मुख्यमंत्री भगवंत मान का कड़ा रुख, सरकार अब नहीं झुकेगी, किसानों और अधिकारियों के प्रति सख्त कदम

KNEWS DESK-  पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान इन दिनों अपने कड़े तेवरों के लिए चर्चा में हैं। उनका यह सख्त रवैया राज्य में कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के साथ-साथ उनकी सरकार के दृढ़ नायक बनने का संकेत देता है। भगवंत मान ने खुद को राज्य के साढ़े तीन करोड़ लोगों का कस्टोडियन बताते हुए स्पष्ट किया है कि वह जनता के विश्वास पर खरा उतरने के लिए हर संभव कदम उठाने के लिए तैयार हैं। इस संदेश से साफ है कि अब उनकी सरकार किसी भी प्रकार के दबाव में झुकने के मूड में नहीं है।

हालांकि, मुख्यमंत्री के इस कड़े रवैये ने विपक्षी दलों को एक बार फिर उन्हें सियासी निशाना बनाने का मौका दे दिया है। बीते सोमवार को चंडीगढ़ के पंजाब भवन में किसानों के साथ एक बैठक के दौरान मुख्यमंत्री भगवंत मान का गुस्सा सामने आया। बैठक के बीच में वह अचानक उठकर चले गए, जिससे किसान जत्थेबंदियों में उनकी छवि को नुकसान हुआ है। किसानों के साथ बातचीत में यह टकराव, मुख्यमंत्री के सख्त नेतृत्व के प्रति उनकी दृढ़ता को दर्शाता है, लेकिन इसने विपक्ष को हमला करने का एक और अवसर भी दिया है।

मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार अब किसी भी प्रकार के आंदोलन या कानून-व्यवस्था के उल्लंघन को सहन नहीं करना चाहती। किसानों द्वारा चंडीगढ़ में पक्का मोर्चा डालने की कोशिश को रोकने के लिए, सरकार ने किसानों को उनके घरों में नजरबंद करने जैसा कदम उठाया। यह कदम इस बात का संकेत है कि पंजाब सरकार अब किसी भी स्थिति में राज्य की कानून व्यवस्था को कमजोर नहीं होने देना चाहती। भगवंत मान ने स्पष्ट किया कि सरकार को किसी भी हालत में अपनी नीतियों को लागू करने में कोई रुकावट नहीं आनी चाहिए।

इसी क्रम में, जब पंजाब के राजस्व अधिकारी सामूहिक रूप से छुट्टी पर चले गए, तो मुख्यमंत्री ने भी अपनी सख्ती दिखाई। उन्होंने छुट्टी पर गए तहसीलदारों की कुर्सियों पर कानून गो और सीनियर सहायकों को बैठा दिया और यह भी कहा कि अगर आवश्यकता पड़ी तो क्लर्क और हेड मास्टरों को भी ड्यूटी सौंप दी जाएगी। मुख्यमंत्री का यह कदम यह दर्शाता है कि वह किसी भी स्थिति में अपने प्रशासनिक कार्यों में ढिलाई नहीं बरतने वाले हैं।

मुख्यमंत्री भगवंत मान का यह कड़ा रुख और उनके निर्णय यह साबित करते हैं कि उनकी सरकार अब कोई समझौता करने के मूड में नहीं है। चाहे वह किसान आंदोलन हो, राजस्व अधिकारियों की हड़ताल हो, या राज्य की कानून-व्यवस्था को लेकर किसी भी तरह का संकट हो, मुख्यमंत्री भगवंत मान पूरी तरह से अपने निर्णयों में सख्त और स्पष्ट हैं। उनका यह नेतृत्व पंजाब के राजनीतिक परिदृश्य को न सिर्फ चुनौती दे रहा है, बल्कि एक नई दिशा भी दे रहा है।

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