KNEWS DESK- वक्फ बिल के सदन में पास होने से नाराज मुस्लिमों ने विरोध के स्वर तेज कर दिय हैं। ऐसे में मुश्किलों का सामना उन पार्टियों को करना पड़ रहा है, जिन्होंने सदन में इस बिल का समर्थन करके वोट डाला था। इन पार्टियों के नाराज मुस्लिम कार्यकर्ताओं और नेताओं ने अपनी ही पार्टी के विरोध में अपने स्वर प्रबल कर दिये हैं। ऐसे में जनता दल यूनियन (JDU) अपने नाराज कार्यकर्ताओं और नेताओं को मनाने में जुट गया है।
जनता दल यूनियन (JDU) ने वक्फ बिल में समर्थन के बाद उपजे विरोध के स्वरों को थामने के लिए एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया, जिसमें जनता दल यूनियन (JDU) ने तीन मुस्लिम नेताओं गुलाम गौस, अफज़ल अब्बास और अशफाक करीम को भी प्रेस कांफ्रेंस में बुलाया था। मजेदार बात ये रही कि पिछले दिनों इन तीनों नेताओं गुलाम गौस, अफज़ल अब्बास और अशफाक करीम ने मुखर होकर वक्फ बिल का समर्थन किया था।
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान इन लोगों से जब सदन में बिल का समर्थन करने संबंधी प्रश्न पूछा गया तो इन्होंने कहा कि वक्फ का समर्थन इसलिए किया गया था क्योंकि सरकार ने बिल में इनके सुझावों को मान लिया था। मगर जैसे ही पत्रकारों ने इनसे वक्फ बिल को लेकर तीखे सवाल पूछे तो आनन-फानन में प्रेस कांफ्रेंस को खत्म कर दिया गया।
प्रेस कांफ्रेंस में शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अफजल अब्बास, जेडीयू अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अशरफ अंसारी, एमएलसी गुलाम गौस, पूर्व राज्यसभा सांसद अशफाक करीम, सुन्नी वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष अंजुम आरा, कहकशा परवीन और सलीम परवेज जैसे पार्टी के प्रमुख मुस्लिम नेता इस पीसी में मौजूद रहे। अंजुम आरा ने दावा किया कि JDU ने वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर जो पांच सुझाव संसद की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में दिए थे, उन्हें केंद्र ने स्वीकार कर लिया है।
अंजूम आरा ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि जेडीयू ने पांच सुझाव या शर्तें रखी थीं, जिन्हें वक्फ संशोधन विधेयक में स्वीकार कर लिया गया। अंजूम आरा ने कहा कि पहला सुझाव जमीन राज्य का मामला है, इसलिए कानूनों में भी यह प्राथमिकता बरकरार रहनी चाहिए। दूसरे सुझाव के बारे में बताते हुए बोली कि यह कानून पूर्वव्यापी तरीके से नहीं, बल्कि भावी तरीके से प्रभावी होना चाहिए। तीसरे सुझाव पर कहा कि अगर किसी अपंजीकृत वक्फ संपत्ति पर कोई धार्मिक संस्थान स्थापित है, तो उससे छेड़छाड़ नहीं की जाएगी और चौथे व पांचवे सुझाव पर अंजूम आरा ने कहा कि वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवादों को सुलझाने के लिए जिला मजिस्ट्रेट से ऊपर के अधिकारी को अधिकृत किया जाए और वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को डिजिटल पोर्टल पर रजिस्टर करने के लिए बिल में दी गई 6 महीने की समय सीमा को बढ़ाया जाए। अंजूम आरा ने बताया कि ये पांचों सुझाव को केन्द्र सरकार द्वारा मान लिया गया था जिसके बाद ही पार्टी विधेयक पर सहमत हुई।