डिजिटल डेस्क- जम्मू और कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने शनिवार को रामबन जिले में बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स की आधारशिला रखी। हाल ही में आई प्राकृतिक आपदाओं ने जिले में भारी तबाही मचाई थी, जिसके कारण बड़ी संख्या में परिवार बेघर हो गए थे। LG ने कहा कि जिला प्रशासन ने सरकारी दिशानिर्देशों के अनुसार तेजी से राहत और बचाव कार्य चलाए हैं, ताकि जरूरतमंद लोगों को तुरंत सहायता मिल सके। कार्यक्रम के दौरान LG मनोज सिन्हा ने घोषणा की कि HRDS संगठन के सहयोग से अगले छह महीनों के भीतर 189 परिवारों को तीन कमरों वाले नए पक्के घर उपलब्ध कराए जाएंगे। इन घरों की विशेषता होगी कि इनके साथ 15 साल की इंश्योरेंस पॉलिसी, नियमित स्वास्थ्य जांच और इंटरनेट कनेक्टिविटी भी प्रदान की जाएगी। सिन्हा ने कहा कि इन सुविधाओं का उद्देश्य प्रभावित परिवारों को सुरक्षित, सम्मानजनक और स्थिर जीवन फिर से स्थापित करने में सहायता देना है।
रामबन जिला प्रशासन को दिये निर्देश
उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल सरकारी मदद से सभी आवश्यकताओं की पूर्ति संभव नहीं है, इसलिए विभिन्न संगठनों और स्टेकहोल्डर्स को साथ लेकर ही यह पुनर्वास प्रक्रिया प्रभावी ढंग से चलाई जा रही है। LG ने रामबन जिला प्रशासन को निर्देश दिया है कि वे अपनी लाभार्थी सूची की दोबारा समीक्षा करें और उन सभी पात्र परिवारों को शामिल करें जो प्रारंभिक सर्वेक्षण के दौरान किसी कारणवश छूट गए हों। मनोज सिन्हा ने HRDS की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि संस्था ने हाउसिंग इनिशिएटिव में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
हमारा संकल्प हर प्रभावित परिवार को सुरक्षित और पक्का घर मुहैया कराना
इसके साथ ही उन्होंने जानकारी दी कि राजौरी और उधमपुर समेत अन्य आपदा प्रभावित क्षेत्रों में भी इसी तरह के पुनर्वास प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। उनके अनुसार, जम्मू-कश्मीर प्रशासन का प्राथमिक लक्ष्य उन सभी परिवारों को सुरक्षित आवास उपलब्ध कराना है जिनके घर प्राकृतिक आपदाओं में क्षतिग्रस्त हुए हैं। LG ने कहा, “रामबन में शुरू की गई यह पहल पूरे केंद्र शासित प्रदेश में चल रही एक बड़ी पुनर्निर्माण योजना का हिस्सा है। हमारा संकल्प है कि हर प्रभावित परिवार को सुरक्षित और पक्का घर मुहैया कराया जाए। प्रशासन की प्रतिबद्धता है कि पुनर्वास कार्य पूरी कुशलता और पारदर्शिता के साथ पूरा किया जाए, ताकि लाभार्थी सम्मान और सुरक्षा के साथ अपना जीवन पुनः प्रारंभ कर सकें।”