डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि अगली महामारी जीका और डेंगू सहित अन्य कीट जनित रोगाणुओं से हो सकती है। आर्थ्रोपोड-बोर्न वायरस (एर्बोवायरस) जैसे डेंगू, पीला ज्वर, चिकनगुनिया और जीका वायरस वर्तमान में उष्णकटिबंधीय और उप उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में रहने वाले लगभग 3.9 बिलियन लोगों के लिए जोखिम हैं।
अगली महामारी नये एर्बोवायरस के कारण
डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि इस बात के अनेकों संकेत हैं कि इन बीमारियों से खतरा बढ़ रहा है। विशेषज्ञ अगली विपदा को रोकने के लिए रणनीति तैयार करने में जी जान से जुट गए हैं। एर्बोवायरस पर लक्ष्य साधना उनकी सूची में सबसे ऊपर है। अगली महामारी नये एर्बोवायरस के कारण जन्म ले सकती है और हमारे पास कुछ संकेत हैं कि खतरा बढ़ रहा है।
40 देशों में फैलने का उच्च जोखिम
पीलाज्वर 40 देशों में फैलने का उच्च जोखिम रखता है और जांडिस की वजह बनता है और डेंगू की तरह गंभीर रक्तस्रावी बुखार एवं मृत्यु की वजह बनता है। हालांकि, चिकनगुनिया कम जाना जाता है लेकिन यह 115 देशों में मौजूद है और यह गंभीर रूप से अक्षम करने वाले गठिया का कारण बनता है।
दुनिया में तबाही मचा रही ये बीमारियां
जीका वायरस ने 2016 में 89 से अधिक देशों में तबाही मचाई थी। जबकि, यलो फीवर साल 2000 से लगातार बढ़ रहा है। इस बीमारी के दुनिया के 40 देशों में फैलने का जोखिम ज्यादा है। इस कारण रोगी को पीलिया और खून की उल्टियां होती है। डेंगू भी हर साल 130 देशों में 390 मिलियन लोगों को संक्रमित करता है। इस कारण बड़ी संख्या में लोगों की मौत भी होती है। चिकनगुनिया भले ही कम लोगों की जान लेता है, लेकिन इसका प्रभाव 115 देशों में देखा जाता है।