वन्यजीवों के खुले पांव,दहशत में गांव गांव !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड में लंबे समय से मानव वन्यजीव संघर्ष लगातार देखने को मिल रहा है अब खाने की तलाश में खौफनाक जानवर रिहायशी इलाकों का रुख कर रहे हैं यह बेहद चिंता का विषय है यह एक ऐसी समस्या है जो उत्तराखंड के जीवन जीविका और समाज को सीधे तौर पर प्रभावित करती है उत्तराखंड के गांव में रहने वाले लोग तेंदुआ और भालू के आतंक की वजह से अपने गांव तक छोड़कर शहरी इलाकों में बसने के लिए मजबूर हो चले हैं. इससे तेंदुओं की उत्तराखंड के शहरों तक पहुंच बेहद आसान हो गई है और यह संघर्ष लगातार बढ़ता जा रहा है. राज्य सरकार और केंद्रीय संस्थाएं इसके समाधान के लिए अब तक अच्छा खासा धन भी खर्च कर चुकी है लेकिन इसके बावजूद भी समस्या का कोई समाधान नहीं निकल पाया बल्कि यह अपने विकराल रूप में समस्या आगे और बढ़ती दिखाई दे रही है.वही उत्तराखंड में पर्वतीय क्षेत्रों में वन्य जीव और मानव संघर्ष अब भयावह रूप लेता जा रहा है। आए दिन भालू के हमले लोगों की जान ले रहे हैं, वहीं वन विभाग भी इन हमलों को रोकने में नाकाम साबित हो रहा है। इसी से आक्रोशित होकर राजधानी देहरादून में वन मुख्यालय में प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस गणेश गोदियाल के नेतृत्व में कांग्रेस जनों ने घेराव किया। वन मुख्यालय में धरने पर बैठे साथ सरकार और विभाग की लापरवाही के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन भी किया।

वर्ष 2025 में रुद्रप्रयाग जिले के भीतर गुलदार के हमलों में 4 लोगों की मौत हुई है. जबकि 12 लोगों को गुलदार ने घायल किया है. इसी तरह इस वर्ष अभी तक भालू के हमले में 14 लोग घायल हो चुके हैं. वर्ष 2022 से अभी तक के आंकड़ों पर गौर करें तो जंगली जानवरों के हमलों में सबसे अधिक लोगों की मौत और घायल जिले में इसी वर्ष 2025 हुए हैं. इन दिनों भी अलग-अलग क्षेत्रों में गुलदार और भालू का आतंक बना हुआ है. पौड़ी क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्र में गुलदार के बढ़ते आतंक के खिलाफ आक्रोशित ग्रामीणों ने आज भी पौड़ी श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के गडोली से ढांडरी लिंक मोटर मार्ग तिहारे पर धरना प्रदर्शन किया और सरकार और वन विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इस दौरान ग्रामीणों ने क्षेत्र में बढ़ती गुलदार की घटनाओं और उसके आतंक के खिलाफ आक्रोश जताया और क्षेत्र में आतंक का पर्याय बने गुलदार को मारने की मांग की। वही प्रदेश में हो रही मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार के लिए यह चुनौती है। लेकिन जिन लोगों के साथ यह घटनाएं सामने आई हैं। इसको लेकर सरकार संवेदनशीलता से काम कर रही है। इस मामले में हाई लेवल बैठक भी की जा चुकी है. मानव वन्य जीव संघर्ष में जिन लोगों की मौत हो जाती है उन्हें 4 लाख दी जाने वाली धनराशि को 10 लाख किया गया है। जो लोग घायल होंगे उनके स्वास्थ्य की रेख देख करने के लिए प्रदेश सरकार कटिबद्ध है. और नि शुल्क में उन्हें उपचार दिया जाएगा। बता दें कि प्रदेश में लगातार मानव वन्य जीव घटनाएं सामने आ रही हैं जिससे पहाड़ से लेकर मैदान तक कई लोग परेशान है, पहाड़ों ने भालू व गुलदार का हमला आए दिन हो रहा है तो वहीं मैदान में हाथियों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है। इसी से आक्रोशित होकर राजधानी देहरादून में वन मुख्यालय में प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस गणेश गोदियाल के नेतृत्व में कांग्रेस जनों ने घेराव किया। वन मुख्यालय में धरने पर बैठे साथ सरकार और विभाग की लापरवाही के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन भी किया। वही आज हुए धामी कैबिनेट के फैसले पर भी वन्यजीव संघर्ष में घायलों को मुफ्त इलाज के साथ मृत्यु होने पर धन राशि छः लाख से बढ़ा कर दस लाख कर दी गई है. 

उत्तराखंड में इनदिनों मानव वन्यजीव संघर्ष एक बड़ा मुद्दा बन गया है. क्योंकि, आए दिन कहीं न कहीं से गुलदार, भालू, बाघ, हाथी समेत अन्य वन्यजीवों के हमले की घटनाएं लगातार सामने आ रही है. जिसमें कई लोग घायल हो चुके हैं तो कुछ लोग जान भी गंवा चुके हैं.वहीं, जंगली जानवरों के हमले को लेकर आम लोगों के बढ़ते आक्रोश के बीच राजनीतिक दलों ने भी इस पर बहस तेज कर दी है. इधर, वन्यजीवों को लेकर कांग्रेस खुद की टास्क फोर्स ग्रामीण स्तर पर बनाने का विचार कर रही है. तो उधर, बीजेपी वन्यजीवों पर कांग्रेस के सड़कों पर उतरने को राजनीति बता रही है.

कुल मिलाकर उत्तराखंड में मानव वन्यजीव संघर्ष लगातार बढ़ रहा है जो कि चिंता की बात वहीं अब पहाड़ों के बाद मैदानी क्षेत्रों में भी लगातार जंगली जानवरों का आतंक देखने को मिल रहा है। वहीं पिछले एक माह बाद भी गुलदार के ना पकड़े जाने पर सवाल खडे हो रहे हैं।पौड़ी में ग्रमीण 4 दिनों से धरने पर बैठे है. खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बढ़ते मानव वन्यजीव संघर्ष पर चिंता जता चुके हैं। ऐसे में क्या वन विभाग अब इस संघर्ष को रोकने की दिशा में कोई कार्य करेगा या नहीं

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