उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड के इस साल मानसून ने भारी तबाही मचाई थी खासकर उत्तरकाशी, पौड़ी, चमोली, देहरादून और बागेश्वर जिलों में भारी बारिश की वजह से काफी आर्थिक नुकसान हुआ था. उत्तरकाशी, पौड़ी और चमोली समेत अन्य कुछ जिलों में हुए नुकसान के बाद मोदी सरकार ने 1200 करोड़ रुपए की तात्कालिक आर्थिक पैकेज की घोषणा कर दी थी. प्राथमिकता के आधार पर इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम किया जाए. इसके लिए आपदा प्रबंधन विभाग ने पोस्ट डिजास्टर नीड एसेसमेंट करने का निर्णय लिया था. ऐसे में पीडीएनए के लिए गठित टीम की ओर से अनुमान लगाया जा रहा है. मानसून के दौरान प्रदेश के लगभग सभी जिलों में आपदा की वजह से काफी नुकसान हुआ है. ऐसे में सभी जिलों में पोस्ट डिजास्टर नीड एसेसमेंट की कार्रवाई कराई जा रही है. अभी तक 6 जिलों में पीडीएनए के लिए गठित टीम दौरा कर चुकी है. ऐसे में जल्द ही बाकी अन्य जिलों में भी पीडीएनए की टीम दौरा करेगी. इसके बाद पीडीएनए की रिपोर्ट तैयार की जाएगी. जिसके आधार पर राहत राशि जारी की जाएगी। वही विपक्ष का कहना है कि आकलन के लिए टीम भेजने के बजाय केन्द्र और राज्य सरकार को वैज्ञानिकों, भू वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की टीमें भेजनी चाहिए। ये टीमें आने वाले समय में संभावित आपदाओं का आकलन कर उत्तराखंड को तैयार करने की ठोस रूपरेखा प्रस्तुत कर सकती हैं। कांग्रेस ने पीडीएनए की रिपोर्ट में देरी पर सवाल खड़े कर दिए है।
आपको बता दे उत्तराखंड में इस साल अगस्त का महीना काफी अधिक नुकसानदायक साबित हुआ था. 5 अगस्त को धराली- हर्षिल में आई आपदा के बाद बड़े स्तर पर आपदा का सिलसिला शुरू हुआ और फिर उत्तरकाशी के साथ ही चमोली, रुद्रप्रयाग, उधमसिंह नगर और देहरादून में भी आपदा के दंश देखे गए. आपदा के बाद आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से नुकसान का आकलन करते हुए 5,702.15 करोड़ रुपए का मेमोरेंडम तैयार किया गया. मेमोरेंडम में प्राकृतिक आपदा की वजह से 1,944.15 करोड़ रुपए का नुकसान बताया गया. साथ ही परिसंपत्तियों को बचाने और अवस्थापना संरचनाओं को बचाने के लिए 3,758 करोड़ रुपए की आवश्यकता का जिक्र किया गया. साथ ही उत्तराखंड सरकार ने 5,702.15 करोड़ रुपए का मेमोरेंडम तैयार कर केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था. इसी बीच उत्तराखंड दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तात्कालिक तौर पर उत्तराखण्ड राज्य को 1200 करोड़ रुपए आर्थिक पैकेज के रूप में देने की घोषणा की थी. हालांकि नुकसान का मेमोरेंडम भेजे जाने के बाद भारत सरकार की ओर से नुकसान का आकलन करने के लिए गठित टीम ने भी उत्तराखण्ड का दौरा किया और नुकसान का आकलन किया था. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से आर्थिक पैकेज की घोषणा के बाद ही उत्तराखण्ड सरकार ने पोस्ट डिजास्टर नीड एसेसमेंट कराए जाने का निर्णय लिया. ताकि पीडीएनए के आधार पर केंद्र सरकार की ओर से घोषित आर्थिक पैकेज की धनराशि को जारी करवाया जा सके. आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन के अनुसार किसी भी आपदा के बाद हमारी क्या आवश्यकता है. इसका आकलन करने के लिए पीडीएनए कराया जाता है. साथ ही मोदी सरकार ने जो 1200 करोड़ रुपए की घोषणा की थी. ये धनराशि पीडीएनए की रिपोर्ट के बाद स्वीकृत की जाएगी. जिसके लिए विभाग की प्रक्रिया चल रही है।
वही प्रदेश कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से उत्तराखण्ड के लिए 20 हज़ार करोड़ का विशेष राहत पैकेज, भविष्य की चुनौतियों के लिए विशेषज्ञ टीमों की तैनाती, और 5 सितंबर को लिखे पत्र में रखी गई प्रमुख मांगों को दोहराया है। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अलग और विशेष राहत पैकेज जारी करने की मांग करते हुए कहा कि पहले उन्होंने 10 हज़ार करोड़ की सहायता का आग्रह किया था. लेकिन हालात की गंभीरता को देखते हुए अब यह राशि अपर्याप्त है। धामी सरकार ने केंद्र से केवल ₹5,700 करोड़ मांगे हैं. जबकि अकेले जोशीमठ के पुनर्निर्माण में लगभग ₹6,000 करोड़ की आवश्यकता है। उन्होंने पिछले वर्ष की जोशीमठ आपदा का उल्लेख करते हुए कहा कि इतनी बड़ी राशि सिर्फ एक क्षेत्र के लिए ही जरूरी है। कांग्रेस ने राज्य के अन्य आपदा प्रभावित इलाकों का भी जिक्र किया. जहां लोगों को अभी तक कोई राहत नहीं मिली है। कर्णप्रयाग के बहुगुणा ग्राम में 35 मकान क्षतिग्रस्त हुए लेकिन प्रभावित परिवारों को सहायता नहीं मिली है। गोपेश्वर और नैनीताल में लगातार भूस्खलन हो रहे हैं। खटिया, खाती गांव, भराड़ी, सौंग और धारचूला जैसे क्षेत्रों में भी आपदाएं आईं है. पर अब तक आर्थिक मदद नहीं पहुंची। उन्होंने स्पष्ट कहा कि कुल मिलाकर उत्तराखंड को कम से कम 20 हज़ार करोड़ की आर्थिक सहायता जल्द दी जानी चाहिए. ताकि गांवों का पुनर्निर्माण किया जा सके। कांग्रेस ने यह भी कहा कि आकलन के लिए टीम भेजने के बजाय केंद्र और राज्य सरकार को वैज्ञानिकों, भू वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की टीमें भेजनी चाहिए। ये टीमें आने वाले समय में संभावित आपदाओं का आकलन कर उत्तराखंड को तैयार करने की ठोस रूपरेखा प्रस्तुत कर सकती हैं। कांग्रेस ने पीडीएनए की रिपोर्ट में देरी पर सवाल खड़े कर दिए है।
आपको बता दे, इस साल 15 जून से शुरू हुए मानसून सीजन के बाद प्रदेश भर में भारी बरसात के चलते बड़ी मात्रा में नुकसान हुआ है. इस पूरे सीजन में अब तक 15535 किलोमीटर की सड़कों को नुकसान हुआ है, जिसको लगातार ठीक किया जा रहा है. इसमें केवल लोक निर्माण विभाग का 457 करोड़ का बजट खर्च होगा.वहीं इस मानसून सीजन में अभी तक 3500 से ज्यादा घर टूट चुके हैं. वहीं संख्या में इंसानों के साथ ही मवेशियों की जान भी गई है, जिसका लगातार आपदा प्रबंधन विभाग अब असेसमेंट कर रहा है और एक डिटेल एसेसमेंट PDNA यानी पोस्ट डिजास्टर नीड एंड एसेसमेंट के तहत किया जाएगा. यह रिपोर्ट भी केंद्र को भेजी जाएगी.लेकिन धीमी गति से चल रहे राहत के कामों को लेकर नाराजगी देखने को मिल रही है उम्मीद है की जल्द राहत के नाम से 1200 करोड़ रुपए की धनराशि से आपदा के जख्मों को जल्द राहत मिल पाए.