डिजिटल डेस्क- कर्नाटक सरकार ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सराहनीय कदम उठाया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने प्रदेश के सभी सरकारी दफ्तरों, बैठकों और सार्वजनिक समारोहों में प्लास्टिक की बोतलों के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगाने का आदेश जारी किया है। अब इन जगहों पर केवल पर्यावरण-अनुकूल सामग्रियों से बनी बोतलों और बर्तनों का उपयोग किया जाएगा। यह फैसला राज्य में प्लास्टिक के उपयोग को कम करने और टिकाऊ विकल्पों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से लिया गया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ (X) अकाउंट पर इस फैसले की जानकारी देते हुए लिखा, “सरकारी कार्यालयों और सार्वजनिक समारोहों में प्लास्टिक की बोतलों के बजाय पर्यावरण-अनुकूल सामग्री से बने बर्तनों का उपयोग करने के निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं। अब इसका सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।” उन्होंने कहा कि यह निर्णय केवल पर्यावरण की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि स्वच्छ और टिकाऊ शासन की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
कर्नाटक मिल्क फेडरेशन उत्पाद को दिया जाए बढ़ावा- सीएम
सीएम ने सभी विभागाध्यक्षों और मुख्य सचिवों को आदेश दिया है कि वे इस नियम का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें। साथ ही, उन्होंने यह भी निर्देश दिया है कि सभी सरकारी कार्यक्रमों, बैठकों और सम्मेलनों में कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) के नंदिनी उत्पादों का उपयोग अनिवार्य किया जाए। उन्होंने कहा, “सरकारी स्वामित्व वाले नंदिनी ब्रांड को बढ़ावा देना स्थानीय उद्योगों को मजबूती देने के साथ-साथ राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए भी फायदेमंद होगा।”
पर्यावरणविदों ने किया मुख्यमंत्री के आदेश का स्वागत
सरकार के इस निर्णय को लेकर पर्यावरणविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया है। उनका कहना है कि यह फैसला न केवल प्रदूषण कम करने में मदद करेगा, बल्कि सरकारी तंत्र को जिम्मेदार पर्यावरणीय व्यवहार की दिशा में प्रेरित करेगा। इस बीच, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्य के विश्वविद्यालयों के नाम बदलने की प्रक्रिया को भी आगे बढ़ाने का निर्देश दिया है। उन्होंने सुझाव दिया है कि राज्य के कुछ विश्वविद्यालयों के नाम विश्वगुरु बसवण्णा, संत कनकदास, नालवडी कृष्णराज ओडेयार और डी. देवराज अरसु जैसे महान समाज सुधारकों और नेताओं के नाम पर रखे जाएं। इसके लिए उन्होंने मुख्य सचिव को अगले कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव लाने का आदेश दिया है।