डिजिटल डेस्क- सिद्धार्थनगर के डुमरियागंज से भाजपा के पूर्व विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह के “मुस्लिम लड़की लाओ, नौकरी पाओ” वाले बयान पर सियासी तूफान मच गया है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने इस बयान को संकीर्ण, घृणित और समाज में नफरत फैलाने वाला करार दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसे बयान देने वाले लोग न सिर्फ संविधान बल्कि सामाजिक सद्भाव के भी दुश्मन हैं।
एक्स पर पोस्ट कर किया पलटवार
मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा कि “यह ताज़ा संकीर्ण और घृणित बयान बेहद निंदनीय है। यूपी और उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में भी ‘धर्म परिवर्तन’ और ‘लव जिहाद’ जैसे मुद्दों को उछालकर साम्प्रदायिक द्वेष, वैमनस्य और अशांति फैलाने का यह शरारती खेल चल रहा है। ऐसे अराजक तत्व कानून और संविधान दोनों के लिए ख़तरा हैं। सरकारों को इन पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि कानून का राज कायम रह सके।” बसपा सुप्रीमो ने सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि ऐसे असामाजिक और आपराधिक तत्वों को “शह” देना लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बेहद खतरनाक है। उन्होंने मांग की कि राज्य सरकारें जनता की सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करें, यही जनहित में है।
क्या कहा था राघवेंद्र प्रताप सिंह ने?
16 अक्टूबर को सिद्धार्थनगर के धनखरपुर गांव में एक जनसभा के दौरान राघवेंद्र प्रताप सिंह ने विवादित टिप्पणी की थी। उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें वह कहते नजर आ रहे हैं “हमारे समाज की दो लड़कियां वो (मुस्लिम) ले गए, तुम मुसलमानों की 10 लड़कियां लाओ। दो पर दस से कम मंजूर नहीं है। जो यह लेके आएगा, उसके खाने-पीने और नौकरी का इंतजाम हम करेंगे। मुसलमानों, सुन लो यह हमें पच नहीं रहा है।” इस बयान के सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने भाजपा पर सांप्रदायिक राजनीति का आरोप लगाया है।
बसपा की रणनीति: मुस्लिम भाईचारा कमेटी की बैठक
इसी विवाद के बीच मायावती ने बुधवार को लखनऊ स्थित पार्टी मुख्यालय पर मुस्लिम समाज भाईचारा संगठन की विशेष बैठक बुलाई है। इस बैठक में पार्टी के मंडल स्तरीय पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को केंद्रीय चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों की जानकारी दी जाएगी।