उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखण्ड में मानसून का प्रभाव इस साल प्रदेश की मुख्य चारधाम यात्रा पर कुछ ज्यादा ही भारी पड़ा है। बता दे की भारी वर्षा, भू-सख्लन के खतरे को देखते हुए यात्रा पर रोक लगा दी गयी थी। प्रसाशन के लगातार प्रयास से यात्रा को सुचारु भी किया गया. लेकिन यमुनोत्री धाम की यात्रा मार्गो को अधिक क्षति होने के कारण अभी तक यात्रा को रोका गया था। मौसम में सुधार होने और सड़कों की मरम्मत के साथ चारधाम यात्रा और पंजीकरण प्रक्रिया फिर से शुरू होने जा रही है। हालांकि हाल ही में तेज बारिश के कारण सड़कें क्षतिग्रस्त हो जाने से गंगोत्री और यमुनोत्री की तीर्थ यात्रा अभी स्थगित थी। सड़क मार्ग चालू हो जाने से इन दोनों तीर्थ स्थलों की यात्रा फिर शुरू होने जा रही है। जिलाधिकारियों को आवश्यकतानुसार यात्रा का प्रबंधन या निलंबन करने का अधिकार दिया गया है। इससे पहले राज्य में मूसलाधार बारिश के कारण चारधाम यात्रा 5 सितंबर तक अस्थायी रूप से रोक दी गई थी। इस बीच आने वाले दिनों में कुछ क्षेत्रों में बारिश होने का अनुमान है। वहीं भाजपा सरकार का कहना है कि मुख्यमंत्री धामी चारधाम यात्रा को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. यमुनोत्री धाम की यात्रा सुचारू हो उसके लिए वहा के जिलाधिकारी व अधिकारियों को मुख्यमंत्री द्वारा दिशा निर्देश भी दिये गये है. प्रशासन पूरी तरह से यमुनोत्री धाम के मार्ग को दुरुस्त करने में जुटा है. जिसके चलते यात्रा को दोबारा शुरू किया जायेगा। सरकार पूरी तरह से श्रद्धालुओं को सुरक्षित यात्रा करवाने से लेकर धामों के आस पास व्यवसाय कर रहे व्यापारियों के कार्य को लेकर भी गंभीर है। वही विपक्ष ने श्रदालुओ की सुरक्षा व हेली सेवा के किराए में बढ़ोतरी को लेकर सरकार के सामने सवाल खड़े कर दिए है।
उत्तराखंड में अबकी बार के मानसून ने जमकर तबाही मचाई है. खास कर बात करे उत्तरकाशी की. तो वहां भारी नुकसान देखने को मिला है. जिसने यमुनोत्री और गंगोत्री धाम की यात्रा भी बुरी तरह से प्रभावित कर दिया है. लिहाजा दूसरे चरण की चारधाम यात्रा को दोबारा सुचारू कराने की तैयारी की जा रही है. गंगोत्री धाम की यात्रा 9 सितंबर से शुरू हो चुकी है. अब यमुनोत्री धाम की यात्रा को आज से शुरू करने की कवायद की जा रही है. उत्तरकाशी जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने बताया कि धराली आपदा के बाद गंगोत्री धाम की यात्रा बीते दिन से शुरू हो चुकी है. लेकिन यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग कई जगहों पर बाधित है. ऐसे में हाईवे सुचारू करने के साथ ही यमुनोत्री धाम की यात्रा का निर्णय आज लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि मौसम और सड़क मार्ग की स्थिति को देखते हुए यात्रियों को सीमित संख्या में गंगोत्री धाम भेजा जा रहा है. वर्तमान में गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग धरासू, नालूपानी, हेलगुगाड़, डबरानी संवेदनशील स्थान हैं, जहां रुक-रुक के भूस्खलन हो रहा है. सुरक्षा के मद्देनजर और सड़क मार्ग को सुचारू करने के लिए पर्याप्त मशीनरी एवं टीमें तैनात की गई है। यमुनोत्री धाम यात्रा मार्ग को लेकर डीएम आर्य ने बताया कि यमुनोत्री नेशनल हाईवे जंगलचट्टी, बनास, फूलचट्टी के पास क्षतिग्रस्त है. जंगलचट्टी में करीब 150 मीटर सड़क मार्ग का हिस्सा ध्वस्त हुआ था. जिसे सुरक्षित और समतलीकरण का कार्य प्रगति पर है। इसी तरह बनास में करीब 40 मीटर सड़क का हिस्सा ध्वस्त हुआ है. फूलचट्टी में भी सड़क मार्ग क्षतिग्रस्त है. जिसे एनएच की ओर से 12 सितंबर तक सुचारू करने का भरसक प्रयास सफल माना जा रहा है. इसके साथ ही डीएम ने यात्रियों से भी अपील करते हुए कहा कि गंगोत्री धाम की यात्रा के लिए जिला प्रशासन की ओर से जारी एसओपी का पालन करें। वही चारधाम आने वाले श्रद्धालुओ ने खराब सड़को को लेकर निराशा ज़ाहिर की है।
वही उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के लिए केदारनाथ धाम को जाने वाली हेली सेवा अब और महंगी कर दी गई है। उत्तराखंड UCADA ने हेली सेवा के किराए में 49 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की घोषणा की है. जिससे श्रद्धालुओं को इस बार अपनी जेब और अधिक ढीली करनी पड़ेगी। यह नई दरें 15 सितंबर से लागू होंगी। हालांकि इसके लिए DGCA की अंतिम अनुमति मिलनी आवश्यक है। UCADA के सीईओ आशीष चौहान ने बताया कि किराया बढ़ोतरी का फैसला आवश्यक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर लिया गया है। हाल के वर्षों में चारधाम यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर हादसों ने सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े किए थे। इसके चलते DGCA ने हेली सेवाओं के लिए कड़े मानक लागू किए हैं। इसमें ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन, पी टी जी कैमरे, एटीसी, वी एचएफ सेट, और सिलोमीटर जैसे तकनीकी सुधार शामिल हैं। साथ ही देहरादून के सहस्त्रधारा और सिरसी में दो कंट्रोल रूम स्थापित किए जा रहे हैं. और 22 ऑपरेटरों की टीम उड़ानों पर नजर रखेगी। इन सभी उपायों के लिए अतिरिक्त लागत के कारण किराए में बढ़ोतरी की गई है।
आपको बता दे, साल 2013 की आपदा के बाद से साल 2025 तक हर साल मानसून के दौरान उत्तराखंड ने कई जख्म झेले. हर साल यह बारिश न केवल चारधाम यात्रा को प्रभावित करती है. बल्कि, प्रदेश में भारी नुकसान पहुंचाने के साथ ही कई लोगों की जान भी लेती है. साल 2021, 2022 के अलावा साल 2024 और अब साल 2025 में भी बारिश ने उत्तराखंड को गहरे जख्म दिए हैं.इस मानसून में प्रदेश को अब तक पचास हजार करोड़ से जायदा का नुक्सान के साथ आम जनता की जान भी गई है.वही इसका असर पहाड़ की आजीविका को मजबूत करने वाली चार धाम यात्रा बंद होने से रोजगार पर भी बड़ा संकट मडरा रहा है। यही वजह है सरकार ने यात्रा को दोबारा शुरू करने का बड़ा फैसला लिया है. लेकिन सरकार के आगे कुछ महीने बची इस साल की चार धाम यात्रा को सुचरु तरीके से चलना भी बड़ी चुनौती बन गया है.