लोकभवन ने लौटया,  यूसीसी बिल मुद्दा गरमाया !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट , उत्तराखंड विधानसभा के लिए 7 फरवरी 2024 का दिन ऐतिहासिक रहा था.क्योंकि समान नागरिक संहिता विधेयक पास करने के साथ ही उत्तराखंड विधानसभा ने यूसीसी बिल पास करने वाली देश की पहली विधानसभा का गौरव भी हासिल कर लिया था.लेकिन अब यूसीसी बिल पास को लेकर लोकभवन से एक बार यूसीसी बिल को रिजेक्ट कर दिया गया है.आपको बता दे, ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में हुए विधानसभा सत्र में 20 अगस्त को पारित समान नागरिक संहिता संशोधन विधेयक को लोक भवन ने वापस लौटा दिया है। विधेयक की धारा-चार में निर्धारित आयु से कम में विवाह पर सजा के प्रावधान का दो बार उल्लेख किए जाने पर लोकभवन ने आपत्ति जताई है। इससे पहले उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता एवं विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम में संशोधन विधेयक को लिपिकीय त्रुटियों के कारण लोक भवन ने वापस लौटाया था। सूत्रों के अनुसार अधिनियम में किए गए सख्त प्रावधानों को लागू करने में देर न हो, इसके दृष्टिगत सरकार अध्यादेश लाने जा रही है। धर्मस्व विभाग इसकी तैयारी में जुटा है।उत्तराखंड में UCC पहले से लागू है, जिसमें विवाह पंजीकरण का प्रावधान भी शामिल है. विवाह पंजीकरण के लिए दी गई एक साल की अतिरिक्त समय-सीमा बढ़ाने को लेकर… जो संशोधन विधेयक राजभवन भेजा गया था, उसमें भी लिपिकीय त्रुटि सामने आई. इस वजह से राजभवन ने इसे भी लौटाया है.वही अब विपक्षी दल यूसीसी बिल को सरकार की मनमानी और जल्दबाजी में लिए निर्णय का परिणाम बता रहे है.

उत्तराखंड पहाड़ी बहुमूल्य जैसे प्रदेश में यूसीसी बिल पास करना मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के समय का बड़ा फैसला अब तक माना गया है.हालाकि विपक्ष के कड़े विरोध के बाद भी धामी यूसीसी बिल पास करने को लेकर अटल रहे जिसको प्रदेश के हित में माना का विधानसभा में पास भी करा लिया गया जिस पर अब राजयपाल की अनुमति मिलने के बाद प्रदेश में लागू करने की प्रकिर्या को भी अमल में लाया जा रहा था.लेकिन कही न कही कमियों के कारण समान नागरिक संहिता संशोधन विधेयक को लोक भवन ने वापस लौटा दिया है। विधेयक की धारा-चार में निर्धारित आयु से कम में विवाह पर सजा के प्रावधान का दो बार उल्लेख किए जाने पर लोकभवन ने आपत्ति जताई है।अब समान नागरिक संहिता संशोधन को लेकर विपक्ष ने सरकार पर कई सवाल खड़े कर दिए है.

 आपको एक नजर में बताते है, उत्तराखंड में कैसे तैयार हुआ यूसीसी का ड्राफ्ट

यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए समिति ने लिए तमाम सुझाव.
कमेटी ने ड्राफ्ट तैयार करने के लिए करीब ढाई लाख से अधिक लोगों से लिए सुझाव.
उत्तराखंड के निवासियों, सरकारी, गैर सरकारी संस्थाओं, संगठनों से भी लिए गए सुझाव.
प्रदेश के विधायकों से भी समिति ने लिए सुझाव.
समिति ने प्रदेश के सभी जिलों में जाकर आम जनता से लिए सुझाव.
विशेषज्ञ समिति ने ड्राफ्ट के लिए प्रदेश के राजनीतिक दलों से लिए सुझाव.
यूसीसी ड्राफ्ट के लिए कमेटी ने विदेशों के कुछ कानूनों का भी किया अध्ययन.
यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए गठित कमेटी ने ड्राफ्ट कर लिया है मसौदा तैयार.

समान नागरिक संहिता संशोधन बिल एक बार फिर राजनीतिक पार्टियों की चर्चा में बना हुआ है.एक तरफ समान नागरिक संहिता संशोधन बिल को लेकर सत्ता पक्ष बिल में हुई कमियों को लेकर भी विपक्ष पर ही आरोप लगा रहा है,भाजपा के राज्यसभा सांसद नरेश बंसल का तो यही मानना है जब सरकार बिल को लेकर विपक्षी दलों से राय मांग रही थी तब यही दल बिल का विरोध करने में जुटे थे समान नागरिक संहिता संशोधन बिल को पड़ने और कमियों को बताने तक का समय विपक्ष के पास नहीं था,अब संशोधन सुधार करने पर भी राजनीती कर रहे है.

यूसीसी उत्तराखंड संशोधन विधेयक की धारा 4 के खंड 3 पर लोक भवन ने आपत्ति जताई है. क्योंकि इसके प्रावधान मूल अधिनियम में भी शामिल हैं. ऐसे में इस संशोधन विधेयक के संबंध में राज्यपाल की ओर से दिए गए संदेश के साथ इस विधेयक को दोबारा से सदन में पारित करना होगा.जानकारों के मुताबिक सरकार के पास अब यही रास्ता है की लोक भवन की ओर से हाल ही में वापस लौटाए गए उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता एवं विधि विरुद्ध प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक, 2025 को लागू करने के लिए धर्मस्व एवं संस्कृति विभाग काम में जुट जाए. जिसकी मुख्य वजह यही है कि ये विधेयक सरकार के सबसे महत्वपूर्ण विधेयकों में से एक है. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि इस संशोधन विधेयक को नए विधेयक के रूप में विधानसभा में पारित होने से पहले राज्य सरकार इस अध्यादेश के जरिए लागू कर सकती है. ताकि इसके सख्त प्रावधानों को लागू रखा जा सके. साथ ही भविष्य में होने वाले विधानसभा सत्र में सरकार इसे विधेयक के रूप में आसानी से पारित कर सकेगी.उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता एवं विधि विरुद्ध प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक, 2025 इसलिए खास है, क्योंकि सरकार ने जबरन धर्मांतरण के लिए सजा के सख्त प्रावधान यानी आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान किया है.ऐसे में चुनाव की नजदीकियां भी है और धामी सरकार के लिए एक बार फिर ucc बिल को विधानसभा सत्र में विधेयक के रूप पास करना टेढ़ी खीर.

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