फर्जी बाबाओ पर भारी ,ऑपरेशन कालनेमि जारी !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट,उत्तराखंड में सावन के पावन मौके पर धामी सरकार ने सनातन धर्म की आड़ में साधु संत का भेष बदलकर ठगने वाले लोगों पर कार्रवाई के लिए ऑपरेशन कालनेमि शुरू किया है जिसके तहत पुलिस ने एक्शन लेते हुए 25 संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार किया है जो बाबा के भेष में लोगों को ठगने का काम कर रहे थे. धामी सरकार के इस एक्शन के बाद प्रदेश में पुलिस ने ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है जो धार्मिक चोला पहनकर लोगों को ठगने का काम करते हैं और लोगों की आस्था को ठेस पहुंचाते हैं। उत्तराखंड में धामी सरकार ने धर्मांतरण और लैंड जिहाद पर ठोस कार्रवाई के बाद सनातन धर्म की आड़ में भेष बदलकर रहने वाले लोगों के खिलाफ ऑपरेशन कालनेमि अभियान के तहत कार्रवाई शुरू कर दी है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि सावन महीने की शुरुआत हो गई है और इस दौरान प्रदेश में जल लेने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और इसी सावन महीने में कुछ लोग सनातन धर्म की आड़ में वेश बदलकर यहां रहते हैं जो हिंदुओं की भावना को भी ठेस पहुंचाते हैं जिसके लिए प्रदेश में ऑपरेशन कालनेमि शुरू किया गया है। वही विपक्ष का कहना है कि भगवा धारण कर कई तरह के अपराध हो रहे है। जिसको रोकना सरकार की ज़िम्मेदारी है।

 

उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में साधु के वेश में घूमने वाले फर्जी बाबाओं के खिलाफ ऑपरेशन कालनेमि चलाने के आदेश दे दिए है. इसी को लेकर सभी थाना पुलिस को निर्देशित किया गया है। इसी क्रम में पुलिस ने सत्यापन और चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है। ऑपरेशन कालनेमि के तहत देहरादून पुलिस ने साधु वेश में घूम रहे 25 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें सहसपुर से पकड़ा गया एक बांग्लादेश का नागरिक भी है। उसके खिलाफ सहसपुर में विदेशी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। बाकी सभी को शांतिभंग करने के आरोप में गिरफ्तार कर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। मजिस्ट्रेट ने सभी को हिदायद देकर जमानत पर रिहा कर दिया। एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री ने साधु वेश में घूमने वाले फर्जी बाबाओं के खिलाफ ऑपरेशन कालनेमि चलाने के आदेश दिए थे। इसे लेकर सभी थाना पुलिस को निर्देशित किया गया था। इसी क्रम में वह खुद भी नेहरू कॉलोनी और अन्य क्षेत्रों में थाना पुलिस के साथ सत्यापन और चेकिंग अभियान में घूमे थे। चेकिंग के दौरान कई ऐसे फर्जी बाबा दिखाई दिए जो लोगों को कई तरह से अपनी बातों में फंसा रहे थे। कई लोग तो भविष्य बताने का काम कर रहे थे. तो कोई गृह क्लेश को दूर करने के लिए युक्तियां बता रहा था। इनमें से कई लोग ऐसे थे जो कि भगवा चोले में ज्योतिष की पोथियां लेकर बैठे हुए थे। ऐसे में इनसे प्रमुख दस्तावेज मांगे गए तो इनके पास कुछ नहीं मिला। कार्रवाई के दौरान एक व्यक्ति सहसपुर में घूमता दिखाई दिया। उससे पूछताछ करने पर पता चला कि वह बांग्लादेश का रहने वाला है। उसके पास से भारतीय कोई दस्तावेज बरामद नहीं हुआ। रुकन रकम उर्फ शाह आलम नाम के इस व्यक्ति से आईबी और एलआईयू की टीमें पूछताछ कर रही हैं। पकड़े गए बाकी 24 लोगों में 20 से ज्यादा दूसरे राज्यों के रहने वाले हैं। जिला पुलिस को ऑपरेशन कालनेमि को गंभीरता से चलाने के निर्देश दिए गए हैं।

आपको बता दे गुरुवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जैसे ही ऑपरेशन कालनेमि को लेकर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किया वैसे ही मुख्यमंत्री के निर्देशों पर उत्तराखंड पुलिस ने भी अपनी कार्रवाई शुरू कर दी थी और 24 घंटे के भीतर देहरादून पुलिस ने राजधानी के अलग-अलग क्षेत्र में साधु संतों का भेष धारण करके ठगी करने वाले दो विशेष समुदाय के लोगों सहित कुल 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया जिनमें से एक व्यक्ति बांग्लादेश का नागरिक है. पुलिस इन सभी गिरफ्तार लोगों से पूछताछ कर रही है और उनके आपराधिक रिकार्ड को भी खंगाल रही है देहरादून एसएसपी का कहना है कि सनातन धर्म की आड़ में शुरू किए गए ऑपरेशन कालनेमि के तहत पुलिस ऐसे लोगों पर कार्रवाई कर रही है जो बिना किसी ज्ञान के साधु संतों का भेष धारण करके लोगों को ठग रहे हैं उन्होंने कहा कि फिलहाल 25 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है जिनसे पूछताछ की जा रही है और आगे भी पुलिस की कार्रवाई जारी है। वही विपक्ष का कहना है कि भगवा धारण कर कर कई तरह के गम्भीर अपराध किये जा रहे है. जिनको रोकना सरकार की ज़िम्मेदारी है. क्यों न वो ऑपरेशन कालनेमि ही हो।

कुल मिलाकर ऑपरेशन कालनेमि न केवल उत्तराखंड में आस्था के नाम पर चल रहे पाखंड पर प्रहार है, बल्कि यह संदेश भी है कि देवभूमि में अब धर्म का अपमान नहीं सहा जाएगा। इस निर्णय ने एक बार फिर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उस धार्मिक नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित किया है जो आस्था की रक्षा के लिए न सिर्फ सजग है, बल्कि निर्णायक भी है। कांवड़ यात्रा से ठीक पहले लिया गया यह निर्णय श्रद्धालुओं में विश्वास और सरकार की प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है।