डिजिटल डेस्क- कर्नाटक में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर राजनीतिक उथल-पुथल थमने का नाम नहीं ले रही है। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को अपने घर ब्रेकफास्ट मीटिंग के लिए बुलाया है, जिसे राजनीतिक विश्लेषक विवाद सुलझाने की दूसरी कोशिश बता रहे हैं। इससे पहले 29 नवंबर को दोनों ने सिद्धारमैया के आवास पर नाश्ते पर मुलाकात की थी, ताकि सार्वजनिक रूप से पार्टी में एकता का संदेश दिया जा सके। हालांकि ज़मीनी हकीकत यह है कि कर्नाटक में सत्ता संतुलन को लेकर खींचतान पहले की तरह ही जारी है। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस हाईकमान ने दोनों नेताओं को सलाह दी है कि किसी भी तरह की असहमति को मीडिया तक न पहुंचने दिया जाए, इसलिए बेंगलुरु में ही ‘सुलह का मंच’ तैयार किया गया है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही ये बात
पहली ब्रेकफास्ट मीटिंग के बाद सिद्धारमैया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि उनके और शिवकुमार के बीच कोई मतभेद नहीं है और वे मिलकर 2028 के विधानसभा चुनाव और लोकल बॉडी चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वे हाईकमान के फैसले का सम्मान करेंगे। लेकिन इन दावों के समानांतर दो धाराएं लगातार सक्रिय हैं। बताया जाता है कि डीके शिवकुमार समर्थकों का एक दल हाल ही में दिल्ली पहुंचा था और उन्होंने मिड-टर्म नेतृत्व परिवर्तन की मांग की थी। दूसरी ओर सिद्धारमैया गुट पावर ट्रांसफर के किसी भी फॉर्मूले से साफ इनकार करता रहा है।
2.5-2.5 साल के फॉर्मूला को माना जा रहा है विवाद की जड़
विवाद की जड़ 2023 में सरकार गठन के समय तय हुए कथित 2.5-2.5 साल के फॉर्मूला को माना जा रहा है। इस फॉर्मूले के अनुसार सिद्धारमैया को पहले 2.5 साल के लिए मुख्यमंत्री बनना था और अगले 2.5 साल के लिए डीके शिवकुमार को जिम्मेदारी सौंपी जानी थी। अब जबकि सरकार के 2.5 साल पूरे हो चुके हैं, शिवकुमार की टीम ‘वादा निभाने’ की मांग पर अड़ी है। कांग्रेस हाईकमान इस अस्थिरता से चिंतित है। अंदर से खबरें हैं कि पार्टी कर्नाटक कैबिनेट में बड़े फेरबदल और प्रदेश संगठन में नई नियुक्तियों पर विचार कर रही है, ताकि दोनों गुटों के बीच शक्ति संतुलन बनाया जा सके।