उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, देवभूमि उत्तराखंड की पहचान संस्कृति, परंपरा, और आध्यात्मिकता से है। ‘देवभूमि’ कहलाने वाले इस पावन राज्य में हर कण में आस्था है और हर नागरिक के जीवन में शांति, सहिष्णुता और सद्भाव बसता है। लेकिन बीते कुछ वर्षों में कुछ असामाजिक तत्वों और उपद्रवियों ने इसकी मर्यादा को भंग करने में कोई कमी नहीं छोड़ी, जिसे सीएम धामी के धाकड़ प्रहार ने ध्वस्त कर दिया। उत्तराखंड की सांस्कृतिक अस्मिता और धार्मिक मर्यादा से खिलवाड़ करने वालों पर अब सरकार ने सीधा वार किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में शुरू हुए सख्त अभियानों का असर अब साफ दिख रहा है। असामाजिक तत्वों में कानून का डर और खौफ दोनों है। पहले प्रदेश में लालच, भय या धोखे से धर्मांतरण की घटनाएं प्रकाश में आती रहती थी लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद ही सीएम धामी ने ये स्पष्ट कर दिया कि उत्तराखंड की धार्मिक स्वतंत्रता की मर्यादा को किसी भी कीमत पर लांघने नहीं दिया जाएगा। वर्ष 2022 में पारित उत्तराखंड धर्म‑स्वतंत्रता अधिनियम, 2022 के तहत जबरन धर्मांतरण को गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध घोषित किया गया। दोषियों को 2 से 10 वर्ष की सज़ा और ₹25,000 से ₹10 लाख तक जुर्माना का प्रावधान किया गया है। हाल ही में छांगुर बाबा गिरोह के पांच सदस्यों के खिलाफ दर्ज मुकदमा भी इसी संकल्प का परिचायक है। प्रदेश में भगवा चोले और धार्मिक पहचान की आड़ में लोगों को ठगी का शिकार बनने वाले और उनकी आस्था के साथ खिलवाड़ करने वाले तत्वों की तेजी से पहचान हो रही है। मुख्यमंत्री धामी के निर्देश पर चलाया गया “ऑपरेशन कालनेमि” एक ऐसा सशक्त अभियान है, जिसका उद्देश्य उत्तराखंड की शांति, सुरक्षा और संस्कृति की रक्षा करना है। प्रदेश के 13 जिलों में चलाए जा रहे इस ऑपरेशन के तहत अब तक कुल 2448 लोगों की पहचान की गई, 377 संदिग्धों को चिह्नित किया गया और भगवा चोले की आड़ में पहचान छिपा कर लोगों को ठगने पर 222 अभियुक्तों पर कार्यवाही शुरू कर दी गई है जबकि 140 गिरफ्तारियां सुनिश्चित की गईं। इस अभियान के तहत संवेदनशील इलाकों में पहचान पत्र, निवास प्रमाण, और दस्तावेजों की भी गहन जांच की जा रही है ताकि कोई ढोंगी बच न पाए। धर्मांतरण रोकने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा कानून सख्त करने और एसआईटी गठन की घोषणा पर कांग्रेस ने तीखा हमला बोला है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह प्रमाणित किया है कि जब नेतृत्व संकल्पित हो, तो अस्मिता पर उठे हर हाथ को रोका जा सकता है।धर्म की रक्षा, अस्मिता की सुरक्षा, और प्रदेश की आत्मा उत्तराखंडीयत की पहचान बनाए रखना ही धामी सरकार का मूल मंत्र है। 26 जुलाई . उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा के दौरान साधु-संतों के वेश में आए बहरूपियों को पकड़ने के लिए धामी सरकार ने ‘ऑपरेशन कालनेमि’ चलाया. अब इस ऑपरेशन के माध्यम से देहरादून पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है, जिसमें एक अंतर्राष्ट्रीय धर्मांतरण साजिश का खुलासा हुआ है. इस साजिश के तार पाकिस्तान और दुबई तक से जुड़ रहे हैं. रानीपोखरी निवासी एक युवती की शिकायत पर शुरू हुई जांच में सामने आया कि सोशल मीडिया के जरिए युवतियों से दोस्ती की जाती थी, फिर कुरान की ऑनलाइन तालीम दी जाती थी. इसके बाद पहचान छिपाकर संपर्क करने वाले युवक दिल्ली में निकाह का दबाव बनाते थे. पुलिस ने इसी सिलसिले में बरेली निवासी एक अन्य युवती का भी रेस्क्यू किया है. अब तक इस मामले में 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है,
प्रदेश में भगवा चोले और धार्मिक पहचान की आड़ में लोगों को ठगी का शिकार बनने वाले और उनकी आस्था के साथ खिलवाड़ करने वाले तत्वों की तेजी से पहचान हो रही है। मुख्यमंत्री धामी के निर्देश पर चलाया गया “ऑपरेशन कालनेमि” एक ऐसा सशक्त अभियान है, जिसको भाजपा उद्देश्य उत्तराखंड की शांति, सुरक्षा और संस्कृति की रक्षा करना मान रही है।वही विपक्षी दलों के साथ कांग्रेस ने ऑपरेशन कालनेमि को भी नाकाम बताते हुए कहा कि यदि बांग्लादेशी और रोहिंग्या जैसे घुसपैठिए राज्य में छिपे हैं तो यह खुफिया एजेंसियों और सरकार की सबसे बड़ी विफलता है। उन्होंने कहा कि भाजपा सिर्फ मुद्दों की राजनीति कर रही है, जबकि जमीनी स्तर पर कोई असर नहीं दिख रहा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में धर्मांतरण कानून को और सख्त बनाते हुए, जरूरी कदम भी उठाने के निर्देश दिए हैं. सोमवार को सचिवालय में उच्चाधिकारियों के साथ बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड सीमांत प्रदेश होने के साथ ही सनातन की पुण्य भूमि भी है. इसलिए यहां डेमोग्राफी में बदलाव की किसी भी कोशिश को सख्ती से रोका जाए.पुलिस इस तरह की संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखे. धर्मांतरण कराने वाले तत्वों के जाल में फंसे लोगों को उचित परामर्श और मार्गदर्शन प्रदान किया जाए. धामी ने कहा कि ऑपरेशन कालनेमि भी ऐसे तत्वों पर लगाम लगाने में सफल रहा है. इस मुहिम को आगे भी चलाए जाने की जरूरत है, इसलिए पुलिस मुख्यालय के स्तर पर, इसकी निगरानी के लिए एसआईटी का भी गठन किया जाए.