पंजाब- पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने आज माता गुजरी जी और छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह जी की शहादत को समर्पित शहीदी जुड़ मेल के दूसरे दिन गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब में मत्था टेका। पवित्र तीर्थस्थल पर मत्था टेकने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पवित्र स्थान न केवल सिखों के लिए बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
उन्होंने कहा कि दशमेश पिता श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे पुत्र बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह जी ने कम उम्र में ही शहादत प्राप्त की थी। भगवंत सिंह मान ने कहा कि माता गुजरी जी और साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह जी की शहादत वाली यह पवित्र धरती सदियों से पंजाबियों को अन्याय, जुल्म और जुल्म के खिलाफ आवाज उठाने की प्रेरणा देती रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छोटे साहिबजादों ने उस अवसर पर सरहिंद के मुगल शासक की मनमानी और बदमाशी के खिलाफ खड़े होकर निडरता और बहादुरी का अनुकरणीय प्रदर्शन किया था।
उन्होंने कहा कि साहिबजादों को वीरता और बलिदान की भावना गुहटी में दशमेश पिता जी से मिली और गुरु साहिब जी ने मानवता की खातिर सरकार के खिलाफ कड़ा संघर्ष किया। भगवंत सिंह मान ने कहा कि आज दुनिया भर से संगत विश्व के इतिहास में अभूतपूर्व बलिदान देने वाले युवा साहिबजादों को श्रद्धांजलि और सम्मान देने के लिए फतेहगढ़ साहिब पहुंच रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दुनिया के इतिहास में ऐसा कोई उदाहरण नहीं है जब छोटे साहिबजादों के उम्र में किसी और ने लासानी का बलिदान दिया हो।
उन्होंने कहा कि साहिबजादों के अद्वितीय बलिदान पर दुनिया को गर्व है, जिससे यह न केवल पंजाबियों या देशवासियों के लिए बल्कि हर इंसान के लिए गर्व की बात है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि वह खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें राज्य और लोगों की सेवा करने का सौभाग्य मिला है और इस नेक काम के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि राज्य सरकार समाज के हर वर्ग के कल्याण के लिए महान गुरुओं और शहीदों के बताये रास्ते पर चल रही है।
मुख्यमंत्री ने याद दिलाया कि जब वह लोकसभा के सदस्य थे, तब इस मामले को तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के ध्यान में लाने के बाद सदन ने गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे पुत्रों को श्रद्धांजलि दी थी। भगवंत सिंह ने कहा कि पूरा पंजाब इस महीने को ‘शोक माह’ के रूप में मनाता है क्योंकि इन्हीं दिनों में अत्याचारी शासकों ने छोटे साहिबजादों को जिंदा दफना दिया था। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को इस अभूतपूर्व बलिदान से अवगत कराने की जरूरत है ताकि वे देश सेवा के लिए प्रेरित हो सकें।
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