डिजिटल डेस्क- वृंदावन स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी जी मंदिर के प्रशासन और प्रबंधन में अब बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अयोध्या के राम मंदिर, जम्मू के माता वैष्णो देवी मंदिर और आंध्र प्रदेश के तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम की तर्ज पर अब बांके बिहारी मंदिर का भी एक विधिवत ट्रस्ट गठित किया जाएगा। उत्तर प्रदेश विधानसभा और विधान परिषद से पारित उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट विधेयक, 2025 को राज्यपाल की मंजूरी मिल गई है। इसके साथ ही यह विधेयक कानून का रूप ले चुका है। विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने सदन को इसकी औपचारिक जानकारी दी। सरकार का कहना है कि इस कानून के लागू होने से मंदिर संचालन से जुड़ी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता आएगी और श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी। हर साल लाखों भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए सुव्यवस्थित प्रबंधन की लंबे समय से आवश्यकता महसूस की जा रही थी।
18 सदस्यों वाला होगा बांके बिहारी ट्रस्ट
नए कानून के तहत श्री बांके बिहारी जी मंदिर के प्रशासन के लिए एक विशेष ट्रस्ट का गठन किया जाएगा, जिसमें कुल 18 सदस्य होंगे। इनमें 11 मनोनीत और 7 पदेन सदस्य शामिल रहेंगे। मनोनीत सदस्यों में वैष्णव परंपरा से जुड़े संत-महात्मा, धर्मशास्त्रों के जानकार, सनातन धर्म के प्रतिनिधि और सेवायत गोस्वामी समाज के सदस्य होंगे। वहीं पदेन सदस्यों में मथुरा के जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नगर आयुक्त और अन्य संबंधित प्रशासनिक अधिकारी शामिल किए जाएंगे। सरकार का मानना है कि संत समाज और प्रशासन के समन्वय से मंदिर की व्यवस्थाएं ज्यादा प्रभावी और संतुलित ढंग से संचालित हो सकेंगी।
धार्मिक परंपराएं रहेंगी अक्षुण्ण
सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस कानून का उद्देश्य मंदिर की धार्मिक मान्यताओं या परंपराओं में हस्तक्षेप करना नहीं है। स्वामी हरिदास जी की परंपरा से चली आ रही पूजा-पद्धति, सेवाएं, उत्सव और अनुष्ठान पहले की तरह जारी रहेंगे। ट्रस्ट केवल प्रशासनिक और प्रबंधकीय जिम्मेदारियों का निर्वहन करेगा। नए कानून के तहत मंदिर की सभी चल-अचल संपत्तियां, चढ़ावा, दान और आय ट्रस्ट के अधीन होंगी। इससे मंदिर के फंड्स के पारदर्शी उपयोग और रखरखाव को सुनिश्चित किया जा सकेगा।
श्रद्धालुओं की सुविधाओं पर रहेगा खास फोकस
सरकार ने इस ट्रस्ट के जरिए भक्तों की सुविधाओं को प्राथमिकता देने की बात कही है। वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों और महिलाओं के लिए अलग दर्शन पथ, बेहतर भीड़ प्रबंधन, पेयजल, स्वच्छता, प्रसाद वितरण और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाएगा। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं विकसित करने की योजना भी है। इस कानून से प्रस्तावित बांके बिहारी कॉरिडोर परियोजना को भी गति मिलने की उम्मीद है, जिसे काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। इससे वृंदावन आने वाले श्रद्धालुओं को सुगम दर्शन और बेहतर अनुभव मिल सकेगा। बता दें कि यह विधेयक पहले अध्यादेश के रूप में लागू किया गया था, जिसे अब विधायी प्रक्रिया पूरी कर स्थायी कानून बना दिया गया है। सरकार का दावा है कि यह कदम धार्मिक आस्था का सम्मान करते हुए आधुनिक प्रबंधन व्यवस्था को स्थापित करेगा। बांके बिहारी जी के लाखों भक्तों के लिए यह कानून मंदिर प्रशासन में एक नए युग की शुरुआत माना जा रहा है।