों को मसूरी जाने के लिए शहर से होकर न गुजरना पड़े। 3400 करोड़ की लागत से बिंदाल और रिस्पना पर एलिवेटेड रोड बनाने के लिए सरकार ने अपनी कार्रवाई शुरू कर दी है। बिंदाल नदी पर कुल 15 किमी की एलिवेटेड रोड बनाई जाएगी। इसके साथ ही रिस्पना पर 11 किमी की एलिवेटेड रोड का प्रस्ताव है। शासन स्तर पर इन एलिवेटेड सड़कों के लिए फिजिबिलिटी सर्वे करा लिया गया है। शुरुआती जानकारी के अनुसार रिस्पना पुल से सहस्त्रधारा और बिंदाल पुल से मैक्स अस्पताल तक इस रोड का निर्माण किया जाएगा। हालांकि एलिवेटेड रोड निर्माण का काम इतना आसान नहीं है। देहरादून में इस कार्य को पूरा करने में लंबा समय लग सकता है। एलिवेटेड रोड के निर्माण में कई ऐसी समस्याएं हैं जो इसके निर्माण को लंबा खींच सकती हैं। नदियों के किनारे अतिक्रमण इसमें से एक बड़ी समस्या है। जिसको लेकर राजनीति गरमा गई गई।
आपको बता दें पिछले कुछ सालों से बिंदाल और रिस्पना नदी को साफ करने और उनको उनके पुराने स्वरूप में लौटाने के लिए आवाज उठ रही हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने रिस्पना को उसके पुराने स्वरूप में लाने के लिए अभियान भी शुरू किया था। ऐसे में अब कुछ लोग नदियों की सेहत को लेकर फिक्रमंद हैं और एलिवेटेड रोड का विरोध कर रहें हैं। इस बात में दो राय नहीं है कि देहरादून की सड़कों पर वाहनों का बहुत अधिक दबाव है. लेकिन सच ये भी है कि देहरादून अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र रहा है। ऐसे में देहरादून शहर के बीच से बहने वाली नदियों के ऊपर सड़क बन जाने से नदियों के रिवाईवल की उम्मीदें कम हो जाएंगी। जिलाधिकारी सविन बंसल ने कहा नदी किनारे से अतिक्रमण एवं मलिन बस्तियों को हटाने की कार्यवाही की जानी हैं। हमारा दायत्वि है मलिन बस्ती के लोगों को व्यवसाय से जोड़ते हुए सुरक्षित जगह पर पुनवार्सित किया जाना है ताकि बस्तियों की नई पीढी के लिए एक सुरक्षित अच्छा जीवन जीने तथा नदी, नालों को प्रदूषण मुक्त करते हुए उनके बहाव में बाधा न आए। जिसके लिए इन नदियों के भीतर विद्युत लाईन, हाईटेंशन लाईन, सीवर लाईन इत्यादि का नदी से बाहर विस्थापन किया जाना है।
वही कांग्रेस का कहना है भाजपा सरकार देहरादून की मलिन बस्तियों को लटकाए रखना चाहती है ताकि ऐन चुनाव से पहले लोगों को कोर्ट के आदेश का डर दिखा कर अध्यादेश लाकर बचाने का ढोंग रचा जा सके भाजपा यह षड्यंत्र पिछले दो निकाय चुनावों से कर रही है अब दूसरी बार भी जब अध्यादेश का समय पूरा हो रहा है तो फिर से अध्यादेश लाने के तैयारी है जबकि सरकार को कांग्रेस सरकार के समय बनाए गए नियमितीकरण और मालिकाना हक देने के कानून का पालन करना चाहिए था ताकि इस समस्या का स्थायी समाधान हो गया होता। कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा माहरा दसौनी ने कहा कि जब 2018 में प्रदेश की मलिन बस्तियों को उजड़ने से बचाने के लिए मलिन बस्ती विकास परिषद ने कांग्रेस के बैनर तले मुख्यमंत्री आवास कूच किया था, तब त्रिवेंद्र सरकार पहली बार मलिन बस्तियों के बारे में अध्यादेश लाई थी जिसे दोबारा 2021 में तीन वर्षों के लिए लाया गया अब इस अध्यादेश का समय भी समाप्त हो रहा है तो एक बार फिर राज्य सरकार एक नया अध्यादेश लाने की तैयारी कर रही है, जबकि छह वर्षों में राज्य सरकार को मलिन बस्तियों के नियमितीकरण मालिकाना हक और पुनर्वास का इंतजाम कर लेना चाहिए था लेकिन भाजपा सरकार इस मुद्दे का स्थाई समाधान होने ही नहीं देना चाहती. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा सरकार के पास कोई रोड मैप नही है.सरकार को बताना होगा जिन ढाई से तीन हज़ार घरो को उजाड़ा जाएगा उनका विस्थापन कहा होगा।
राज्य सरकार ने देहरादून शहर से होकर गुजरने वाली दो नदियों के ऊपर एलिवेटेड रोड बनाने का फैसला लिया है। 3400 करोड़ की लागत से बिंदाल और रिस्पना पर एलिवेटेड रोड बनाने के लिए सरकार ने अपनी कार्रवाई शुरू कर दी है। सरकार का उद्देश्य एलिवेटेड रोड बनाने के साथ आम जनता को अच्छा जीवन का हक दिलाना . मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित माहौल देने की कोशिश की जा रही है. जल्द ही इस पूरी योजना की उच्च स्तरीय समीक्षा की जाएगी. स्लम फ्री देहरादून के लिए पुनर्वास की एक ठोस कार्य योजना तैयार की जाएगी. देहरादून शहर की नदियों और पर्यावरण को बेहतर बनाने की दिशा में काम तेज कर दिया गया है. साथ ही पुनर्वास नीति बनाकर नदी किनारे की झुग्गियों और अतिक्रमण को हटाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.अब देखने वाली बात ये होगी।अब तक मलिन बस्तियों में रहने वाली जनता ने हमेशा उन पार्टियों को ही वोट दिया है जिसकी वजह से ये मलिन बस्तियों विस्थापित है अगर जनता से किए वादे पर सरकार इनके लिए कोई बेहतर कदम उठाने में चूक जाती है तो इसका खामियाजा आने वाले चुनाव पर भी मलिन बस्तियों के वोट बैंक से पड़ना तय है।इसमें फिर सत्ता पक्ष हो या विपक्ष।