डिजिटल डेस्क- शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत के हालिया बयान ने महाराष्ट्र की सियासी हलचल बढ़ा दी है। राउत ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने शिवसेना के शिंदे गुट के नेता एकनाथ शिंदे को निर्देश दिया है कि महानगरपालिका चुनावों के बाद वे अपनी पार्टी को भाजपा में विलय कर दें। संजय राउत ने यह बयान उस समय दिया जब शिवसेना पार्टी और उसके चुनाव चिन्ह को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामला चर्चा में है। उन्होंने कहा कि जब भी सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना और चुनाव चिन्ह के मामले की सुनवाई करीब आती है, शिंदे डर के कारण मोदी और शाह से मुलाकात करते हैं। राउत ने आगे बताया कि शिंदे को अच्छी तरह पता है कि सुप्रीम कोर्ट में उनका मामला टिक नहीं पाएगा और उन्हें चुनाव चिन्ह नहीं मिलेगा।
दुनिया की निगाहें भारत के संविधान और न्याय व्यवस्था पर टिकी है
संसद सदस्य ने कहा, “भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया की निगाहें भारतीय संविधान और न्याय व्यवस्था पर टिकी हैं। शिवसेना का सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामला इसलिए महत्वपूर्ण है। अगर कोर्ट का फैसला संवैधानिक सिद्धांतों के खिलाफ गया, तो यह भारत की न्यायिक प्रक्रिया और संविधान पर विश्वास को प्रभावित करेगा।”
क्या है मामला?
यह विवाद 2022 में शुरू हुआ था, जब शिवसेना पार्टी दो गुटों में बंट गई। एक गुट उद्धव ठाकरे का है और दूसरा एकनाथ शिंदे का। दोनों गुटों ने दावा किया कि धनुष-बाण चुनाव चिन्ह उनकी पार्टी का है। चुनाव आयोग ने 2023 में मतों के आधार पर चुनाव चिन्ह और पार्टी का नाम शिंदे गुट को आवंटित कर दिया था। इसके खिलाफ उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए 12 नवंबर 2025 की तारीख तय की है।