बाघ भालू और शेर,वन विभाग ढेर ! 

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड में लंबे समय से मानव वन्यजीव संघर्ष लगातार देखने को मिल रहा है अब खाने की तलाश में खौफनाक जानवर रिहायशी इलाकों का रुख कर रहे हैं यह बेहद चिंता का विषय है यह एक ऐसी समस्या है जो उत्तराखंड के जीवन जीविका और समाज को सीधे तौर पर प्रभावित करती है उत्तराखंड के गांव में रहने वाले लोग तेंदुआ और भालू के आतंक की वजह से अपने गांव तक छोड़कर शहरी इलाकों में बसने के लिए मजबूर हो चले हैं. इससे तेंदुओं की उत्तराखंड के शहरों तक पहुंच बेहद आसान हो गई है और यह संघर्ष लगातार बढ़ता जा रहा है. राज्य सरकार और केंद्रीय संस्थाएं इसके समाधान के लिए अब तक अच्छा खासा धन भी खर्च कर चुकी है लेकिन इसके बावजूद भी समस्या का कोई समाधान नहीं निकल पाया बल्कि यह अपने विकराल रूप में समस्या आगे और बढ़ती दिखाई दे रही है. उत्तराखंड में इन दिनों जंगली जानवरों का आतंक है.आये दिन भालू, गुलदार के हमले की खबरें आ रही हैं. खासकर पौड़ी , रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिले में जंगली जानवरों का आतंक है. उत्तराखंड में जंगली जानवरों के आतंक का मुद्दा देश की संसद में उठाया गया. गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी ने लोकसभा में जंगली जानवरों का मुद्दा उठाया.वही उत्तराखंड में पर्वतीय क्षेत्रों में वन्य जीव और मानव संघर्ष अब भयावह रूप लेता जा रहा है। आए दिन भालू के हमले लोगों की जान ले रहे हैं, वहीं वन विभाग भी इन हमलों को रोकने में नाकाम साबित हो रहा है। इसी से आक्रोशित होकर राजधानी देहरादून में वन मुख्यालय में प्रदेश कांग्रेस महिला मोर्चे ने घेराव किया। वन मुख्यालय में धरने पर बैठे साथ सरकार और विभाग की लापरवाही के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन भी किया।

उत्तराखंड में इन दिनों जंगली जानवरों का आतंक है.आये दिन भालू, गुलदार के हमले की खबरें आ रही हैं. गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी ने भी लोकसभा में बताया पिछले तीन हफ्ते में चार लोगों की मौत हो गई है. उन्होंने बताया पिछले कुछ हफ्तों में मानव वन्यजीव संघर्ष के मामलों में वृद्धि हुई है. पिछले तीन हफ्ते में मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में 15 लोग घायल हुए हैं. भालू के हमले भी अचानक बढ़े हैं.आमतौर पर इन दिनों में भालू के हमले नहीं होते हैं. बच्चों को लोगों ने स्कूल भेजना बंद कर दिया है.अंधेरा होते ही पहाड़ों पर कर्फ्यू जैसे हालात हैं.गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी ने उत्तराखंड वन विभाग के पीसीसीएफ से आग्रह किया है कि जंगली जानवरों के हमलों की स्थिति की नियमित समीक्षा कर प्रतिदिन की रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाए. गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी ने कहा जन सुरक्षा सर्वोपरि है.हालांकि प्रदेश में हो रहे मानव और वन्यजीव संघर्ष पर प्रदेश वन विभाग अब तक घटनाओं को रोकने में नाकाम साबित हुआ है.यही वजह है की इन घटनाओं को लेकर मौसम बदलाव और खाने की कमी का कारण बता रहा है.   

 

उत्तराखंड में इनदिनों मानव वन्यजीव संघर्ष एक बड़ा मुद्दा बन गया है. क्योंकि, आए दिन कहीं न कहीं से गुलदार, भालू, बाघ, हाथी समेत अन्य वन्यजीवों के हमले की घटनाएं लगातार सामने आ रही है. जिसमें कई लोग घायल हो चुके हैं तो कुछ लोग जान भी गंवा चुके हैं.वहीं, जंगली जानवरों के हमले को लेकर आम लोगों के बढ़ते आक्रोश के बीच राजनीतिक दलों ने भी इस पर बहस तेज कर दी है.वन्य जीव और मानव संघर्ष पर वन विभाग भी इन हमलों को रोकने में नाकाम साबित हो रहा है। इसी से आक्रोशित होकर राजधानी देहरादून में वन मुख्यालय में कांग्रेस प्रदेश कांग्रेस महिला मोर्चे ने घेराव किया। वन मुख्यालय में धरने पर बैठे साथ सरकार और विभाग की लापरवाही के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन भी किया।वही भाजपा इस पूरे मामले को एक आपदा करार करते हुए केंद्र सरकार से आर्थिक सहायता और नए उपकरण की मांग कर रही है.

अब मानव वन्यजीव संघर्ष लगातार बढ़ रहा है. जो कि चिंता की बात है.वहीं अब पहाड़ों के बाद मैदानी क्षेत्रों में भी लगातार जंगली जानवरों का आतंक देखने को मिल रहा है।सवाल  कुल मिला कर अब यही है कि राज्य सरकार ने भी बढ़ते मानव वन्यजीव संघर्ष को लेकर अपने हाथ खड़े कर लिए है.ऐसे में पहाड़ की भूगौलिक परस्थितियो से गुजर रहे ग्रमीण क्या ऐसे ही मानव वन्यजीव संघर्ष करते रहेंगे क्या सरकार मुआबजे को ही इसका समधान मान रही है.या सरकारे प्रशानिक तंत्र मुख दर्शक बने रहेंगे। इस का जवाब शायद अभी तक किसी के पास नहीं। 

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