उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड की राजधानी देहरादून शहर महिलाओं की सुरक्षा के मामले में देशभर में शर्मनाक स्थिति में पहुंच गया है। नेशनल एनुअल रिपोर्ट एंड इंडेक्स 2025 के सर्वे में देहरादून को देश के 31 शहरों में से सबसे असुरक्षित शहरों की सूची में शामिल किया गया है। रिपोर्ट में देहरादून का स्कोर 60.6 प्रतिशत रहा, जो राष्ट्रीय औसत 64.6 प्रतिशत से कम है। रिपोर्ट में देहरादून का नाम रायपुर, चेन्नई और शिलांग जैसे शहरों के साथ जोड़ा गया है. जबकि पड़ोसी हिमालयी शहर शिमला ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए देशभर में 11वां स्थान हासिल किया। वहीं नागालैंड की राजधानी कोहिमा सबसे सुरक्षित शहर बनी. जिसका स्कोर 82.9 प्रतिशत दर्ज हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक देहरादून की सिर्फ 50 फीसदी महिलाएं शहर को सुरक्षित मानती हैं. जबकि राष्ट्रीय औसत 60 फीसदी है। करीब 41 फीसदी महिलाओं ने सुरक्षा को लेकर राय रखी. वहीं 10 फीसदी ने शहर को असुरक्षित बताया। दिन के समय 70 फीसदी महिलाएं खुद को सुरक्षित महसूस करती हैं. लेकिन जैसे ही रात होती है यह आंकड़ा घटकर 44 फीसदी पर आ जाता है। रात में 33 फीसदी महिलाओं ने संतुलित राय दी, जबकि 14 फीसदी ने खुद को असुरक्षित बताया। जिसको लेकर विपक्ष ने प्रदेश में कानून विवस्ता को लेकर सवाल खड़े कर दिए है।
महिला सुरक्षा को लेकर निजी कंपनी द्वारा जारी एनुअल रिपोर्ट एंड इंडेक्स को लेकर उत्तराखंड राज्य महिला आयोग ने सख्त आपत्ति जताई है। आयोग की अध्यक्ष कुसुम कण्डवाल ने साफ कहा कि इस रिपोर्ट का महिला आयोग से कोई संबंध नहीं है और न ही आयोग किसी निजी सर्वे का समर्थन करता है। बता दे दिल्ली में 28 अगस्त को आयोजित नारी 2025 कार्यक्रम में पी वैल्यू एनालिटिक्स के सर्वे के आधार पर ग्रुप ऑफ इंटेलेक्चुअल्स एंड एकेडमिशियन ने पुस्तक ‘नारी 2025’ प्रकाशित की। इसमें देहरादून को महिलाओं के लिए असुरक्षित शहरों की सूची में शामिल किया गया। इस पर कुसुम कण्डवाल ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा सिर्फ 12,770 महिलाओं से 31 शहरों में कराए गए सर्वे पर महिला असुरक्षा का निष्कर्ष निकालना पूरी तरह भ्रामक है। देहरादून की महिलाएं जानती हैं कि यहां सरकार और प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बेहद संवेदनशील हैं और किसी भी अप्रिय घटना पर तुरंत कड़ी कार्रवाई की जाती है। कण्डवाल ने बताया कि इस पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजय रहाटकर मौजूद थीं. लेकिन उन्होंने भी इस सर्वे का समर्थन नहीं किया। बाद में फोन पर बातचीत में रहाटकर ने स्पष्ट किया कि न तो इस रिपोर्ट का राष्ट्रीय महिला आयोग से कोई लेना-देना है और न ही यह उनकी ओर से जारी की गई है. महिला आयोग अध्यक्ष ने कहा कि देहरादून की छवि को धूमिल करने का यह प्रयास बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। आयोग जल्द ही इस रिपोर्ट से जुड़े आंकड़ों को तलब करेगा और आवश्यक कार्रवाई करेगा।
नेशनल एनुअल रिपोर्ट एंड इंडेक्स 2025 के सर्वे में महिलाओं ने सबसे ज्यादा मौखिक उत्पीड़न का सामना करने की बात कही. इसके बाद शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न की घटनाएं दर्ज हुईं। 50 फीसदी महिलाओं ने सार्वजनिक परिवहन में उत्पीड़न झेलने की बात कही. जबकि 19 फीसदी को मोहल्लों में और 13 फीसदी को कार्यस्थलों पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। चौंकाने वाली बात यह रही कि 40 फीसदी महिलाएं उत्पीड़न झेलने के बावजूद चुप रहीं. सिर्फ 26 फीसदी ने इसकी शिकायत अधिकारियों से की और 19 फीसदी ने दूसरों से मदद मांगी। असुरक्षा की वजह और समाधान असुरक्षित महसूस करने की वजह में 26 फीसदी महिलाओं ने शहर के लोगों को जिम्मेदार बताया. 18 फीसदी ने अपराध दर और 11 फीसदी ने सुनसान जगहों को कारण बताया। वहीं सुरक्षा का अहसास कराने में 54 फीसदी ने स्थानीय समुदाय पर भरोसा किया, 33 फीसदी ने पुलिस गश्त और 18 फीसदी ने कम अपराध दर को कारण बताया। महिलाओं ने सुरक्षा सुधार के लिए 45 फीसदी ने पुलिस की मौजूदगी बढ़ाने. 39 फीसदी ने सड़क लाइट और सीसीटीवी जैसी बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने और 21 फीसदी ने आत्मरक्षा प्रशिक्षण की मांग की। वही विपक्ष ने सरकार पर मोर्चा खोलते हुए कहा कि कितना हास्यास्पद है कि जिस रिपोर्ट की बात पूरा उत्तराखण्ड कह रहा है. और शर्मशार हो रहा है कि दस सबसे असुरक्षित शहरों में देहरादून का नाम शामिल हुआ है. जो देहरादून सबसे शांत हुआ करता था. जो लोगों की पहली पसन्द हुआ करता था।
अब प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर नई बहस छिड़ चुकी है विपक्ष पहले ही प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्थाओ को लेकर सरकार और सिस्टम पर सवाल उठा रहा है। वही इस रिपोर्ट के आने के बाद कही सवाल कानून व्यवस्था और सुरक्षा को लेकर खड़े होते है। साथ ही अब प्रदेश की महिलाओ ने अपनी सुरक्षा को लेकर सरकार को सुझाव भी दिए है.जिसमे महिलाओं ने सुरक्षा बढ़ाने के लिए। 45% ने पुलिस गश्त बढ़ाने की मांग की गई । 39% ने महिला सुरक्षा इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने की बात कही। 28% ने हर जगह सीसीटीवी कैमरे लगाने की सिफारिश की। 21% ने आत्मरक्षा प्रशिक्षण और 13% ने सख्त कानून प्रवर्तन पर जोर दिया। इन सुझावों पर सरकार और सिस्टम कितना गंभीर होता है. ये आने वाला समय ही साफ कर पायेगा।