राहत पर राजनीति ! 

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट , उत्तराखंड में इस बार के मानसून में आई प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान का जायजा लेने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर आपदा राहत कार्यों की गहन समीक्षा की। प्रधानमंत्री ने इस दौरान अलग-अलग क्षेत्रों में आपदा से हुए नुकसान की विस्तार से जानकारी लेने के साथ ही राहत एवं बचाव कार्यों की ताजा स्थिति और भविष्य की चुनौतियों पर राज्यपाल ले.ज. गुरमीत सिंह (से.नि.), मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केन्द्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा व राज्य के सांसदों सहित वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धराली, थराली सहित राज्य के आपदा प्रभावित अन्य क्षेत्रों में संचालित राहत एवं बचाव अभियानों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ सहित राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के प्रयासों की सराहना की और राहत बचाव कार्यों में जुटे राज्य व केन्द्र सरकार के संगठनों के कार्मिकों से भेंट कर उनके अनुभव साझा किए। प्रधानमंत्री ने आपदा पीड़ितों से भी मुलाकात कर उनका ढांढस बंधाने के साथ ही समुचित मदद का भरोसा दिलाया। वही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आपदा राहत पैकेज में सिर्फ 1200 करोड़ की घोषणा पर विपक्ष ने सवाल खड़े कर दिए है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कल उत्तराखण्ड का दौरा कर उत्तराखण्ड में आई आपदा से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए समीक्षा बैठक की। प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड में बाढ़ और बारिश से प्रभावित क्षेत्रों के लिए कई घोषणा की जिसमे 1200 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की, मृतकों के परिवारों के लिए 2 लाख रुपये और घायलों के लिए 50 हज़ार रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की. प्रधानमंत्री ने हाल ही में आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण अनाथ हुए बच्चों के लिए पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना के तहत व्यापक सहायता देने की भी घोषणा की. प्रधानमंत्री ने प्रभावित परिवारों से मुलाकात कर संवेदना व्यक्त कर ढांढस बंधाने का काम किया। प्रधानमंत्री ने एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और आपदा मित्र स्वयंसेवकों से भी मिले और उनके प्रयासों की सराहना की. केंद्र सरकार ने प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की बहाली और पुनर्निर्माण के लिए पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में आपदा से हुई क्षति तथा प्रभावित क्षेत्रों में संचालित राहत एवं बचाव कार्यों की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव के अभियान पूरी तत्परता एवं क्षमता के साथ संचालित करने में केन्द्र सरकार के संगठनों से भरपूर सहयोग मिला है। जिसके चलते प्रभावितों तक त्वरित गति से समुचित राहत संभव हो सकी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों एवं सार्वजनिक परिसंपत्तियों को काफी नुकसान पहुंचा है। प्रभावित इलाकों में बुनियादी सुविधाओं की बहाली के लिए युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है। उत्तराखंड में आपदा से हुए नुकसान की भरपाई हेतू राहत पैकेज की घोषणा के लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड की जनता की तरफ से आभार व्यक्त करता किया। उत्तराखंड में आई प्राकृतिक आपदा से निपटने में राज्य सरकार पूरी क्षमता के साथ प्रयास कर रही है. इस कार्य में पहले ही दिन से ही केंद्र सरकार का सहयोग मिल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं उत्तराखंड आकर आपदा पीड़ितों का दुख-दर्द साझा किया है।

वही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आपदा राहत पैकेज की घोषणा पर विपक्ष ने सवाल खड़े कर दिए है। उत्तराखण्ड के आपदा प्रभावित क्षेत्रों की समीक्षा करने के बाद प्रदेश के आपदा प्रभावित क्षेत्रों व लोगों के लिए केवल बारह सौ करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान को उत्तराखंड की जनता को निराश करने वाला बताते हुए कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष संगठन सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि यह पहाड़ के लोगों के घाव में नमक छिड़कने जैसा है. क्योंकि जिस व्यापकता की आपदा आई है वो 2013 जैसी आपदा है और उसी तरह का नुकसान पूरे राज्य में में हुआ है. आज से बारह साल पहले केंद्र की मनमोहन सरकार ने उत्तराखंड के लिए इक्कीस हजार करोड़ रुपए का आर्थिक पैकेज दिया था. लेकिन आज जो पैकेज मोदी जी द्वारा घोषित किया गया है. वो न केवल ना काफी है. बल्कि उत्तराखंड के प्रति मोदी जी के प्रेम और लगाव की पोल भी खोलता नज़र आ रहा है।

आपको बता दे, साल 2013 की आपदा के बाद से साल 2025 तक हर साल मानसून के दौरान उत्तराखंड ने कई जख्म झेले. हर साल यह बारिश न केवल चारधाम यात्रा को प्रभावित करती है. बल्कि, प्रदेश में भारी नुकसान पहुंचाने के साथ ही कई लोगों की जान भी लेती है. साल 2021, 2022 के अलावा साल 2024 और अब साल 2025 में भी बारिश ने उत्तराखंड को गहरे जख्म दिए हैं.हर बार दैविक आपदाओं के बाद प्रदेश में राजनीति भी जम कर देखने को मिलती है. ये भी सही है की आपदा में अपनो को खोने वालो की भरपाई तो सम्भव नहीं लेकिन पुनः जनजीवन को दुरुस्त करने व आपदा के जख्मों के लिए शायद ये राहत मरहम का काम कर सके.