चले राजनीतिक तीर, किसकी हार या जीत !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड में साल 2023 की विदाई के साथ ही लोकसभा चुनाव का बिगुल कभी भी बज सकता है। माना जा रहा है कि राज्य में डेढ़ माह बाद कभी भी लोकसभा चुनाव का बिगुल बज सकता है। ऐसे में तमाम राजनीतिक दलों की तैयारी तेज हो गई है। कांग्रेस ने जहां प्रभारी बदलने के साथ ही जनहित से जुड़े मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाकर भाजपा की नाकामियों को जनता तक पहुंचाने की रणनीति तैयार की है। तो वहीं भाजपा ने इसकी काट में कई रणनीति पर मंथन शुरू कर दिया है। इस मंथन से अमृत निकले इसके लिए 28 और 29 दिसंबर को काशीपुर में भाजपा की बड़ी बैठक होने जा रही है। पहले दिन सभी जिलाध्यक्ष,जिला प्रभारी, सह प्रभारी और मोर्चों के प्रदेश अध्यक्षों की बैठक होगी। जबकि दूसरे दिन जिलाध्यक्ष, जिला प्रभारी, सह प्रभारी, मोर्चों के प्रदेश अध्यक्ष, महामंत्री, प्रकोष्ठों के प्रदेश संयोजक एवं सह संयोजक की बैठक होगी…बैठक में राज्य की पांचों लोकसभा सीटों को जीतने पर मंथन किया जाएगा…इसके साथ ही पार्टी ने राज्य की सभी पांचों लोकसभा सीटों में 51 फीसदी मत प्रतिशत हासिल करने का लक्ष्य भी रखा है। इसके लिए बूथ स्तर पर रणनीति बनाई गई है। बूथ पदाधिकारियों को नए मतदाता बनाने के साथ ही उनसे संवाद स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही भाजपा ने उत्तराखंड में पहली बार मतदाता बने युवाओँ के सम्मेलन आयोजित करने का फैसला लिया है। हर विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले इन सम्मेलनों को मोदी समर्थक युवा मतदाता सम्मेलन नाम दिया गया है। इन सम्मेलनों में पहली बार मतदाता बने युवाओं को शामिल किया जाएगा…ये वह युवा होंगे जिन्होने अभी तक भाजपा की सदस्यता नहीं ली है। या अभी तक उनका पार्टी से कोई जुड़ाव नहीं है…भाजपा का कहना है कि बड़ी संख्या में युवा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक बार फिर से प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं। इसको देखते हुए पार्टी के नेता इन युवाओं से संवाद कर इनके लिए सम्मेलन आयोजित करने जा रही है.. भाजपा की पूरी कोशिश है कि प्रचंड बहुमत के साथ एक बार फिर सत्ता में काबिज में हो सके हांलाकि कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों का कहना है कि जनता भाजपा को समझ चुकी है और इसबार सबक सिखाने की तैयारी जनता ने की है।

 

लोकसभा चुनाव के लिए समय अब बेहद कम रह गया है। किसी भी वक्त उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज सकता है…समय की नजाकत को समझते हुए सभी दलों ने चुनावी तैयारियों के लिए कमर कस ली है। कांग्रेस ने जहां प्रभारी बदलने के साथ ही जनहित से जुड़े मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाकर भाजपा की नाकामियों को जनता तक पहुंचाने की रणनीति तैयार की है। तो वहीं भाजपा ने इसकी काट में कई रणनीति पर मंथन शुरू कर दिया है। इस मंथन से अमृत निकले इसके लिए 28 और 29 दिसंबर को काशीपुर में भाजपा की बड़ी बैठक होने जा रही है। पहले दिन सभी जिलाध्यक्ष,जिला प्रभारी, सह प्रभारी और मोर्चों के प्रदेश अध्यक्षों की बैठक होगी। जबकि दूसरे दिन जिलाध्यक्ष, जिला प्रभारी, सह प्रभारी, मोर्चों के प्रदेश अध्यक्ष, महामंत्री, प्रकोष्ठों के प्रदेश संयोजक एवं सह संयोजक की बैठक होगी…बैठक में राज्य की पांचों लोकसभा सीटों को जीतने पर मंथन किया जाएगा…हांलाकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का दावा है कि जनता इस चुनाव में भाजपा को सबक सिखाने जा रही है

आपको बता दे कि राज्य की पांचों लोकसभा सीटों पर इस समय भाजपा का कब्जा है और अब भाजपा एक बार फिर हैट्रिक मारने की तैयारी में लगी हुई है। भाजपा ने राज्य की सभी पांचों लोकसभा सीटों में 51 फीसदी मत प्रतिशत हासिल करने का लक्ष्य भी रखा है। इसके लिए बूथ स्तर पर रणनीति बनाई गई है। बूथ पदाधिकारियों को नए मतदाता बनाने के साथ ही उनसे संवाद स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही भाजपा ने उत्तराखंड में पहली बार मतदाता बने युवाओँ के सम्मेलन आयोजित करने का फैसला लिया है। हर विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले इन सम्मेलनों को मोदी समर्थक युवा मतदाता सम्मेलन नाम दिया गया है। इन सम्मेलनों में पहली बार मतदाता बने युवाओं को शामिल किया जाएगा…ये वह युवा होंगे जिन्होने अभी तक भाजपा की सदस्यता नहीं ली है। या अभी तक उनका पार्टी से कोई जुड़ाव नहीं है…

कुल मिलाकर उत्तराखंड में साल 2023 की विदाई के साथ ही लोकसभा चुनाव का बिगुल कभी भी बज सकता है। ऐसे में सभी दलों की तैयारी तेज हो गई है। हांलाकि भाजपा तमाम विपक्षी दलों को तैयारियों के लिहाज से पीछे छोड़ गई है। और अब इन्ही तैयारियों को धार देते हुए भाजपा आगे बढ़ती हुई नजर आ रही है ऐसे में देखना होगा कि तमाम दलों को इन तैयारियों का क्या परिणाम देखने को मिलता है

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