“एक देश, एक चुनाव” कायदा कितना फायदा !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, देशभर में एक राष्ट्र एक चुनाव को लेकर चर्चा चल रही है। भारतीय संसद द्वारा नियुक्त की गई संयुक्त संसदीय समिति द्वारा देशभर के प्रदेशों का दौरा कर सभी राजनीतिक दलों के  प्रतिनिधियों से सुझाव ले रही है। इसी क्रम में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी के साथ अन्य सदस्यों ने विपक्षी दलों से फीडबैक लिया। इस पर समिति का कहना है कि एक देश एक चुनाव देश की ज़रूरत है. क्योंकि अलग-अलग समय में चुनाव होने से विकास कार्य बाधित होते हैं और काफी धन भी इसमें खर्च होता है। नगर निकाय चुनाव, ग्राम पंचायत चुनाव, विधानसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव यह सभी चुनाव ऐसे हैं जिनकी वजह से आचार संहिता लागू होती है और विकास कार्य प्रभावित होते हैं जो समय पर नहीं हो पाते। वहीं कांग्रेस ने एक देश एक चुनाव को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह एक जटिल सवाल है, जिसके चलते बहुत सी चीज प्रभावित होगी। कांग्रेस ने कहा कि लोकतांत्रिक देश में अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग पार्टियों की सरकार होती हैं। अगर कहीं कोई सरकार गिर जाए या केंद्र की सरकार अस्थिर हो या गिर जाए तो ऐसी स्थिति में क्या 5 साल तक चुनाव नहीं होंगे। इसके अलावा और भी तमाम विषय कांग्रेस ने संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष रखे हैं।

आपको बता दे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक राष्ट्र-एक चुनाव के रूप में ऐतिहासिक कानून बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार यदि एक बार में चुनाव हों तो ₹12 हजार करोड़ तक की बचत होगी। हज़ारों करोड़ों की इस धन राशि को देश में शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने में लगाया जा सकेगा। इसके साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय रहेगा तो सभी कार्य निश्चित समय पर पूरे होंगे। वही जब केंद्र और राज्यों में एक साथ चुनाव होंगे तो नीतिगत समन्वय बेहतर होगा, कार्यों में बाधाएं नहीं आएगी और योजनाओं का समयबद्ध काम संभव होगा। इससे सुशासन और पारदर्शिता को बल मिलेगा और प्रशासनिक प्रक्रियाएं अधिक सुचारू रूप से चलेंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव एक साथ होंगे तो प्रवासी मतदाता भी अपने गृह राज्य जाकर मतदान करने के लिए प्रेरित होंगे। इससे लोकतंत्र की भागीदारी बढ़ेगी और जनता की सहभागिता से व्यवस्था अधिक जवाबदेह बनेगी।

वही बीजेपी का कहना है के प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में तैयार किया गया जो ड्राफ्ट लोकसभा में पेश किया गया वो बहुत ही गहन शोध और विश्लेषण के बाद तैयार किया गया है। इस ड्राफ्ट में एक-एक परिस्थिति का ध्यान रखा गया है कि कैसे सभी राज्यों में ये व्यवस्था लागू करनी है और लागू करने के बाद यदि किसी राज्य की सरकार बीच में भंग हो गई तो उस स्थिति में कैसे चुनाव होंगे। फिलहाल इस कानून को व्यापक विचार विमर्श हेतु संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया है। वही बीजेपी ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा के कांग्रेस को यह अधिकार बनता है के वो राष्ट्रहित में अच्छा काम हो उसका समर्थन करे न के विरोध।

आपको बता दे भारत निर्माण के लिए इसे ऐतिहासिक कदम बताते हुए उत्तराखंड भाजपा की तरफ से पूर्ण समर्थन किया गया। वहीं कोविद समिति की इस रिपोर्ट को देश की भावना बताते हुए, देशहित में जरूरी बताया। पार्टी का पक्ष रखते हुए कहा गए कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है । परिस्थितिजन्य कारणों से केंद्र, राज्य और स्थानीय निकाय स्तर पर अलग-अलग समय पर चुनाव कराए जाते हैं । इस व्यवस्था के कारण राजनीतिक अस्थिरता, विकास कार्यों में बाधा और अत्यधिक व्यय जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। ऐसे में “एक देश, एक चुनाव” का विचार इन समस्याओं का समाधान भी है और देश को नये समय के साथ नया आयाम देने वाला है। इसमें लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय के चुनाव चरणबद्ध तरीके से कराने की व्यवस्था है।बरहाल अलग-अलग समय में चुनाव होने से बार-बार आचार संहिता लगती है। इसके चलते राज्यो के सारे काम ठप पड़ जाते हैं। जब भी चुनाव आता है, तो बड़ी संख्या में कार्मिकों को मूल कार्य से हटाकर चुनाव ड्यूटी में लगाना पड़ता है।  “एक देश, एक चुनाव” पर ससमति बन जाती है तो इससे देश की अर्थव्यवस्था पर भी बड़ा असर देखने को मिल सकता है।