कैबिनेट के फैसले से नाखुश, उपनल कर्मचारी उग्र !

Uttarakhand Desk,मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक संपन्न हो गई है. धामी मंत्रिमंडल की बैठक में कुल 12 प्रस्तावों पर मुहर लगी है. इसमें मुख्य रूप से उपनल कर्मियों को मिनिमम वेतनमान और डीए देने के लिए सब कमेटी बनाने का निर्णय लिया गया है. कमेटी बनाने के लिए सीएम को अधिकृत किया गया है. ऐसे में अगले कुछ दिनों में कमेटी का गठन होने के बाद दो महीने का समय कमेटी को दिया जाएगा.धामी कैबिनेट में इस बार उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण मामले को लेकर एक और कैबिनेट सब कमेटी का गठन किया गया है. इससे उपनल कर्मचारी बेहद नाखुश नजर आए. अब उपनल कर्मचारी हड़ताल को और उग्र रूप देने की रणनीति तैयार कर रहे हैं. दो उपनल कर्मचारी भूख हड़ताल पर चले गए हैं. कल से कर्मचारियों की संख्या बढ़ती जाएगी.दरअसल, पिछले कुछ वक्त से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे उपनल कर्मियों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने फैसला लिया है. उनके न्यूनतम पे स्केल और DA के लिए एक सब कमेटी बनाई जाएगी. सीएम इन कमेटी को बनाएंगे जो कमेटी दो महीने में फैसला लेगी. वहीं, उपनल के ऑब्जेक्टिव में ओवरसीज एम्प्लॉयमेंट और आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन में भी बदलाव किया गया है. सरकार के फैसले से नाखुश उपनलकर्मियों को नियमितीकरण करने की मांग को लेकर प्रदेश भर से राजधानी देहरादून पहुंचे सैकड़ों उपनलकर्मियों कर्मचारियों ने परेड ग्राउंड के बाहर अनिश्चितकालीन धरना  व भूख हड़ताल को शुरू कर दिया है. विभिन्न विभागों में कई वर्षों से तैनात करीब 22 हजार कर्मचारियों ने अब सरकार से आर पार का मन बना लिया है. ऐसे में कई सरकारी संस्थानों में अव्यवस्थाओं का अंबार नजर आ रहा है। अब सरकार इन उपनल कर्मियो की मांगो को कब तक पूरा कर पायेगी ये बड़ा सवाल अभी भी बना हुआ है.जिसको लेकर विपक्ष ने भी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।

कल हुई धामी कैबिनेट में इस बार उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण मामले को लेकर एक और कैबिनेट सब कमेटी का गठन किया गया है. इससे उपनल कर्मचारी बेहद नाखुश नजर आए.आपको बता दे बीते वर्षो में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से उत्तराखंड के उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर स्पष्ट आदेश के बाद भी लंबे समय से लटकाया जा रहा है. इस मामले पर उपनल कर्मचारियों ने राज्य स्थापना दिवस यानी 9 नवंबर तक राज्य सरकार को मौका दिया. उपनल कर्मचारियों को उम्मीद थी कि राज्य गठन के 25 साल पूरे होने और रजत जयंती वर्ष की वर्षगांठ 9 नवंबर 2025 को उत्तराखंड की धामी सरकार उपनल कर्मचारी के लिए नियमितीकरण से संबंधित कोई बड़ा फैसला लेगी. मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ. राज्य स्थापना के अगले ही दिन 10 नवंबर 2025 को प्रदेश के 22000 ओपन कर्मचारी प्रदेश भर में आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर सभी हड़ताल पर चले गए.

उपनल कर्मचारियों के लिए अब तक गठित की गई समितियां

15 मार्च 2016 मुख्य सचिव की अध्यक्षता में छह सदस्यीय कमेटी गठित
21 मार्च 2021 मुख्य सचिव की अध्यक्षता में छह सदस्यीय कमेटी गठित
19 फरवरी 2024 मुख्य सचिव की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी गठित
21 जुलाई 2025 प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में छह सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित

प्रदेश भर में स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा, वन विभाग, सिंचाई विभाग, प्रशासनिक और तकनीकी विभागों और कई सरकारी संस्थानों में तैनात उपनल के कर्मचारी लगातार हड़ताल पर हैं.वही अब राजधानी के सबसे बड़े सरकारी दून अस्पताल में उपनल कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से बिलिंग काउंटर से लेकर पर्चे बनाने के लिए मरीजों की लंबी कतारें लगी. दून अस्पताल से भी बड़ी संख्या में उपनल से तैनात वॉर्ड बॉय, नर्स ,फार्मासिस्ट, डाटा एंट्री ऑपरेटर और सफाई कर्मी हड़ताल पर रहे, जिससे मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. करीब डेढ़ सौ से अधिक कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से अस्पताल की व्यवस्थाएं भी चरमराई है.जिसको लेकर विपक्ष ने भी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।

उपनल कर्मचारियों की सरकार को सीधे चेतावनी है की अभी तक केवल पूरे प्रदेश में देहरादून के दून अस्पताल के उपनल के माध्यम से लगे स्वास्थ्य कर्मचारियों को हड़ताल पर बुलाया गया है. जिनकी संख्या तकरीबन 300 के करीब है. अभी प्रदेश भर में अलग-अलग जगह पर उपनल के माध्यम से तैनात स्वास्थ्य कर्मियों और इमरजेंसी में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों को हड़ताल पर नहीं बुलाया गया है. अब जिस तरह से सरकार अपनी हठधर्मिता पर अड़ी है  तो उसके बाद प्रदेश भर के इमरजेंसी और स्वास्थ्य कर्मियों को भी इस हड़ताल में बुलाया जाएगा.ऐसे में 2200 उपनल कर्मचारी प्रदेश भर में एक साथ सरकार के खिलाफ आंदोलन पर उतरते है. तो सरकार सहित आम जनता के लिए आगे समस्याएं खड़ी हो सकती है.अब देखना होगा सरकार अब कौन सा रास्ता प्रदेश हित और उपनल कर्मियों को खुश करने में ले पायेगी। 

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट