त्रिपुरा के छात्र की हत्या पर बवाल,खड़े कई सवाल !

 

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट , 9 दिसंबर को सेलाकुई बाजार स्थित शराब के ठेके के पास हुई मारपीट की घटना में त्रिपुरा निवासी और जिज्ञासा यूनिवर्सिटी के एमबीए छात्र ऐंजल चकमा पर चाकू और कड़े से हमला किया गया था। गंभीर रूप से घायल ऐंजल को ग्राफिक एरा अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान तीन दिन पहले उसकी मौत हो गई। देहरादून के जिज्ञासा यूनिवर्सिटी में एमबीए के छात्र ऐंजल चकमा की हत्या के मामले में पुलिस ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन अब भी एक आरोपी फरार है। छठा आरोपी वारदात को अंजाम देने के बाद नेपाल भाग गया है, जिसकी तलाश के लिए पुलिस और एसओजी की टीमें जुट गई हैं। आरोपी पर 25 हजार रुपए का इनाम भी घोषित किया गया है। इस मामले में पुलिस ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जिनमें दो नाबालिग भी शामिल हैं, लेकिन इस घटना में शामिल छठा आरोपी फरार चल रहा है.दरअसल, त्रिपुरा के रहने वाले ऐंजल चकमा देहरादून की जिज्ञासा यूनिवर्सिटी में एमबीए की पढ़ाई कर रहे थे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को त्रिपुरा के छात्र एंजेल चकमा की पिता तरुण  प्रसाद चकमा से फोन पर बात कर, एंजेल की हत्या पर दु:ख व्यक्त किया है. देहरादून शहर में मौजूद कई सामाजिक संगठनों एवं राजनीतिक दलों ने एकजुट होकर देर शाम गांधी पार्क में एंजेल चकमा की हत्या पर न्याय मांगा और सरकार से गुहार लगाई कि वो प्रदेश में फैल रहे नफरत की राजनीति को कम करें. उनका कहना था कि जिस तरह से उत्तराखंड एक शांतिप्रिय राज्य के रूप में जाना जाता है, इसकी अबोहवा में नफरत ना फैलाएं.वही इस मामले पर देवभूमि से लेकर दिल्ली तक छात्र ऐंजल चकमा की मौत पर राजनीति तेज हो चली है.   

नस्लीय हिंसा का शिकार हुए त्रिपुरा के एक छात्र की जिंदगी और मौत से जूझते हुए 17 दिन बाद अस्पताल में मौत हो गई। 24 वर्षीय MBA के छात्र एंजेल चकमा की मौत के बाद पूर्वोत्तर के छात्रों में आक्रोश है… पूर्वोत्तर के छात्र संगठन आंदोलन करते नजर आ रहे हैं … कैंडल मार्च निकालने जा रहे हैं…जिस पर राहुल गांधी ने भी सोशल मीडिया पर आ कर प्रदेश में बदलते माहौल को लेकर सरकार पर निशाना साधा वहीं सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को त्रिपुरा के छात्र एंजेल चकमा की पिता तरुण  प्रसाद चकमा से फोन पर बात कर, एंजेल की हत्या पर दु:ख व्यक्त किया है. तत्काल आर्थिक सहायता स्वीकृत कर पहली किश्त के रूप में 4 लाख 12 हजार 500 की आर्थिक सहायता जारी कर दी गई है. यह धनराशि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 एवं नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम 1955 के तहत स्वीकृत की गई है.एक चश्मदीद ने बताया कि 9 दिसंबर को ठीक उसकी दुकान के आगे कुछ युवकों में मारपीट हुई थी. इसके बाद एक युवक अचानक से लहूलुहान होकर नीचे गिर पड़ा चश्मदीद ने बताया कि सुबह पता चला कि यह वही युवक है. जिसकी देर रात मारपीट हुई थी, कुछ ही मिनट तक यह युवकों के बीच झगड़ा था इसके बाद आसपास के दुकानदार इकट्ठे हुए और तब जाकर घायल छात्र को अस्पताल भेजा गया.

हालांकि पुलिस का कहना है कि आरोपी और पीड़ित एक ही जाति वर्ग से हैं, इसलिए मामले में जातिसूचक शब्दों से जुड़ी धाराएं नहीं जोड़ी गई हैं। फिलहाल पुलिस, एसओजी और अन्य एजेंसियां मिलकर फरार छठे आरोपी की तलाश में जुटी हुई हैं।वही शहर में मौजूद कई सामाजिक संगठनों एवं राजनीतिक दलों ने एकजुट होकर देर शाम गांधी पार्क में एंजेल चकमा की हत्या पर न्याय मांगा और सरकार से गुहार लगाई कि वो प्रदेश में फैल रहे नफरत की राजनीति को समाप्त करे.

वही अब इस हत्याकांड को लेकर पुलिस और प्रशासन पर सवाल खड़े हो गए हैं। एफआईआर में लापरवाही के आरोपों के बीच राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जनजाति आयोग ने उत्तराखंड पुलिस और प्रशासन को नोटिस जारी किया था। वहीं अब छात्र की मौत के बाद पुलिस ने साफ किया है कि डॉक्टर के बयान और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर धाराएं बढ़ाई गई हैं. और अब हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाएगा।फरार आरोपी को लेकर पुलिस ने आरोपी पर 25 हजार रुपए का इनाम घोषित किया है.और जरूरत पड़ने पर नेपाल जाकर गिरफ्तारी की भी तैयारी की जा रही है। इस केस में गिरफ्तार किए गए पांच आरोपियों में दो नाबालिग हैं, जिन्हें बाल न्यायालय में पेश करने के बाद सुधार गृह भेज दिया गया है.वहीं तीन अन्य आरोपी फिलहाल जेल में बंद हैं, जिनकी जमानत याचिकाएं कोर्ट द्वारा खारिज की जा चुकी हैं।सवाल यही है आखिर देवभूमि को शांत और सर्वधर्म सम्पन्न राज्य माना जाता है,ऐसे में  छात्र ऐंजल चकमा की हत्या से प्रदेश की आबोहवा जिस ओर उड़ रही है.जो इस प्रदेश के लिए बड़ी चिंन्ता का विषय है.

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