अभ्यर्थियों के सवाल भारी,जनसंवाद जारी !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड के बेरोजगार युवाओं के लिए सितंबर का महीना संघर्ष, उम्मीद और बदलाव का प्रतीक बन गया. राज्य में पेपर लीक मामले ने ऐसा तूफान खड़ा किया कि सड़कों से लेकर सचिवालय तक युवाओं की आवाज गूंज उठी. इस आंदोलन ने न केवल सरकार को झकझोर कर रख दिया बल्कि राज्य की भर्ती व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए. लगातार प्रदर्शन, धरने और विरोध के बाद आखिरकार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को खुद आगे आकर निर्णायक कदम उठाना पड़ा और पहली बार किसी पेपर लीक मामले में सीबीआई जांच की संस्तुति सरकार को करनी पड़ी. राज्य सरकार की तरफ से केंद्र सरकार को सीबीआई जांच का प्रस्ताव भेज दिया गया है. अब केंद्र सरकार के निर्णय का इंतेज़ार किया जा रहा है. राज्य सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि गृह मंत्रालय इस पर जल्द ही अंतिम निर्णय ले सकता है. इस बीच उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय को केंद्र से समन्वय स्थापित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है ताकि प्रक्रिया में कोई देरी न हो. एक ओर सीबीआई जांच की प्रक्रिया अपने औपचारिक रास्ते पर है तो वहीं राज्य पुलिस की एसआईटी की जांच भी तेजी से चल रही है. इसी सिलसिले में राजधानी देहरादून में सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की अध्यक्षता में एक जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में परीक्षार्थियों, आंदोलनकारियों, अभिभावकों और आम जनता ने खुलकर अपनी बात रखी. वही विपक्षी पार्टीयो ने प्रदेश के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताया है. और सीबीआई जांच की देरी पर सवाल खड़े कर दिए है।

आपको बता दे 21 सितंबर को यूकेएसएसएससी ने प्रदेश भर में असिस्टेंट रिव्यू ऑफिसर, पटवारी, लेखपाल, ग्राम विकास, पंचायत अधिकारी समेत ग्रेजुएट लेवल के 416 पदों के लिए परीक्षा आयोजित की थी. परीक्षा शुरू होने के कुछ देर बाद ही प्रश्न-पत्र के कुछ पन्ने सोशल मीडिया पर लीक हो गए थे. जिसके बाद प्रदेश में हंगामा मच गया था. पुलिस ने मामले की जांच की तो पता चला कि आदर्श बाल सदन इंटर कॉलेज बहादुरपुर जट हरिद्वार से एग्जाम सेंटर से पेपर लीक हुआ था. इसी सेंटर पर मुख्य आरोपी खालिद एग्जाम दे रहा था. इस सेंटर के तीन कमरों में नंबर 9,17 और 18 में जैमर नहीं लगा था. आरोप है कि परीक्षा शुरू होने के आधे घंटे बाद इंविजिलेटर से अनुमति लेकर खालिद बाहर निकलकर वॉशरूम में जाकर खालिद ने पेपर के कुछ फ़ोटो अपने मोबाइल में क्लिक कर तीन पेज अपनी बहन साबिया को भेजे दिए थे. साबिया ने वो पेपर प्रोफेसर सुमन को भेजे और प्रश्नों के उत्तर प्राप्त कर लिए. सुमन ने इस मामले की जानकारी पुलिस को न देकर उत्तराखण्ड स्वाभिमान मोर्चा के अध्यक्ष बॉबी पंवार को दे दी. बॉबी पंवार ने ये खबर सोशल मीडिया पर वायरल कर दी, जिसके बाद पूरे प्रदेश में हंगामा मच गया. पुलिस ने मामले की जांच करते हुए प्रोफेसर सुमन से पूछताछ की. जिसके बाद पुलिस ने साबिया को गिरफ्तार किया. साबिया ने अपने भाई खालिद के बारे में बताया.मामला सामने आने के बाद खालिद फरार हो गया था. हालांकि बाद में पुलिस ने खालिद को भी गिरफ्तार कर लिया था. फिलहाल खालिद और उसकी बहन साबिया जेल में बंद है. वहीं राज्य सरकार की तरफ से गठित की गई एसआईटी इस पूरे मामले की जांच कर रही है. इसके अलावा राज्य सरकार की तरफ से केंद्र को सीबीआई जांच के लिए संस्तुति भेज दी गई है. जिसको लेकर केन्द्र सरकार की हरी झण्डी का इंतज़ार है। वही जांच आयोग के सचिव विक्रम सिंह राणा ने भी इस पूरे मामले में स्पष्ट किया कि जांच पूर्ण पारदर्शिता के साथ की जा रही है. आयोग पर जनता का भरोसा सबसे बड़ा दायित्व है और इसलिए हर कदम पर साक्ष्यों की गहराई से जांच की जा रही है. राणा ने बताया कि जांच प्रक्रिया में कोई भी ढिलाई नहीं बरती जा रही है. सभी संदिग्धों से पूछताछ दस्तावेजों की जांच और परीक्षा केंद्रों से जुड़े रिकॉर्ड का बारीकी से परीक्षण किया जा रहा है. आयोग जल्द ही अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगा, जिसमें पूरे मामले की विस्तृत जानकारी होगी।

वही उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग ने होने वाली परीक्षाओं के संबंध में बड़ा अपडेट दे दिया है. उन्होंने बताया कि 5 अक्टूबर और 12 अक्टूबर को जो परीक्षाएं रद्द हुई थीं, उनकी नई तारीखों की घोषणा 9 अक्टूबर को कर दी जाएगी. उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग के अनुसार तय परीक्षाओं के रद्द होने पर इन तारीखों का ऐलान पहले ही हो चुका है लेकिन इस बीच हुए डेवलपमेंट के कारण परीक्षाओं को रोकना पड़ा. परीक्षाओं को लेकर अभ्यर्थियों के मन में कोई शक न रहे इसलिए भी अब नए सिरे से परीक्षाएं आयोजित करवाई जाएंगी. बता दें कि 5 अक्टूबर को समूह ग की सहकारी निरीक्षक वर्ग-2 और सहायक विकास अधिकारी (सहकारिता) परीक्षा आयोजित होनी थी. वहीं 12 अक्टूबर को भी परीक्षा की तारीख तय हुई थी. उन्होंने कहा कि आयोग की प्राथमिकता युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करना है. हमारा प्रयास है कि नवंबर माह में इन परीक्षाओं का आयोजन कराया जाए. इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है. सुरक्षा मानकों और परीक्षा प्रक्रिया में किसी तरह की चूक न हो. इसका विशेष ध्यान रखा जा रहा है. सभी भर्ती परीक्षाओं में डिजिटल सुरक्षा तकनीक, QR कोड आधारित प्रश्न-पत्र ट्रैकिंग सिस्टम और CCTV मॉनिटरिंग जैसे उपाय लागू किए जाएंगे। वही विपक्ष ने सीबीआई जांच में देरी पर सरकार के आगे कई सवाल खड़े कर दिए है।

चल रहे जनसंवाद में कई अभ्यर्थी और अभिभावकों का प्रश्न है कि यह पेपर लीक क्यों हुआ है? इसके संबंध में कई अभ्यर्थियों ने साक्ष्य भी दिए हैं. जो कि जांच का विषय है. इस जनसंवाद में कोचिंग सेंटर, अभ्यर्थी और अभिभावकों से विचार लिया जा रहा है. अगर किसी के पास साक्ष्य है तो वो दे सकते हैं. साथ ही आयोग ने एक ईमेल आईडी भी बनाई है, जिसमें हल्द्वानी और रुद्रपुर के अभ्यर्थियों ने कुछ दस्तावेज भेजे हैं.इसके अलावा देहरादून एसपी देहात जया बलूनी के नेतृत्व में पेपर लीक मामले की एसआईटी यानी स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) जांच चल रही है. जबकि, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सीबीआई यानी सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) की संस्तुति दे चुके हैं. सीबीआई संस्तुति के आश्वासन के बाद ही युवाओं का धरना स्थगित हुआ था. फिलहाल, पेपर लीक मामले की जांच हर तरफ से हो रही है.हालांकि सीबीआई जांच में लेटलतीफी होने का आरोप लगातार विपक्षी दलों के द्वारा लगाया जा रहा है.ऐसे में कब तक पेपर लीक प्रकरण में सीबीआई की जांच जारी होगी ये देखने वाली बात होगी।