क्लीन चिट पर सवाल,सोना चोरी पर बवाल !  

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध चार धामों में एक केदारनाथ धाम एक बार फिर चर्चाओं में है. केदारनाथधाम के गर्भगृह को स्वर्ण मंडित करने के मामले में गढ़वाल आयुक्त की जांच रिपोर्ट में किसी भी प्रकार की अनियमितता न होने की बात कहते हुए बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति को क्लीट दे दी गई है। इस बात का खुलासा एक आरटीआई एक्टिविस्ट काे भेजे जवाब से हुआ है। दरअसल केदारनाथ धाम के गर्भगृह को स्वर्ण मंडित करने के मामले में गड़बड़ी होने के आरोपों के बाद उत्तराखंड सरकार ने जांच के आदेश दे दिए थे. जिसको लेकर सरकार ने गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडेय काे जांच साैंपी थी। आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल सेमवाल ने केदारनाथधाम के गर्भगृह को स्वर्ण मंडित कराने के मामले को लेकर शासन के पर्यटन व धर्मस्व विभाग से सूचना मांगी। इसके जवाब में पर्यटन अनुभाग ने आवेदक को शासन स्तर पर गढ़वाल आयुक्त की जांच रिपोर्ट दी है। गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने ना ही सोना खरीदा और ना ही अपने स्तर से लगवाया। बीकेटीसी ने स्वर्ण मंडित करने वाले दानीदाता को शासन से जारी निर्देशों के अनुपालन में सहयोग दिया। जांच रिपोर्ट में आयुक्त पांडेय ने कहा है कि केदारनाथ धाम के गर्भगृह में सोने की प्लेटें लगाए जाने में बरती गई कथित अनियमितताओं के संबंध में शासन ने 23 जून 2023 को उन्हें जांच अधिकारी नियुक्त किया था। इस क्रम में वे 21 जुलाई 2023 को स्वर्ण परत लगाने के दौरान रुद्रप्रयाग में तैनात जिलाधिकारी और उनके स्थानांतरण के बाद नियुक्त रहे डीएम बीकेटीसी के तत्कालीन मुख्य कार्याधिकारी के साथ केदारनाथ पहुंचकर मामले की जांच की। केदारनाथधाम के गर्भगृह को स्वर्ण मंडित कराने के दौरान रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी पद पर मयूर दीक्षित और गढ़वाल आयुक्त की जांच के समय सौरभ गहरवार जिलाधिकारी पद पर तैनात थे. वही विपक्ष ने बी के टी सी को क्लीन चिट मिलने पर गंभीर सवाल उठा दिए है।

केदारनाथधाम के गर्भगृह को स्वर्णमंडित करने का मामला एक बार फिर राजनीतिक रंग ले चुका है। जबकि गढ़वाल आयुक्त की जांच रिपोर्ट में किसी भी प्रकार की अनियमितता न होने की बात कहते हुए बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति को क्लीट दे दी गई है. फिर भी कांग्रेस और बीजेपी के बीच इस मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और बीकेटीसी के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने बीजेपी नेता एवं बीकेटीसी के पूर्व अध्यक्ष अजेन्द्र अजय पर गंभीर आरोप लगाए हैं। केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को साल 2022 में स्वर्णमंडित किया गया था। तभी से सोने और उससे जुड़ी प्रक्रियाओं को लेकर विवादों का सिलसिला जारी है। अब कांग्रेस नेता व बीकेटीसी के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने नया आरोप लगाया है कि केदारनाथ की शिला को दिल्ली ले जाने का काम तत्कालीन बीकेटीसी अध्यक्ष अजेन्द्र अजय ने मुख्यमंत्री के आदेश पर किया था। गणेश गोदियाल ने कहा कि यह शिला केदारनाथ की आस्था और सम्मान का प्रतीक है. और जब तक इसे वापस नहीं लाया जाएगा. वे इस मुद्दे को उठाते रहेंगे। वहीं दूसरी ओर पूर्व बी केटीसी अध्यक्ष अजेन्द्र अजय ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि गणेश गोदियाल बार-बार एक ही बातें दोहराते हैं और बिना किसी प्रमाण के मीडिया में सनसनी फैलाने का काम कर रहे हैं। अजेन्द्र अजय का कहना है कि अगर गणेश गोदियाल के पास कोई सबूत है तो वे सक्षम प्राधिकरण या अदालत में जाएं। उन्होंने बताया कि अब गणेश गोदियाल की चुनौती स्वीकार कर ली गई है और जल्द ही उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज किया जाएगा। साथ ही कहा कि केदारनाथ धाम के नाम पर वह मीडिया में बने रहना चाहते है. लोकसभा और विधानसभा चुनाव में हार के कारण वह पार्टी से अलग थलग हो चुके है. इसलिए गणेश गोदियाल बौखला गए है।

वही इस रिपोर्ट में गढ़वाल आयुक्त ने गर्भगृह में सोने की परतें लगाए जाने की प्रक्रिया का बिंदुवार उल्लेख किया है। उन्होंने कहा कि शासन की स्वीकृति के बाद कार्य प्रारंभ होने से पूर्व भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग व सीबीआरआई रुड़की की टीम ने गर्भगृह का निरीक्षण किया गया था. जिसमें उन्होंने शर्तों के साथ उस कार्य को कराये जाने को सही पाया। इसके बाद दानदाता दलीप लाखी, जेम्स इम्पैक्स प्रा.लि. के अधिकृत महालक्ष्मी अंबा ज्वैलर्स, नई दिल्ली के कारीगरों ने सबसे पहले गर्भगृह में लगी हुई चांदी की प्लेटों को उतारा। करीब 230 किग्रा वजन की इन चांदी की प्लेटों को बीकेटीसी द्वारा मंदिर के स्टोर में रख दिया गया। इसके बाद दानीदाता के ज्वैलर्स ने गर्भगृह की दीवारों पर नापजोख के लिए तांबे की प्लेटें लगाई गईं और फिर इन्हें उतार कर स्वर्ण बर्क चढ़ाने के लिए अपने साथ दिल्ली ले गए। तांबे की प्लेटों पर स्वर्ण बर्क चढ़ाए जाने के बाद दिल्ली से इन्हें वापस लाया गया। गौरीकुंड से केदारनाथ तक घोड़े- खच्चरों के माध्यम से कड़ी सुरक्षा के साथ केदारनाथ पहुंचाया गया। जांच रिपाेर्ट के अनुसार स्वर्ण मंडित प्लेटों को केदारनाथ में पुलिस निगरानी में बीकेटीसी के इग्लू हट में रखा गया। पुलिस निगरानी में ही कारीगरों द्वारा प्लेटों को इग्लू हट से मंदिर गर्भगृह तक ले जाया गया। बीकेटीसी व पुलिस की निगरानी में गर्भगृह को स्वर्ण मंडित कराने का कार्य किया गया। आयुक्त ने अपनी रिपोर्ट के साथ दानदाता द्वारा उपलब्ध कराये गए बिल भी संलग्न किये हैं. जिनमें सोने के बर्क का वजन कुल 23 किग्रा 777 ग्राम 800 मिग्रा और तांबे का वजन 1001.300 किग्रा दर्ज है। इसे मंदिर समिति ने अपने स्टॉक रजिस्टर में भी दर्शाया है। आयुक्त पांडेय ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पर्यटन विभाग के उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों के अनुसार 4 अगस्त, 2022 को बीकेटीसी के तत्कालीन अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने तत्कालीन सचिव संस्कृति व धर्मस्व को पत्र लिखकर एक दानदाता के सहयोग से केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्ण मंडित कराने के संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया था। इसके बाद 3 सितंबर 2022 को स्वयं दानदाता दलीप लाखी ने सचिव संस्कृति को इस संबंध में पत्र लिखा था। वही इस पूरे मामले में बीकेटीसी को क्लीनचिट मिलने पर विपक्ष ने सवाल खड़े कर दिए है।

वही इस तरह के आरोपों ने एक बार फिर केदारनाथ धाम को राजनीतिक बहस के केंद्र में ला खड़ा कर दिया है। जहां एक ओर कांग्रेस इसे आस्था से जुड़ा मुद्दा बता रही है. वहीं बीजेपी इसे निराधार और राजनीतिक हताशा से प्रेरित कह रही है। सवाल यह है कि क्या आस्था के मुख्य केंद्रों पर राजनीति या भ्रष्टाचार की बात कहना सही है। वही अब अपनी बेगुनाही को लेकर भाजपा के बीकेटीसी पूर्व अध्यक्ष ने एक बार मानहानि का मुकदमा दर्ज करने के बयान पर राजनीति में हलचल पैदा कर दी है.