फारूक अब्दुल्ला ने विधानसभा चुनाव लड़ने का किया ऐलान, नेशनल कॉन्फ्रेंस पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ेगी

KNEWS DESK- नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले बड़ा बयान देते हुए आगामी विधानसभा चुनावों में भाग लेने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ेगी और जल्द ही उम्मीदवारों की सूची जारी की जाएगी।

केंद्र सरकार पर फारूक अब्दुल्ला का हमला

फारूक अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि अगर उन्हें सत्ता मिली, तो वह कई महत्वपूर्ण बदलाव करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार ने केवल हिंदू-मुसलमान के बीच दरार डाली है और कुछ नहीं किया है। उन्होंने गांधी जी के ‘राम राष्ट्र’ की अवधारणा का उल्लेख करते हुए कहा कि असली राम राष्ट्र वह है जहां हिंदू और मुसलमान एक साथ होते हैं और पोलिंग बूथ पर ऐसे लोग होते हैं, जिन्हें पैसे से खरीदा नहीं जा सकता।

जनता से अपील

फारूक अब्दुल्ला ने जनता से अपील की कि जब वे मतदान करें, तो सोच-समझकर बटन दबाएं। उन्होंने कहा कि जब आप बटन दबाएंगे, तो निशान और आवाज आनी चाहिए। उनकी यह अपील आगामी चुनावों में उनके पार्टी के संकल्प और रणनीति को स्पष्ट करती है। जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार विधानसभा चुनाव 2014 में हुए थे। इसके बाद जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया और अब पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2023 में चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराए जाएं।

2020 में परिसीमन के बाद जम्मू संभाग में छह सीटें और कश्मीर संभाग में एक सीट जोड़ी गई हैं, जिससे कुल 90 सीटों पर मतदान होगा। यह चुनाव जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं, और फारूक अब्दुल्ला के चुनाव लड़ने के ऐलान ने राज्य की राजनीति में एक नई उथल-पुथल का संकेत दिया है।

उमर अब्दुल्ला की स्थिति

फारूक अब्दुल्ला के चुनाव लड़ने के ऐलान के कुछ समय पहले, उनके बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने घोषणा की थी कि वह इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। इस स्थिति में, फारूक अब्दुल्ला की सक्रिय भूमिका और उनकी पार्टी की रणनीति चुनावी मैदान पर गहरा असर डाल सकती है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के इस चुनावी अभियान से जम्मू-कश्मीर की राजनीति में नई ऊर्जा और सक्रियता देखने को मिल रही है, और चुनावी समर में यह देखना दिलचस्प होगा कि फारूक अब्दुल्ला और उनकी पार्टी कितनी सफलता प्राप्त कर पाते हैं।

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