पंजाब में किसान नेताओं की धरपकड़, एसकेएम के चंडीगढ़ कूच पर सरकार का कड़ा रुख

KNEWS DESK-  पंजाब में किसानों के आंदोलन को लेकर तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। सोमवार देर रात से ही पंजाब पुलिस ने किसान नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी, जब संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने चंडीगढ़ में पक्का मोर्चा डालने का ऐलान किया। इस कार्रवाई के तहत मंगलवार को पूरे दिन भर पुलिस ने किसान नेताओं को उनके घरों से हिरासत में लिया, जबकि कुछ को नजरबंद भी कर दिया गया। सरकार की इस सख्त कार्रवाई के बाद राज्यभर में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।

पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने इस दौरान प्रदेश सरकार की कार्रवाई की कड़ी आलोचना की। मंगलवार देर रात चन्नी ने खरड़ तहसील के घड़ूआं थाने में हिरासत में लिए गए किसान नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने सरकार द्वारा किए गए इस कदम को असंवैधानिक और अनुचित करार दिया, और कहा कि यह किसानों की आवाज दबाने की कोशिश है।

सरकार ने किसान नेताओं के चंडीगढ़ कूच को रोकने के लिए चंडीगढ़ और आसपास के इलाकों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। चंडीगढ़ पुलिस ने शहर के सभी एंट्री प्वाइंट्स पर वाहनों की आवाजाही को पूरी तरह से बंद कर दिया है। इन प्वाइंट्स पर करीब 2500 जवानों को तैनात किया गया है, जबकि थानों के एसएचओ को भी अपने-अपने थानों में ही बने रहने के आदेश दिए गए हैं। यह कदम सरकार की ओर से राज्य में शांति बनाए रखने और किसी भी प्रकार के अव्यवस्था को रोकने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।

हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी हालत में चंडीगढ़ कूच करेंगे और उनके रास्ते में कोई भी रोड़ा डाला जाएगा, तो वे धरने पर बैठ जाएंगे। एसकेएम ने यह भी कहा कि वे ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ सरकार के खिलाफ अपने विरोध को और तेज करेंगे। इस संघर्ष के आगे बढ़ने से राज्य में राजनीतिक और सामाजिक माहौल और भी गर्म हो सकता है।

किसान नेताओं के खिलाफ पुलिस कार्रवाई और सरकार के सख्त रुख को लेकर प्रदेश में हलचल बनी हुई है। विपक्षी दलों ने भी इस मामले पर सरकार की आलोचना करते हुए इसे लोकतंत्र की हत्या बताया है। दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि यह कदम कानून-व्यवस्था बनाए रखने और राज्य में किसी भी तरह के हिंसक विरोध को रोकने के लिए उठाया गया है। पंजाब में यह टकराव और कड़ा हो सकता है, क्योंकि किसान संगठनों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे किसी भी परिस्थिति में अपनी मांगों से पीछे नहीं हटेंगे और सरकार के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।

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