बिहार चुनाव के बाद,मंत्रिमंडल की सुबगुहाट ! 

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट , बिहार विधानसभा चुनाव संपन्न होने और नेता सदन का नाम तय होने के बाद उत्तराखंड में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं तेज हो गई है. बीजेपी पहले ही इस बात को कह चुकी है कि बिहार चुनाव के बाद उत्तराखंड में मंत्रिमंडल के विस्तार की पूरी संभावना है. ऐसे में अब जब बिहार चुनाव के संपन्न हो गए हैं और ताजपोशी की तैयारी चल रही हैं तो वहीं उत्तराखंड में मंत्रिमंडल विस्तार की संभावनाएं भी प्रबल होने लगी है. इसके पीछे की एक मुख्य वजह बिहार चुनाव में एनडीए का प्रचंड बहुमत बताया जा रहा है.उत्तराखंड में साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद से ही मंत्रिमंडल के तमाम पद खाली चल रहे हैं. हालांकि, समय-समय पर मंत्रिमंडल के खाली पदों को भरने की चर्चाएं भी उठती रही है. वर्तमान सरकार को चार साल का वक्त पूरा होने जा रहा है, लेकिन अभी तक मंत्रिमंडल विस्तार की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है. जबकि, सीएम धामी के दिल्ली दौरे पर जाने या फिर विधायकों का उनसे मुलाकात का सिलसिला तेज होने के साथ ही प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं तूल पकड़ने लगती हैं. ऐसे ही कुछ स्थिति उत्तराखंड में इन दिनों देखी जा रही है. बता दें कि धामी मंत्रिमंडल में 5 सीटें खाली चल रही है. क्योंकि, साल 2022 में सीएम धामी के नेतृत्व में सरकार का गठन होने के बाद से ही 3 सीटें खाली चल रही थी, लेकिन साल 2023 में कैबिनेट मंत्री चंदन रामदास का निधन और 16 मार्च 2025 को कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफा दिए जाने के चलते वर्तमान समय में धामी मंत्रिमंडल में कुल 5 सीटें खाली चल रही है.वही कांग्रेस ने लम्बे समय से मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर धामी सरकार से जवाब माँगा है कि  मंत्रिमंडल का विस्तार अभी तक क्यों नहीं हुआ, इसका जवाब मुख्यमंत्री को देना चाहिए. इसके साथ ही बीजेपी विधायक बेकाबू हो रहे हैं, इसका जवाब भी सीएम को देना चाहिए और मंत्रिमंडल विस्तार न होने से प्रदेश को कितना नुकसान हुआ है, इसका जवाब भी उन्हें देना होगा.ऐसे में फिर एक बार मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर जुबानी जंग जारी है.

प्रदेश में अब राजनीतिक दलों के सामने अगली चुनौती वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव की है। इस महासमर से पहले राज्य मंत्रिमंडल के विस्तार की कसरत को अंजाम तक पहुंचाने का इंतजार है। धामी मंत्रिमंडल में वर्तमान में पांच सीटें रिक्त हैं। मंत्रिमंडल की कुल 12 में से सात सीट भरी हैं। रिक्त सीट को भरने के लिए लंबे समय से कसरत चल रही है. लेकिन इसमें लगातार देरी देखने को मिल रही है । हालांकि अगले विधानसभा चुनाव से पहले मंत्रिमंडल में विस्तार और फेरबदल को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसको लेकर सीडब्ल्यूसी मेंबर और पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का कहना है कि अब तो चुनाव सामने आ गए हैं. वर्किंग बोर्ड केवल पांच से छह महीने का रह गया है उसके बाद चुनाव की तैयारी हो जायेगी तो अब बनाए या ना बनाए इससे फरक नहीं पड़ता लेकिन कैबिनेट खाली रखकर भाजपा ने जरूर जनता का नुकसान किया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी के पास योग्य लोग हैं. ही नहीं ,ये इससे पता चलता है. कि अभी भी 90 प्रतिशत मंत्री ओर प्रवक्ता कांग्रेस पृष्ठभूमि के हैं। वही मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भाजपा का मानना है कि हमारी सरकार मौजूदा मंत्रियों और उनके काम से खुश हैं.जब काम सही हो रहा है तो और मंत्रिमंडल को बढ़ाने की जरुरत ही नहीं है.कांग्रेस आपने सगठन का ध्यान रखे भाजपा में सब अच्छा है और सरकार सही काम कर रही है.

 

आगामी 2027 के चुनाव से पहले और बिहार चुनाव के बाद अटकलें लगाई जा रही थी जल्द धामी मंत्रिमंडल विस्तार होगा।लेकिन भाजपा और कांग्रेस की इस जुबानी जंग में अभी तक ये स्पष्ट नहीं है. की आखिर खाली पड़े मंत्रिमडल आगे भरे भी जायेगे या नहीं एक तरफ पदों को लेकर कांग्रेस जनता से धोखा देने का आरोप भाजपा पर लगा रही है. वही भाजपा सब कुछ सरकार में चलने का दावा कर रही है. ऐसे में मंत्रिमंडल का लम्बे समय से विस्तार ना होना आम जनता के लिए कितना हित करी है. ये आप समझ ही सकते है.

 बिहार चुनाव के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार किया जा सकता है. इसके बाद से ही बीजेपी विधायकों के दिल की धड़कनें बढ़ी हुई है. साथ ही नेता मंत्री पद पाने के लिए दिल्ली दौड़ के साथ ही एड़ी से चोटी तक का जोर लगा रहे हैं. उत्तराखंड में साल 2027 में विधानसभा का चुनाव होना है, उससे पहले मंत्रिमंडल का विस्तार काफी महत्वपूर्ण भी माना जा रहा है. बीजेपी के रणनीतियों पर बात करें तो साल 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले यानी साल 2021 में नेतृत्व परिवर्तन कर दिया गया था. ताकि, एंटी इनकंबेंसी को दूर किया जा सके. ऐसे में आगामी 2027 से पहले 2026 में मंत्रिमंडल का विस्तार की चर्चाएं काफी ज्यादा तेज है. क्योंकि, अगर विधानसभा चुनाव से पहले मंत्रिमंडल का विस्तार होता है, तो ऐसे में समय-समय पर नेतृत्व परिवर्तन की उठने वाली सुगबुगाहट पर न सिर्फ विराम लगेगी. बल्कि, नाराज चल रहे नेताओं को भी मनाने में सरकार कामयाब हो जाएगी. जो आगामी विधानसभा चुनाव में संगठन के लिए काफी फायदेमंद भी साबित हो सकती है.लेकिन विपक्ष मंत्रिमंडल विस्तार में देरी होने पर सरकार फेलियर और जनता को धोखा देने की बात कर रहा है.