सपा के पूर्व सांसद ने व्यक्त की अपनी पीड़ा, कहा – “मैं पूर्व सांसद हूं मेरी भी गरिमा है लेकिन….”

रिपोर्ट – अश्विनी मिश्र

उत्तर प्रदेश – चंदौली संसदीय क्षेत्र में चुनाव अंतिम चरण में 1 जून को होना है जिसके लिए सभी पार्टी के प्रत्याशी जोर-शोर से जुटे हुए हैं। लेकिन समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह अपने ही पार्टी के पूर्व सांसद रामकिशुन यादव की उपेक्षा किए जाने से कमजोर साबित हो रहे हैं।

सपा के पूर्व सांसद ने व्यक्त की अपनी पीड़ा

आपको बता दें कि चंदौली संसदीय क्षेत्र में मतदान अंतिम चरण में 1 जून को होना है, जिसके लिए सभी पार्टियों के प्रत्याशी जोर-शोर से लगे हुए हैं। वहीं सपा के प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह अपने ही पार्टी के पूर्व सांसद रामकिशुन यादव की उपेक्षा किए जाने से कमजोर साबित हो रहे हैं। रामकिशुन यादव समाजवादी पार्टी से 2009 में चंदौली के सांसद बने थे और यह भी माना जाता है कि उनके साथ सभी धर्म जाति के लोग आज भी जुड़े हुए हैं। वह जिधर चलते हैं उधर कारवां हो जाता है। उनका एक अपना व्यक्तित्व है। 2024 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह ने अपने नामांकन में भी उनको नहीं पूछा, जिससे उनके समर्थक बेहद नाराज हैं और वह पासा पलट सकते हैं। रामकिशुन यादव ने अपने साक्षात्कार में कहा कि 2019 में भी मुझे टिकट नहीं दिया गया और मेरी पार्टी ने संजय चौहान को टिकट दिया | सपा बसपा के गठबंधन में संजय चौहान को हारना पड़ा और चुनाव के बाद फिर क्षेत्र में दिखाई नहीं दिए और अब तो पार्टी भी छोड़ दिए हैं।

Chandauli Newsसमाजवादी पार्टी के होकर लोगों की सेवा करते रहेंगे

उनका इशारा समाजवादी पार्टी के वर्तमान प्रत्याशी पर भी था कि ऐसे बाहरी लोग आते हैं और चुनाव तक ही रहते हैं उसके बाद कहां चले जाएंगे इसका कोई ठिकाना नहीं, लेकिन हम लोग समाजवादी पार्टी से निकले हैं और समाजवादी पार्टी के लिए ही बने हैं और अंतिम कड़ी तक समाजवादी पार्टी के होकर लोगों की सेवा करते रहेंगे। यही नहीं उन्होंने इशारो में यह भी कह दिया कि ऐसे प्रत्याशी हैं जिनका खुद का वोट भी अपने को नहीं दे पाते हैं।

कौन हैं वीरेंद्र सिंह जिन्हें समाजवादी पार्टी ने चंदौली लोकसभा सीट से घोषित  किया उम्मीदवार - samajwadi party lok sabha chandauli candidate virendra  singh know seat history ...मैं पूर्व सांसद हूं मेरी भी गरिमा है

पूर्व सांसद ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि मैं पूर्व सांसद हूं मेरी भी गरिमा है लेकिन मुझे लोग नहीं पूछ रहे हैं नहीं तवज्जो दे रहे हैं तो उसे कुछ नहीं होता है भगवान उनको सद्बुद्धि दे, मैं पार्टी के लिए हूं और पार्टी का काम करता रहूंगा। मुझे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लालगंज का प्रभारी बनाया था मैं वहां भी जाकर के पार्टी का काम किया हूं और यहां भी जो हमसे हो सकता है मैं करता रहूंगा।

जनता से निरंतर जुड़े रहते हैं

आपको बता दें कि पूर्व सांसद रामकिशुन यादव बहुत बड़े गेम चेंजर के रूप में जाने जाते हैं। उनके साथ लोगों का एक बड़ा समूह भी है क्योंकि वह जनता से निरंतर जुड़े रहते हैं और उनके लिए आधी रात को भी जरूरत पड़ती है तो खड़ा रहते हैं। जिसका परिणाम है कि 2019 के सपा बसपा के गठबंधन में भी रामकिशुन यादव को नजर अंदाज करना समाजवादी पार्टी को भारी पड़ गया और हार का मुंह देखना पड़ा ।

हमारे नेता को ही नजरअंदाज किया जा रहा

पूर्व सांसद के समर्थकों ने पार्टी को अपने समर्थन का एहसास दिला दिया। शायद 2024 में भी है पूर्व सांसद रामकिशुन यादव को समाजवादी पार्टी व प्रत्याशी का नजर अंदाज करना भारी पड़ सकता है। उनके समर्थक आज भी शांत बैठे हुए हैं और उनका कहना है कि जब हमारे नेता को ही नजरअंदाज किया जा रहा है तो ऐसे प्रत्याशियों की हमें जरूरत नहीं है। अब आने वाला 1 जून का मतदान और चार पर जून का परिणाम ही तय करेगा कि समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी को कितना समर्थन मिल रहा है।

About Post Author