उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, केंद्र की मोदी सरकार द्वारा जीएसटी के दो स्लैब हटाने को लेकर कांग्रेस हमलावर हो गई है। उनका कहना है कि राहुल गांधी सही थे और केंद्र को आठ साल बाद स्वीकार करना ही पड़ा कि यह निर्णय गलत था। राहुल गांधी ने जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स करार दिया था. शनिवार को देहरादून कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में एआईसीसी के राष्ट्रीय सचिव व मंगलौर विधायक काजी निजामुद्दीन ने जीएसटी में बदलाव को देरी से उठाया गया अधूरा सही कदम बताया है। मंगलौर विधायक काजी निजामुद्दीन ने कहा कि जीएसटी कर प्रणाली में हुए ताजा सुधार से साफ हो गया है कि लोगों पर टैक्स का अनुचित बोझ लादा गया था। इसलिए पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स का नाम दिया था। केंद्र सरकार ने आठ साल बाद माना कि राहुल गांधी सही थे। वही उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जीएसटी की दरों में बदलाव पर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जो कहते हैं वह करते हैं. 15 अगस्त को उन्होंने लाल किले की प्राचीर से कहा था कि दिवाली से पहले देशवासियों को तोहफा देंगे और जीएसटी में सुधार करेंगे। जिसका में प्रधानमंत्री का धन्यवाद करता हु।
आपको बता दें बीते दिनों जीएसटी पर मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. अब जीएसटी के सिर्फ दो स्लैब होंगे. 5% और 18% जीएसटी स्लैब होंगे. 12 और 28 प्रतिशत के स्लैब को खत्म करने के फैसले पर जीएसटी काउंसिल ने मुहर लगा दी है. ये घोषणाएं 22 सितंबर से लागू होगी. इसके बाद लग्जरी,तंबाकू उत्पाद पर महंगा होगा. लग्जरी,तंबाकू उत्पाद पर 40% जीएसटी होगा. जबकि रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े सामान सस्ते होंगे. सभी फैसले सहमति से लिए गए. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि थ्री व्हीलर पर 28% से 18% जीएसटी होगी. स्पेशल स्लैब 40% होगा. व्यक्तिगत हेल्थ इंश्योरेंस पेर जीएसटी नहीं होगी. प्राइवेट जेट खरीदने पर 40% जीएसटी होगी. कोल्ड ड्रिंक्स पर 40% जीएसटी होगी. साबुन,तेल,शैंपू पर 5% जीएसटी होगी. जीएसटी के अब सिर्फ दो स्लैब होंगे, नए स्लैब का मकसद आम आदमी को राहत पहुंचाना है। इंश्योरेंस सेक्टर में राहत दी गई है. कृषि और किसानों को राहत देने की कोशिश की गई है.जीएसटी में बदलाव समय की मांग है. रोजमर्रा की जरूरतों के सामान पर 5% जीएसटी रोटी, पराठे,छेना और ब्रेड पर अब जीएसटी नहीं, घी, मक्खन पर 5% जीएसटी, सभी टीवी पर 18% जीएसटी लगेगा, चमड़ा और ग्रेनाइट पर 5% जीएसटी, 350 सीसी से कम की बाइक पर 18% जीएसटी लगेगा, डायग्नोस्टिक पर 5% जीएसटी लगेगी। वही उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जीएसटी की दरों में बदलाव पर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जो कहते हैं वह करते हैं. 15 अगस्त को उन्होंने लाल किले की प्राचीर से कहा था कि दिवाली से पहले देशवासियों को तोहफा देंगे और जीएसटी में सुधार करेंगे. प्रधानमंत्री का धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने किसानों और मध्यम वर्ग के लिए 175 से ज्यादा उत्पादों को जीएसटी से मुक्त कर दिया है. किसानों के लिए कई चीजें सस्ती होने वाली हैं. मध्यम वर्ग और छात्रों को भी काफी लाभ मिलेगा. दशहरे से पहले देशवासियों को लाभ मिल सकेगा. और देश का उत्थान होगा. जिसके लिए में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का धन्यवाद करता हूं।
वही कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और मंगलौर विधायक काजी निजामुद्दीन ने केंद्र एवं राज्य सरकार को जीएसटी रिफॉर्म पर घेर लिया है. विधायक काजी ने कहा कि केंद्र सरकार जीएसटी को इतना हाइप करके लाई थी कि इसके लिए रात को पार्लियामेंट सेशन बुलाना पड़ा था. राष्ट्र को वन नेशन वन टैक्स और दूसरी आजादी की बात कहकर जीएसटी को लाने के लिए बहुत सेलिब्रेट किया गया, लेकिन असल में जनता को परेशान किया गया. जीएसटी नीति का खामियाजा पूरे देश ने भुगता: मंगलौर विधायक काजी निजामुद्दीन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की हमेशा जल्दबाजी में कोई फैसला लेने की आदत रही है. यह उसी का परिणाम रहा कि मोदी सरकार की जीएसटी नीति का खामियाजा पूरे देश को भुगतना पड़ा. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने साल 2016 में जीएसटी नीति का मुखर होकर विरोध किया और इसे ‘गब्बर सिंह’ टैक्स बताया था, लेकिन अब तो भारत सरकार और जीएसटी काउंसिल ने भी मान लिया कि यह वाकई ‘गब्बर सिंह’ टैक्स था. इसका मतलब बीते 8 सालों तक केंद्र सरकार लोगों की जेबों पर जीएसटी के माध्यम से डाका डालती रही और उनका खून चुस्ती रही।
कांग्रेस प्रदेश पार्टी ने जीएसटी काउंसिल की एक बैठक उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में आयोजित कराने की मांग उठाई है. उन्होंने कहा कि इस बैठक में नौ हिमालयी राज्यों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए. ताकि, जीएसटी काउंसिल को यह पता चल सके कि उच्च हिमालयी राज्य किन-किन दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.यही वजह है की हिमालयी राज्यों की आर्थिकी को सुधारने, पहाड़ी राज्यों की आमदनी बढ़ाने, खर्चो को मीट आउट करने के लिए जरूरी है कि नौ हिमालय राज्यों की बैठक गैरसैंण में होनी चाहिए. जिससे इन राज्यों की आवाज केंद्र सरकार तक पहुंच सके.