राजस्थान के आधा दर्जन जिलों में लड़कियों को स्टाम्प पेपर पर बेचे जाने वाली खबर को
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने स्वत: संज्ञान लिया है। आयोग ने राजस्थान के मुख्य सचिव को एक नोटिस जारी कर इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट के साथ-साथ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट और पहले से किए गए उपायों आदि की रिपोर्ट तलब की है। आयोग ने जवाब देने के लिए सरकार को चार सप्ताह का समय दिया है।
यही नहीं आयोग ने राजस्थान के पुलिस महानिदेशक को भी नोटिस जारी किया गया है। इस नोटिस में ऐसी घटनाओं में प्राथमिकी दर्ज करने, आरोप पत्र, गिरफ्तारी, यदि कोई हो, सहित मामलों की स्थिति और राज्य में देह व्यापार के इस तरह के व्यवस्थित अपराधों में शामिल लोगों को पकड़ने के लिए शुरू की गई व्यवस्था भी शामिल होनी चाहिए।
एनएचआरसी ने अपने विशेष प्रतिवेदक, उमेश कुमार शर्मा को राजस्थान में प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने और क्षेत्र से आई घटनाओं पर एक व्यापक रिपोर्ट तीन महीने में प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
आयोग ने कहा है कि, रिपोर्ट में यह भी शामिल होना चाहिए कि राज्य सरकार कैसे संवैधानिक प्रावधानों या पंचायती राज कानून के अनुसार ग्राम पंचायत के कार्यों को सुनिश्चित कर रही है? ताकि राज्य में लड़कियों और महिलाओं के मानव अधिकारों और गरिमा के अधिकार को प्रभावित करने वाली जाति आधारित व्यवस्था को समाप्त किया जा सके।
आयोग के मुताबिक, राजस्थान के आधा दर्जन जिलों में लड़कियों को स्टाम्प पेपर पर बेचा जाता है तथा विवादों के निपटारे के लिए जाति पंचायतों के फरमान पर उनकी माताओं के साथ बलात्कार किया जाता है। कथित तौर पर, जब भी दोनों पक्षों के बीच विशेष रूप से वित्तीय लेनदेन और ऋण आदि को लेकर कोई विवाद होता है, तो पैसे की वसूली के लिए 8-18 वर्ष की आयु की लड़कियों की नीलामी की जाती है।
इन लड़कियों को यूपी, एमपी, मुंबई, दिल्ली और यहां तक कि विदेशों में भेजा जा रहा है और गुलामी में शारीरिक शोषण, प्रताड़ना और यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स ने ऐसे जघन्य अपराधों के शिकार कई लोगों की इन विकट परिस्थितियों का दस्तावेजीकरण किया है।