नन्हीं परी आरोपी बरी !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट , उत्तराखण्ड में आज-कल नन्ही परी मामला सुर्ख़ियों में है। उसके गुनहगारों को सजा दिलाये जाने के लिए धरना-प्रदर्शन जारी है. पिथौरागढ़ की नन्ही परी केस को रीओपन कराए जाने की मांग को लेकर हल्द्वानी से देहरादून तक महिलाएं , बुजुर्ग, युवा, व्यापारी, कर्मचारी संगठन, पूर्व सैनिक, राजनीतिक संगठन, विभिन्न सामाजिक संगठन ने एकजुट होकर सड़कों पर उतर कर आक्रोश जताया है तो कांग्रेस ने कैंडल मार्च निकालते हुए विरोध जताया है. कांग्रेस का कहना है कि नन्ही परी की आत्मा आज हमसे न्याय की पुकार कर रही है। यह सिर्फ एक बच्ची का मामला नहीं पूरे समाज की अस्मिता का सवाल है। हम सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार की अपील करते हैं और सरकार से मांग करते हैं कि वह इस मामले में हस्तक्षेप कर न्याय सुनिश्चित करे। यह फैसला न्याय की आत्मा को आहत करता है। कांग्रेस पार्टी हर बेटी की सुरक्षा और सम्मान के लिए संघर्ष करती रहेगी। हम इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे। वही नन्ही परी के साथ हुई दरिंदगी के मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के निर्देश दे दिए हैं।

उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ में नन्ही परी केस को लम्बा अरसा गुज़र जाने के बाद अब आपके लिए ये जानना ज़रूरी है कि आखिर नन्ही परी कौन थी और उसके सम्मान के लिए लोग गुस्से में क्यों हैं। बता दें कि 20 नवंबर 2014 को कुमाऊं के पिथौरागढ़ की 6 साल की मासूम बच्ची अपने परिवार के साथ एक शादी समारोह में गई थी. जहां से वो अचानक लापता हो गई थी. काफी तलाश करने पर भी वो नहीं मिली. घटना के 6 दिन बाद बच्ची का शव गौला नदी से बरामद हुआ था। वहीं पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बच्ची के साथ दुष्कर्म फिर हत्या की पुष्टि हुई. इस घटना से लोगों में भारी गुस्सा भड़क गया था. और उन्होंने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया. तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के काफिले पर भी गुस्साई भीड़ ने हमला कर दिया था. पूरे प्रदेश में इस घटना को लेकर उस दौरान बहुत बड़ा आन्दोलन हुआ था। इस घटना के 8 दिन बाद पुलिस ने चंडीगढ़ से मुख्य आरोपी अख्तर अली को गिरफ्तार कर लिया था. उसके साथ ही दो अन्य आरोपी प्रेमपाल और जूनियर मसीह को भी गिरफ्तार किया गया था. वहीं मार्च 2016 में हल्द्वानी की एडीजे स्पेशल कोर्ट ने आरोपी अख्तर अली को गैंगरेप एवं हत्या का दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुना दी थी. प्रेमपाल को पांच साल की सजा दी गई. वहीं तीसरे आरोपी को बरी कर दिया था. अक्टूबर 2019 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने निचली अदालत के इस फैसले को बरकरार रखा. लेकिन सुप्रीम कोर्ट से मुख्य आरोपी बरी हो गया है. जिसको लेकर प्रदेश में दोबारा धरना-प्रदर्शन जारी हो गए है. वही मौके की नजाकत को देखते हुए नन्ही परी के साथ हुई दरिंदगी के मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के निर्देश दे दिए हैं। इस मामले में आरोपित को सुप्रीम कोर्ट से दोषमुक्त किए जाने का संज्ञान लेते हुए. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश की बेटियों के साथ दरिंदगी करने वालों को सजा दिलाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। इस मामले में आरोपित को लोअर कोर्ट और हाईकोर्ट से सजा हो चुकी थी, लेकिन अब किन्हीं कारण से सुप्रीम कोर्ट से आरोपित बरी हो चुका है। इसलिए न्याय विभाग को इस प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पुनर्विचार याचिका दाखिल करते हुए. मजबूत पैरवी के साथ सजा सुनिश्चित कराए जाने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इस केस को मजबूती से लड़ेगी. इसमें अच्छी से अच्छी लीगल टीम को लगाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि में इस तरह के कुकृत्य करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। न्याय की इस लड़ाई में सरकार पूरी तरह पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि ऐसे असामाजिक तत्वों की पहचान के लिए सरकार लगातार प्रदेश में सत्यापन अभियान चला रही है। सरकार देवभूमि की अस्मिता पर कोई चोट नहीं पहुंचने देगी।

वही विपक्ष का कहना है कि उत्तराखण्ड सरकार की संवेदनहीनता और कमजोर पैरवी ने एक निर्दोष मासूम बच्ची की न्याय की उम्मीद को बुरी तरह चोट पहुँचाई है। पिथौरागढ़ क्षेत्र में हुई उस जघन्य घटना ने पूरे समाज को हिला कर रख दिया था. जब एक नन्ही परी के साथ दरिंदगी की गई और फिर उसकी निर्मम हत्या कर दी गई। इस अमानवीय कृत्य के दोषियों को सजा दिलाने की पूरी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार पर थी. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण मेहरा का कहना है कि अफसोस की बात यह है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस केस की पैरवी इतनी कमजोर तरीके से की कि मुख्य अभियुक्त को बरी कर दिया गया। यह केवल न्यायिक विफलता नहीं. बल्कि बच्चों की सुरक्षा और समाज के नैतिक मूल्यों के खिलाफ एक गंभीर हमला है। ऐसे में हमारी मांग है कि इस केस को दोबारा खोला जाए व दोषियों को कठोरतम सजा दिलाई जाए और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। अगर आज हम चुप रहेंगे तो कल हमारे बच्चों की सुरक्षा पर ही प्रश्नचिन्ह उठेगा। नन्ही परी को न्याय दो, अब और इंतजार नहीं चलेगा।

आपको बता दे घटना बीते नवंबर 2014 में पिथौरागढ़ की 7 वर्षीय मासूम ‘नन्हीं परी’ अपने परिवार के साथ काठगोदाम में एक रिश्तेदार के यहां शादी में आई थी. एक दिन ‘नन्हीं परी’ लापता हो गई. करीब पांच दिन बाद बच्ची का शव गौला नदी के किनारे लगभग 500 मीटर दूर जंगलों में मिला था. जांच में बच्ची के साथ पहले दुष्कर्म और फिर निर्मम हत्या की बात सामने आई थी. मामले ने पूरे क्षेत्र में भारी आक्रोश पैदा कर दिया था.खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत को भी मौके पर आकर लोगों को शांत करना पड़ा था. पुलिस ने मामले में तीन आरोपियों को नामजद किया था. बाद में एक आरोपी मसीह को दोषमुक्त कर दिया गया था. जबकि मुख्य आरोपी अख्तर अली को पॉक्सो अधिनियम और आईपीसी की धारा 376 के तहत दोषी करार देते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी. जबकि दूसरे आरोपी प्रेमपाल को पांच साल की कैद और जुर्माना लगाया गया था. पूरे मामले में आरोपी पक्ष ने मौत की सजा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. जहां सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी अख्तर अली को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है.जिसको लेकर प्रदेश की जनता नन्ही परी को एक बार फिर इंसाफ दिलाने के लिए सड़को पर उतर चुकी है.