झांसी में अमर प्रेम की मिसाल: पत्नी की मौत का गम न सह सके पति, 12 घंटे में दोनों ने छोड़ी दुनिया — एक साथ उठी अर्थी, एक साथ हुआ अंतिम संस्कार

शिव शंकर सविता- कहते हैं सच्चा प्यार कभी खत्म नहीं होता, वह सांसों से आगे जाकर आत्मा से जुड़ जाता है। झांसी के गरौठा कस्बे में एक ऐसा ही दिल छू लेने वाला प्रसंग सामने आया जिसने पूरे इलाके को भावुक कर दिया। यहां एक बुजुर्ग दंपती ने न केवल जीवनभर साथ निभाया, बल्कि मौत के बाद भी एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ा। 76 वर्षीय रामरतन गुप्ता और उनकी पत्नी रामदेवी पिछले 50 वर्षों से एक-दूसरे के जीवन का सहारा थे। दोनों का रिश्ता प्रेम, स्नेह और समझदारी से भरा हुआ था। लोग कहते हैं कि उन्हें साथ देखकर लगता था जैसे एक आत्मा दो शरीरों में बसी हो।

पत्नी की मौत के बाद पति ने भी तोड़ा दम

4 अक्टूबर की सुबह किसे पता था कि यह दिन रामरतन के जीवन का सबसे कठिन दिन बन जाएगा। सुबह-सुबह रामदेवी की तबीयत अचानक बिगड़ी और कुछ ही देर में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। उनकी मौत की खबर सुनकर पूरे परिवार में कोहराम मच गया। रिश्तेदार घर पहुंचने लगे, और उनके बेटे के आने तक रामदेवी के पार्थिव शरीर को फ्रीजर में रखा गया। लेकिन शायद रामरतन अपनी जीवनसंगिनी के बिना एक पल भी नहीं रह सके। पत्नी के निधन का दुख उनके लिए असहनीय था। दिनभर चुपचाप बैठे रहे, किसी से कुछ नहीं बोले। रात होते-होते उन्होंने भी अपनी आखिरी सांस ली। कहते हैं प्रेम की पराकाष्ठा यही होती है—जहां जुदाई भी साथ छोड़ने की इजाजत नहीं देती। पत्नी की मौत के 12 घंटे बाद पति ने भी प्राण त्याग दिए।

एक साथ उठी अर्थी, एक साथ हुई विदाई

अगली सुबह जब दोनों की अर्थी एक साथ उठी, तो पूरे नगर में सन्नाटा छा गया। सैकड़ों लोग रोते हुए इस दृश्य के साक्षी बने। हर किसी की आंखों से अश्रु थम नहीं रहे थे। कोई कह रहा था, “ऐसा प्रेम तो अब किताबों में भी नहीं मिलता,” तो कोई बोला, “ये रिश्ता भगवान ने खुद जोड़ा होगा, तभी साथ जीए और साथ गए।” दोनों का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया — मानो मृत्यु में भी वे एक-दूसरे से अलग न होना चाहते हों। लपटों में उठती आग के साथ आसमान में धुआं नहीं, बल्कि उनके अमर प्रेम की कहानी उड़ती नजर आई। स्थानीय लोगों ने कहा कि वेदों में लिखा है — “पति-पत्नी एक-दूसरे के पूरक होते हैं, और जब उनका प्रेम सच्चा होता है तो मृत्यु भी उन्हें अलग नहीं कर पाती।”