Knews Desk, राष्ट्रीय औषधि शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (NIPER), मोहाली के वैज्ञानिकों ने राष्ट्रीय जैव-उद्यमिता प्रतियोगिता 2024 (NBEC 2024) जीतकर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान हासिल की है। सी-कैंप द्वारा BIRAC के सहयोग से आयोजित एनबीईसी 2024, देश की सबसे प्रतिष्ठित बायोटेक प्रतियोगिताओं में से एक है, जिसमें पूरे भारत से 3,000 से अधिक प्रतिभागी भाग लेते हैं। एनआईपीईआर टीम को उनके नए बायोफार्मास्युटिकल उत्पाद, बिसपेकडीएबी™ के लिए सम्मानित किया गया, जो एक इंजीनियर्ड बाइस्पेसिफिक एंटीबॉडी है। जिसे टीएनएफ-α और आईएल-23 साइटोकाइन्स दोनों को ब्लॉक करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो विभिन्न सूजन संबंधी स्थितियों में मुख्य योगदानकर्ता हैं।
BiSpekDAb™ को बायोटेक्नोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. अभय एच. पांडे के नेतृत्व में प्रोटीन बायोफार्मास्युटिकल लैब द्वारा फार्माकोलॉजी और टॉक्सिकोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. श्याम एस. शर्मा के सहयोग से विकसित किया जा रहा है। बाइस्पेकडीएबी™ को अस्थमा की सूजन को कम करने की इसकी महत्वपूर्ण क्षमता के लिए मान्यता दी गई, जिसका समर्थन पीएचडी स्कॉलर संदीप ने किया और ‘दवा खोज और विकास’ श्रेणी के तहत प्रतियोगिता का ग्रैंड फिनाले जीता। इस तकनीक की निर्णायक मंडल के सदस्यों द्वारा सराहना की गई और आईटी-बीटी तथा ग्रामीण विकास मंत्री श्री प्रियांक खड़गे द्वारा 1 लाख रुपये का एक्सेल नकद पुरस्कार प्रदान किया गया।
इस क्षेत्र में 20 से अधिक वर्षों का अनुभव रखने वाले प्रो. पांडे ने स्वास्थ्य सेवा में प्रोटीन बायोफार्मास्युटिकल्स के बढ़ते महत्व और भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उनकी प्रयोगशाला कई बीमारियों को लक्षित करने वाले विभिन्न बायोफार्मास्युटिकल्स विकसित करने में सक्रिय रूप से लगी हुई है, जिसमें एंटीबॉडी कार्यक्रम मुख्य फोकस हैं। प्रो. पांडे का लक्ष्य दवा आयात पर राष्ट्रीय निर्भरता को कम करना और देश को स्वास्थ्य सेवा में आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ाना है। प्रोफेसर पांडे ने कहा कि भारतीय बायोफार्मास्युटिकल अनुसंधान में अपार संभावनाएं हैं और यह देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। BiSpekDAb™ की सफलता हमारी प्रगति का एक उदाहरण मात्र है।
प्रो. शर्मा ने सफलता पर टिप्पणी करते हुए भारत और विश्व स्तर पर सूजन संबंधी विकारों की उच्च व्यापकता पर प्रकाश डाला और कहा कि बाइस्पेकडीएबी™ जैसे प्रभावी बायोलॉजिक्स अस्थमा जैसी सूजन-प्रेरित स्थितियों के लिए बहुत जरूरी समाधान प्रदान कर सकते हैं। उनके मास्टर्स छात्र चिराग गाला ने अस्थमा मॉडल में बाइस्पेकडीएबी की क्षमता दिखाई। इस तकनीक का पेटेंट पहले ही हो चुका है और प्रोफेसर शर्मा के सहयोग से इस पर आगे के प्री-क्लीनिकल अध्ययन किए जाने हैं, जिसका उद्देश्य विभिन्न अन्य सूजन संबंधी स्थितियों में इसकी प्रभावकारिता का पता लगाना है। टीम का अगला लक्ष्य इस तकनीक को जांच संबंधी नई दवा (IND) अनुप्रयोग चरण तक ले जाना है, साथ ही भविष्य में BiSpekDAb™ को पूरे देश में उपलब्ध कराने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।