उत्तराखण्ड में इस साल प्राकृतिक आपदा की वजह से राज्य को हज़ारो करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. साल 2013 में केदार घाटी में आई भीषण आपदा के बाद साल 2025 में आपदा से राज्य को सबसे अधिक आर्थिक नुकसान हुआ है. दरअसल आपदा प्रबंधन विभाग ने सभी विभागों से और जिलों से नुकसान की रिपोर्ट मांगी थी. ऐसे में विभागों और जिलों से प्राप्त नुकसान के रिपोर्ट को आपदा प्रबंधन विभाग ने कंपाइल कर लिया है. वहीं, भारत सरकार की ओर से गठित नुकसान के आकलन के लिए टीम अगले हफ्ते उत्तराखंड पहुंचने वाली है. उत्तराखंड मे विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण आपदा जैसे हालात बनते रहे हैं. खासकर मानसून सीजन के दौरान प्रदेश के तमाम क्षेत्रों में स्थितियां काफी अधिक गंभीर हो जाती हैं. ऐसे में प्राकृतिक आपदा की वजह से हर साल उत्तराखंड को काफी अधिक आर्थिक क्षति होती है. साल 2025 में साल 2013 के बाद सबसे बड़ी आर्थिक क्षति हुई है. आपदा प्रबंधन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार साल 2025 में अभी तक हज़ारो करोड़ रुपए की आर्थिक हानि हो चुकी है. जिसकी रिपोर्ट लगभग तैयार की जा चुकी है. जल्द ही इसका मेमोरेंडम तैयार कर भारत सरकार को भेजा जाएगा. ताकि भारत सरकार की ओर से आर्थिक मदद की जा सके. वही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कल बैठक कर बताया कि आपदा से हुए नुकसान का आंकलन किया जा रहा है इस बार भारी बारिश से मुख्य सड़कों और मुख्य पुलों को नुक़सान पहुँचा है आपदा प्रभावित क्षेत्रों में लगातार व्यवस्थाओं को सुचारू करने के लिए विभाग कार्यरत है। वही विपक्ष ने आपदा को लेकर सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया है।
उत्तराखंड में इस साल अगस्त के महीने में पिछले 10 सालों के अन्दर सबसे अधिक बारिश हुई है. आमतौर पर बीते सालों में अगस्त महीने में एवरेज 300 से 350 एमएम बारिश होती रही है. लेकिन इस साल अगस्त महीने में 574 मिलीमीटर बारिश हुई है जो सामान्य से काफी अधिक है. यही वजह है कि अत्यधिक बारिश होने की वजह से काफी अधिक क्षति हुई है. सितंबर महीने में भी अच्छी खासी बारिश होने की संभावना है. मौसम विभाग ने भी कहा है कि सितंबर महीने में भी सामान्य से अधिक बारिश होगी. जिसके चलते नुकसान की संभावना बनी हुई है. जिसके चलते पर्वतीय क्षेत्रों में यात्रा करने वाले यात्रियों को सावधानियां बरतनी की जरूरत है. आपदा प्रबंधन का कहना है कि जिस दौरान बरसात हो रही हो उस दौरान यात्रा करने से बचे. क्योंकि बरसात के दौरान भूस्खलन होने की संभावना बनी रहती है. इसके साथ ही मैदानी क्षेत्रों में जलभराव की समस्या होने की भी संभावना है. जिसके चलते संबंधित जिलाधिकारी को निर्देश दिए गए हैं. आपदा प्रबंधन के अनुसार विभागों से नुकसान की सूची प्राप्त हो गई है. जिसको कंपाइल किया गया है. इस आपदा सीजन के दौरान 5000 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है. साथ ही साल 2025 में 1 अप्रैल से अभी तक 79 लोगों की मौत हुई है. 115 लोग घायल हुए हैं. नुकसान का आकलन करने आने वाली केंद्र की टीम से उनकी बातचीत हुई है. ऐसे में अगले हफ्ते सोमवार या मंगलवार को टीम उत्तराखंड आ जाएगी. ये टीम आपदा प्रभावित क्षेत्रों में जाकर नुकसान का आकलन करेगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि केंद्र सरकार राज्य सरकार को पूरी तरह से सहयोग कर रही है केंद्र की और से भी राज्य में हुए नुकसान को लेकर अधिकारियों को नियुक्त किया गया है केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर आपदाग्रस्त इलाकों में जनजीवन को सुचारू करने के लिए लगातार कार्य कर रही है केंद्र सरकार ने भी राज्य सरकार को भरोसा दिलाया है कि हर तरह से केंद्र की ओर से राज्य की मदद की जाएगी।
वही कांग्रेस ने केंद्र व राज्य की बीजेपी सरकार पर जमकर हमला बोला है प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रदेश उपाध्यक्ष संगठन सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि चुनावी फायदे के लिए केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम की माला जपने वाले और केदारधाम में आकर धुनी रमाने वाले प्रधानमंत्री आज संकट की घड़ी में केदारनाथ बद्रीनाथ समेत सारे उत्तराखंड को भूल गए हैं और वे या तो बिहार चुनाव में व्यस्त हैं या विदेशों के दौरे कर रहे हैं पर आज तक भयंकर आपदाओं से जूझ रहे उत्तराखंड वासियो की सुध लेने ना तो अपने किसी वरिष्ठ मंत्रिमंडलीय सहयोगी को उत्तराखंड भेजा ना ही किसी केंद्रीय दल को उत्तराखंड में हुए जान मॉल के नुकसान का आंकलन करने के लिए भेजा। धस्माना ने कहा कि आज राज्य के सभी पर्वतीय जिले आपदाओं से बदहाल हो गये हैं। उत्तरकाशी में धराली हरसिल यमुनोत्री सियाणा चट्टी, राणा चट्टी, यमुनोत्री गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग भयंकर आपदा की चपेट में हैं। धराली हरसिल में बड़ी जनहानि हुई है और लोगों के घर होटल दुकान पूरी तरह से नेस्तनाबूद हो गए हैं। धस्माना ने कहा कि चमोली जिले के थराली, देवाल व बद्रीनाथ में भी आपदा से जान माल कि बड़ी हानि हुई है और यही हाल रुद्रप्रयाग जिले का है। धस्माना ने कहा कि पौड़ी जनपद का बड़ा हिस्सा आपदा ग्रस्त है और जिले में अनेक लोगों की मौत आपदा में हुई है। विपक्ष का कहना है कि कुमायूं मंडल में भी पिथौरागढ़ जनपद में आपदा से नुकसान हुआ है ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चाहिए कि वे पूरे उत्तराखंड को आपदा ग्रस्त राज्य घोषित करते हुए तत्काल केंद्रीय सरकार का एक दल उत्तराखंड भेज कर यहां हुए नुकसान व जन हानि का आंकलन कर राहत पुनर्वास व पुनर्निर्माण कार्यों के लिए विशेष आर्थिक पैकेज घोषित करे और केंद्र व राज्य सरकार की संयुक्त निगरानी में उत्तराखंड में राहत पुनर्वास व पुनर्निर्माण का कार्य हो। विपक्ष ने कहा कि 2013 में केदारनाथ आपदा के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आपदा ग्रस्त क्षेत्र में तत्काल उच्च केंद्रीय दल भेजा और केंद्र सरकार ने राहत पुनर्वास व पुनर्निर्माण कार्यों के लिए 21 हजार करोड़ रुपए का आर्थिक पैकेज दिया था।
उत्तराखण्ड में हरसिल, धराली में आई बड़ी आपदा में खास बात यह है कि खीरगंगा से आया लाखों टन मलबा आज भी धराली बाजार के ऊपर पसरा हुआ है. एक पूरा बड़ा बाजार मलबे के नीचे है. जाहिर है कि जिस बाजार में 65 होटल 30 से ज्यादा रिजॉर्ट और होमस्टे समेत तमाम दुकानें मौजूद हो उसके ऊपर 25 से 30 फीट और कहीं-कहीं 40 फीट मलबा आने से सब कुछ जमींदोज हो चुका है. ऐसे में आपदा में नुकसान का आंकलन भी आसान नही. सभी राजनैतिक पार्टियों को भी समझना होगा ये समय प्रदेश में राजनीती का नहीं बल्कि उन पीड़ित परिवारों के साथ खड़े रहने का है। ताकि उत्तराखण्ड में जल्द जनजीवन पटरी पर आ सके।
उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट