टूटे सभी रिकॉर्ड,चार धाम कपाट क्लोज !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट। देवभूमि उत्तराखंड में चारधाम यात्रा का आगाज 30 अप्रैल 2025 को यमुनोत्री व गंगोत्री धाम के कपाट खुलने से हुआ था। केदारनाथ धाम का कपाट दो मई व बदरीनाथ धाम के कपाट चार मई को खुले थे।बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ चारधाम यात्रा छह माह के लिए स्थगित हो जाएगी। इस बार यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं ने रिकॉर्ड बनाया है। चार धामों में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं का आंकड़ा 51 लाख पहुंच गया है। जबकि पिछले साल 48 लाख ने दर्शन किए थे।इस साल चारधाम यात्रा का आगाज 30 अप्रैल 2025 को यमुनोत्री व गंगोत्री धाम के कपाट खोलने से हुआ था। केदारनाथ धाम का कपाट दो मई व बद्रीनाथ धाम के कपाट चार मई को खुले थे। केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट बंद हो चुके हैं। 25 नवंबर को बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने से चारधाम यात्रा पूर्ण रूप से शीतकाल के लिए स्थगित रहेगी। चार धामों की पूजा अर्चना शीतकालीन प्रवास स्थल पर होगी। जहां पर श्रद्धालु शीतकालीन यात्रा में पूजा पाठ व दर्शन कर सकते हैं।वही चारधाम ग्रीष्मकालीन यात्रा में सरकार की व्यवस्था पर विपक्ष ने कई सवाल खड़े करते हुए शीतकालीन यात्रा को लेकर अभी से सरकार की व्यवस्था पर सवाल खड़े करे है.

भू बैकुंठ बदरीनाथ धाम के कपाट मंगलवार यानी आज दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए. ऐसे में बद्रीनाथ धाम का अलौकिक पुष्प श्रृंगार किया गया है. जिसके तहत 10 क्विंटल फूलों से धाम को सजाया गया है. काफी संख्या में श्रद्धालु कपाट बंदी के खास मौके पर साक्षी बनने के लिए धाम पहुंचे हुए हैं. अनुमान है कि कपाट बंदी के दौरान 5 हजार से ज्यादा श्रद्धालु धाम में मौजूद रहें. बता दें कि बदरीनाथ धाम में 21 नवंबर से पंच पूजाएं शुरू हो गई थी. गणेश मंदिर, आदि केदारेश्वर और आदि गुरु शंकराचार्य गद्दी स्थल के कपाट बंद होने के बाद धाम में वेद ऋचाओं का वाचन भी समाप्त हो गया था. सोमवार को माता लक्ष्मी मंदिर में विशेष पूजाओं के साथ पंच पूजाओं की श्रृंखला पूरी हो गई. कपाट बंद होने की पूर्व संध्या पर यानी सोमवार शाम को पंच पूजाओं के अंतर्गत माता लक्ष्मी मंदिर में कढ़ाई भोग समेत विशेष अनुष्ठानों का आयोजन किया गया. वही सरकार का दावा है की इस बार केदारनाथ व बद्रीनाथ धाम में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं ने रिकॉर्ड बनाया है। बीते वर्ष केदारनाथ धाम में 16.51 लाख व बदरीनाथ धाम में 14.35 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे। इस बार केदारनाथ में 17.68 लाख से अधिक व बदरीनाथ धाम में 16.53 लाख दर्शन कर चुके हैं। उत्तरकाशी जिले में आपदा के कारण यमुनोत्री व गंगोत्री धाम की यात्रा प्रभावित होने से श्रद्धालुओं की संख्या में कम रही।साथ ही अभी तक चली चारधाम यात्रा पर श्रद्धालुओं को हो रही अव्यवस्थाओ को लेकर सरकार के दावों को फेल बताया है.

धाम दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या
केदारनाथ 17,68,795
बदरीनाथ 16,52,971
गंगोत्री 7,58,249
यमुनोत्री 6,44,637
हेमकुंड साहिब 2,74,441

वही भले ही शीतकाल में चारों धामों के कपाट बंद हो जाते हों. लेकिन आप चारों धामों के डोलियों के दर्शन कर सकते हैं. इसके तहत आपको मां गंगा के दर्शन करने के लिए मुखबा यानी उखीमठ पहुंचना होगा. जहां मां गंगा की डोली विराजमान मिलेगी. इसी तरह मां यमुना की डोली खरसाली गांव में विराजमान होती है. जहां जाकर मां यमुना के दर्शन कर पुण्य कमा सकते हैं. जबकि शीतकाल में हिमालय से उतरने के बाद बाबा केदार उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में विराजते हैं. जहां बाबा केदार के दर्शन पंचमुखी डोली के रूप में हो जाएंगे. वहीं बदरी विशाल पांडुकेश्वर और ज्योतिर्मठ में दर्शन देते हैं. चारधाम यात्रा ने एक बार फिर यह साबित किया कि हिमालय की गोद में बसे ये चार तीर्थ केवल मंदिर नहीं. बल्कि मानव धैर्य और आस्था की परीक्षा भी है. आपदा ने भले ही कई चेहरों पर आंसू लाए हों. लेकिन हजारों श्रद्धालु अब भी यह विश्वास लिए लौटे हैं कि मां यमुना, मां गंगा, बाबा केदार और भगवान बदरी विशाल के आशीर्वाद से सब कुछ दोबारा ठीक होगा. अब जब कपाट बंद हो रहे हैं तो श्रद्धालु अगले साल की यात्रा की प्रतीक्षा में हैं. ऊंचाई पर स्थित इन धामों में सन्नाटा पसर जाएगा. अगले साल यानी 6 महीने बाद ही यहां चहल पहल देखने को मिलेगी. प्रशासन और सरकार ने कमर कस ली है कि अगले साल की चारधाम यात्रा पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित सुसंगठित और सुविधाजनक होगी। वही प्रदेश के विपक्ष की माने तो उनका कहना है कि सरकार हर बार बड़े-बड़े दावे तो करती है. लेकिन धरातल पर कुछ नज़र नही आता है।

इस साल सरकार द्वारा अनुमानित 51 लाख श्रद्धालुओं ने चार धाम यात्रा के दर्शन कर लिए है, उम्मीद है कि अगले साल आस्था की इस धारा में एक बार फिर जब भक्त हिमालय की घाटियों में हर हर महादेव और जय बदरी विशाल के जयकारे लगाएंगे तो उनके साथ न केवल भक्ति की शक्ति होगी. बल्कि एक नई व्यवस्था और सुरक्षित यात्रा का आत्मविश्वास भी होगा. सरकार उसको कितनी गंभीरता से लेती है. यह देखने वाली बात होगी। 

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