KNEWS DESK- फर्जीवाड़े के किस्से अक्सर लोगों के मुंह से और सोशल मीडिया से सुनने को मिल जाते हैं पर राजस्थान से एक ऐसा मामला सामने आया है कि फर्जीवाड़े में मुख्यमंत्री को ही शामिल कर लिया और पुलिस से मांग कर डाली। पुलिस को संदेह होने पर जब जांच हुई तब जाकर मामला खुला और फर्जीवाड़ा करने वाले शातिर सराखों के पीछे भेजे गए।
मामला राजस्थान से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। अहमदाबाद का रहने वाला श्रेय मेहता, रतनगढ़ का निर्मल इनानी और पाली का रहने वाला वीरेंद्र प्रताप सिंह ने राजस्थान के रणथंबौर नेशनल पार्क घूमने की योजना बनाई। इसके लिए प्रोटोकाल और सरकारी जिप्सी की इच्छा रखते हुए आरोपियों ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन भागवत के नाम से फर्जी लेटर बनवाया और राजस्थान के डीएफओ को भेजकर सरकारी जिप्सी और प्रोटोकाल की मांग की।

ये लेटर आरोपियों ने 31 मार्च को डीएफओ के पास भेजा था। लेटर मिलने के बाद हरकत में आये वन विभाग ने मध्य प्रदेश के अधिकारियों से संपर्क किया और मामले की जानकारी लेनी चाही। मध्य प्रदेश के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री द्वारा जारी ऐसे किसी भी लेटर से इंकार कर दिया। इस मामले में वन विभाग की तरफ से कोतवाली में मुकदमा दर्ज करवाया। मुकदमा दर्ज होते ही हरकत में आई पुलिस ने मामले की पड़ताल करनी शुरू की। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए लेटर जारी करने वाले तीनों अभियुक्तों को हिरासत में लेते हुए जेल भेज दिया।
पुलिस जांच में पता चला कि श्रेय मेहता अहमदाबाद में एक रियल डायमंड फर्म चलाता है, जिसमें निर्मल और वीरेंद्र कर्मचारी हैं. श्रेय मेहता 29 मार्च को रणथंभौर घूमने आया था, लेकिन उसे सफारी के टिकट नहीं मिल पाए। तब उसने अपने कर्मचारियों को किसी भी तरह टिकट का इंतजाम करने को कहा। निर्मल इनानी ने दावा किया कि उसका एक दोस्त मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के ओएसडी जगदीश जोशी को जानता है और वह उनके नाम से लेटर जारी करवा सकता है, लेकिन हकीकत में निर्मल ने ऑनलाइन एक फर्जी लेटर तैयार किया और वीरेंद्र को दिया। इसके बाद वीरेंद्र ने रणथंभौर पर्यटन डीएफओ को जगदीश जोशी के नाम से कॉल कर लेटर वॉट्सएप कर दिया।