चुनावी समर, कोई इधर, कोई उधर !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट  

लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया है। उत्तराखंड में पांच लोकसभा सीटों पर पहले चरण में मतदान होगा. इसके तहत 19 अप्रैल को मतदान के बाद 4 जून को चुनाव के नतीते आएंगे। राज्य की पांचों लोकसभा सीटों को जीतने के लिए भाजपा-कांग्रेस ने पूरी ताकत लगा रखी है। हांलाकि भाजपा चुनावी तैयारियों के लिहाज से काफी आगे है। इसके साथ ही भाजपा अपने विरोधी दलों पर भी नेताओं को शामिल कराने के मामले में भारी पड़ी है। हाल ही में कांग्रेस, यूकेडी, आप समेत तमाम राजनीतिक दलों के नेताओँ ने भाजपा का दामन थामा। सबसे ज्यादा नेता कांग्रेस पार्टी के भाजपा में शामिल हुए हैँ। इस दौरान एक विधायकचार पूर्व विधायकएक पूर्व सांसद प्रत्याशी और दो विधानसभा प्रत्याशी कांग्रेस का हाथ छोड़कर कमल को खिलाने के लिए भाजपा में जुड गए हैं। खास बात यह है कि ज्यादातर कांग्रेस नेताओं ने अपने त्यागपत्र में महज दो लाइन में ही व्यक्तिगत कारणों से प्राथमिक सदस्यता छोड़ने की जानकारी भर दी है। वहीं उत्तराखंड कांग्रेस को लगने वाले झटकों की शुरुआत 28 जनवरी को पूर्व विधायक शैलेंद्र रावत के त्यागपत्र के साथ हुई। इसके बाद आठ मार्च को पौड़ी से पिछली बार लोकसभा चुनाव लड़े मनीष खंडूड़ी ने इस सिलसिले को आगे बढ़ाया। तब से विधायक राजेंद्र भंडारीपूर्व विधायक विजयपाल सिंह सजवाणमालचंदधन सिंह नेगी और पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहीं लक्ष्मी राणा और अनुकृति गुसाईं भी कांग्रेस का साथ छोड़ चुकी हैं। एक के बाद एक कांग्रेस के गिर रहे विकेट से पार्टी के शीर्ष नेताओं की चिंता बढ़ गई है। कांग्रेस का तर्क है कि ईडी और सीबीआई के डर से भाजपा कांग्रेस के नेताओं को पार्टी में शामिल करा रही है सवाल ये है कि क्या भाजपा दलबदल की राजनीति को बढ़ावा देकर विपक्ष को खत्म करने की साजिश कर रही है 

 

देवभूमि उत्तराखंड में 19 अप्रैल को होने वाले मतदान से पहले उत्तराखंड की राजनीति में दलबदल का खेल शुरू हो गया है। दअरसल एक के बाद एक कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक दलों के नेता भाजपा का दामन थाम रहे हैं। आलम ये है कि गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस के इकलौते विधायक राजेंद्र भंडारी ने भी कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह दिया है। लोकसभा चुनाव से ऐन पहले राजेंद्र भंडारी का भाजपा में जानासियासी तौर पर कांग्रेस को बड़ा झटका है। आपको बता दे कि बीते विधानसभा चुनाव में बदरीनाथ सीट पर राजेंद्र भंडारी ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को हराकर विधायक बने थे। चौदह विधानसभा क्षेत्र समेटने वाली गढ़वाल लोकसभा सीट में भंडारी कांग्रेस के एक मात्र विधायक थे। लेकिन अब राजेंद्र भंडारी ने नरेंद्र मोदी के कार्यों से प्रभावित होकर भाजपा में शामिल होने का दावा किया है

आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव के बीच उत्तराखंड कांग्रेस के एक विधायकचार पूर्व विधायकएक पूर्व सांसद प्रत्याशी और दो विधानसभा प्रत्याशी कांग्रेस का हाथ छोड़कर कमल को खिलाने के लिए भाजपा में जुड गए हैं। खास बात यह है कि ज्यादातर कांग्रेस नेताओं ने अपने त्यागपत्र में महज दो लाइन में ही व्यक्तिगत कारणों से प्राथमिक सदस्यता छोड़ने की जानकारी भर दी है। वहीं उत्तराखंड कांग्रेस को लगने वाले झटकों की शुरुआत 28 जनवरी को पूर्व विधायक शैलेंद्र रावत के त्यागपत्र के साथ हुई। इसके बाद आठ मार्च को पौड़ी से पिछली बार लोकसभा चुनाव लड़े मनीष खंडूड़ी ने इस सिलसिले को आगे बढ़ाया। तब से विधायक राजेंद्र भंडारीपूर्व विधायक विजयपाल सिंह सजवाणमालचंदधन सिंह नेगी और पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहीं लक्ष्मी राणा और अनुकृति गुसाईं भी कांग्रेस का साथ छोड़ चुकी हैं। एक के बाद एक कांग्रेस के गिर रहे विकेट से पार्टी के शीर्ष नेताओं की चिंता बढ़ गई है। कांग्रेस का तर्क है कि ईडी और सीबीआई के डर से भाजपा कांग्रेस के नेताओं को पार्टी में शामिल करा रही है

कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड में दलबदल की राजनीति शुरू हो गई है। सवाल ये है कि क्या भाजपा दलबदल की राजनीति को बढ़ावा देकर विपक्ष को खत्म करने की साजिश कर रही है, क्या विपक्षी दलों के नेता ईडी और सीबीआई के डर से भाजपा में शामिल हो रहे हैं। क्या एक के बाद एक भाजपा में शामिल हो रहे विपक्षी दलों के नेताओं से भाजपा में असंतोष नहीं बढ़ेगा

 

 

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