उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड में इन दिनों सियासी बयानबाजी का दौर चल रहा है. बीते कुछ महीनों से धामी सरकार पर हमलावर होने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. दिलचस्प बात यह है कि अब केवल विपक्ष ही नहीं बल्कि सत्ता पक्ष यानी बीजेपी के कुछ बड़े नेता भी सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं. जिसको लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में कहा कि हम उत्तराखण्ड के उज्जवल भविष्य के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. हमने कई कठोर निर्णय लिए हैं. विपक्ष कहता है कि हम ज्यादा कठोर हो रहे हैं. मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि हां मैं कहता हूं कि हम कठोर हैं. राष्ट्र विरोधियों के लिए कठोर है, जनता का हक़ छीनने वालों के लिए कठोर हैं, युवाओं को अंधकार में धकेलने वालों के लिए कठोर हैं. उत्तराखंड की जनता को गुमराह करने वालों के लिए हम कठोर है. ये हम स्वीकार करते हैं कि ये कठोरता हमने अपनाई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यह बयान सिर्फ़ एक राजनीतिक प्रतिक्रिया नहीं. बल्कि बीते कुछ वर्षों में किए गए उन फैसलों की झलक है. जिन्होंने उत्तराखंड की राजनीति और प्रशासनिक दिशा को बदल कर रख दिया है. मुख्यमंत्री धामी आगे कहते हैं कि हम केवल कुर्सी पर बने रहने के लिए काम नहीं करते बल्कि उत्तराखंड का भविष्य बनाने के लिए काम करते हैं. प्रदेशवासियों के हित में हमें जो करना पड़ेगा. हम उसके लिए संकोच नहीं करेंगे. और एक मिनट की देरी नहीं करेंगे. जो भी निर्णय प्रदेश के हित में लेने होंगे, वो सब हम करते रहेंगे। वही विपक्ष का कहना है कि धामी सरकार से प्रदेश की जनता को जो उम्मीद थी. उस पर सरकार विफल रही है।
आपको बता दे हाल ही में हुई uksssc की परीक्षा में नकल की घटना को लेकर प्रदेश में बवाल मचा था. प्रशासन ने इसे पेपर लीक की बजाय नकल की घटना बताया, लेकिन जनता के आक्रोश को देखते हुए मुख्यमंत्री ख़ुद धरना स्थल पर पहुंचे कर धरना समाप्त कराया और मामले की सीबीआई जांच की अनुशंसा कर दी। साल 2024 में उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना जहाँ यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी UCC लागू किया गया. विवाह, तलाक और संपत्ति जैसे मामलों में समान कानून लागू हुआ. इसके साथ ही सख़्त एंटी-कन्वर्जन कानून लाया गया. अवैध मदरसों और मजारों पर बुलडोजर चला. 6000 एकड़ जमीन मुक्त कराई गई. मुख्यमंत्री के लव जिहाद, लैंड जिहाद, थूक जिहाद” जैसे बयानों ने अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना को जन्म दिया. देहरादून के 28 गांवों में हिंदू आबादी घटने पर डेमोग्राफिक चिंता जताई गई. साल 2024-25 में हरिद्वार में 54 करोड़ रुपये का भूमि घोटाला सामने आया. जिलाधिकारी समेत तीन अधिकारियों को सस्पेंड किया गया. बाहरी लोगों द्वारा कृषि/बागवानी भूमि खरीद पर अस्थायी रोक लगाई गई, जिसे यूसीसी से जोड़ा गया. विपक्ष ने इसे निवेश के लिए बाधा बताया। जुलाई 2025 में शुरू हुए ऑपरेशन कालनेमि का उद्देश्य धार्मिक वेशभूषा में ठगी करने वाले फर्जी बाबाओं, ठगों और संदिग्धों पर कार्रवाई करना था. जिसमे 2,448 संदिग्धों की पहचान हुई, जिनमें 377 विशेष रूप से संदिग्ध थे. 1,250 से अधिक पूछताछ और 300 से अधिक गिरफ्तारियां हुईं. जिनमें बांग्लादेशी नागरिक शामिल थे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि उत्तराखण्ड के उज्जवल भविष्य के निर्माण की दिशा में जो भी कदम उठाना पड़ेगा वो हम उठाएंगे. जिसमे हमने यह कठोर निर्णय लिए हैं. विपक्ष कहता है कि हम ज्यादा कठोर हो रहे हैं. जिसको लेकर विपक्ष द्वारा प्रदेश की जनता को गुमराह किया जा रहा है। मुख्यमंत्री धामी ने सख्त लहजे में कहा कि हां मैं कहता हूं कि हम कठोर हैं. लेकिन राष्ट्र विरोधियों के लिए कठोर हैं, जनता का हक़ छीनने वालों के लिए कठोर हैं, युवाओं को अंधकार में धकेलने वालों के लिए कठोर हैं. उत्तराखंड की जनता को गुमराह करने वालों के लिए हम कठोर है. ये हम स्वीकार करते हैं कि ये कठोरता हमने अपनाई है।
वही इन सभी खबरों के बीच जब बदलाव को लेकर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी से सवाल किया गया तो उन्होंने साफ कहा बीजेपी का हर कार्यकर्ता पार्टी के प्रति समर्पित रहता है पार्टी जिसे चाहे मंत्री बना दे जिसे चाहे हटा दे इससे न नेता को फर्क पड़ता है न पार्टी को. कांग्रेस में ऐसा हो जाए तो पार्टी खाली हो जाएगी लेकिन बीजेपी में ऐसा नहीं है उनके इस बयान से यह संकेत भी मिल रहा है कि मंत्रियों के मन में कहीं न कहीं कुछ होने का संकेत जरूर चल रहा है। वही राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य स्थापना दिवस पर बड़े स्तर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम और उसमें राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री की मौजूदगी को देखते हुए फिलहाल किसी बड़े राजनीतिक बदलाव की संभावना कम है। हालांकि यह भी तय है कि उत्तराखंड की राजनीति आने वाले दिनों में और गरम होने वाली है। वही राजनीतिक विश्लेषकों का भी मानना है कि अचानक से मुख्यमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ जिस तरह से बयानबाज़ी बढ़ी है उससे साफ है कि कोई न कोई ऐसा है जो राज्य में इस तरह का माहौल बना रहा है. सत्ता पक्ष के नेता भी कई बार विभागों पर सवाल उठाकर सरकार को असहज स्थिति में डाल देते हैं. उनका मानना है कि सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत के खनन और अन्य मुद्दों पर भी कई बार अपनी ही सरकार को जबाब देने पर मजबूर कर चुके है. इन सब के बीच जिस तरह से गुजरात में बीजेपी ने पूरी केबिनेट को साफ़ किया है उत्तराखण्ड में भी लगातार चर्चा गर्म है की क्या बिहार चुनाव के बाद कुछ यहाँ भी हो सकता है. राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि बिहार चुनावों के बाद उत्तराखंड में कैबिनेट विस्तार या किसी अन्य तरह के बदलाव की संभावना हो सकती है. हालांकि राज्य स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति दोनों के आगमन को देखते हुए फिलहाल किसी बड़े बदलाव की संभावना कम लगती है। वही विपक्ष का कहना है कि धामी जी ने सिर्फ अपनी कुर्सी बचाने का काम किया।
हालांकि मुख्यमंत्री धामी ने अब तक किसी पर सीधा निशाना नहीं साधा है. लेकिन कुर्सी का मोह नहीं वाला बयान काफी सुर्खुयो में और बड़ा माना जा रहा है. सरकार को लेकर जो सार्वजनिक चर्चाएं हो रही हैं. उसके बाद मुख्यमंत्री खुद फ्रंट फुट पर आकर जवाब दे रहे हैं. अब सीएम को अगर इतने बड़े बयान बार बार देने पड़ रहे है. तो ये किस और इशारा करता है.जानकारों की माने तो ये भी कुछ दिनों में साफ़ हो जायेगा।