डिजिटल डेस्क- उत्तर प्रदेश में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के दौरान बीएलओ (ब्लॉक लेवल ऑफिसर) की लगातार मौतों ने राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर हड़कंप मचा दिया है। राज्य में सोमवार को देवरिया जिले में एक बीएलओ शिक्षा मित्र की मौत की खबर आई। इसके साथ ही यूपी में SIR के दौरान मरने वाले बीएलओ की संख्या पांच हो गई है। सूत्रों के अनुसार, इन मौतों में से तीन बीएलओ की मौत स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण हुई, जबकि दो बीएलओ ने कथित तौर पर आत्महत्या की। इस मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर सख्त प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जिस तरह से SIR के दौरान बीएलओ की जान जा रही है और भाजपा सरकार शोक प्रकट करने के बजाय, मरने वालों पर कामचोरी के आरोप लगा रही है, यह बेहद निंदनीय है। अखिलेश यादव ने कहा कि सत्ता के अहंकार में भाजपा यह मानकर चल रही है कि काम के दबाव में किसी की मृत्यु होने पर भी अपनी व्यवस्थाओं में सुधार करने की आवश्यकता नहीं है और न ही किसी प्रकार का मुआवजा दिया जाएगा।
भाजपा के कट्टर समर्थक भी शर्मिंदा- अखिलेश यादव
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा के कट्टर समर्थक भी इस अमानवीय रवैये से शर्मिंदा हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जनाक्रोश के डर से मृतकों के घर तक नहीं जा पा रही है और इस कारण इनके सामाजिक संबंधों में दरार आ रही है। अखिलेश यादव ने आगे कहा कि सत्ता के दंभ में भाजपा अमानवीय हो गई है और यह अपने कर्मचारियों के प्रति संवेदनशीलता खो चुकी है। इसके अलावा, उन्होंने चुनाव आयोग से अपील की थी कि SIR के दौरान मानसिक और शारीरिक दबाव के कारण जान गंवाने वाले बीएलओ को एक करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए। अखिलेश यादव ने यह भी घोषणा की कि उनकी पार्टी मृतक कर्मचारियों के आश्रितों को दो लाख रुपये का मुआवजा देने का वादा करती है।
बीएलओ की मौत खड़े कर रही सवाल
राज्य में SIR के दौरान बीएलओ की मौतों ने चुनावी प्रक्रियाओं की मानवतावादी चुनौतियों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासन की तरफ से फिलहाल मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजे और राहत की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। इस घटना के बाद राजनीतिक विरोध तेज हो गया है और सरकार पर कर्मचारियों की सुरक्षा और कल्याण के लिए जवाबदेही तय करने का दबाव बढ़ गया है।